पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७३२

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लेयक पु० ) सुगन्ध द्रव्य लेपकः ( पु० ) थबई | राज मार लेपन: ( पु० लेपनं ( न० ) १ लेपना | पोतना २ लेप | प्लास्टर मलहम गारा क्रलाई ४ गोश्त | लेप्य ( वि० ) प्लास्टर करने योग्य |--कृत् ( वि० ) १ नमूना बनाने वाला । २ राज । थवई। मैंमार | स्त्री (श्री० ) यह स्त्री जो उबदन या चन्द् नादि का लेप लगाये हो । लेप्यमयी (स्त्री० ) गुड़िया । पुतली | लेलायमाना ( खी० ) धनि की सात ाियों में से एक। लेलिहः (पु०) साँप, सर्प लेलिहानः ( पु० ) १ सर्प सौंप २ शिवजी ३ लेशः (पु० ) १२ सूक्ष्मता । ३ समय का माप विशेष जो २ कक्षा के समान होता है। एक अलंकार विशेष इसमें किसी वस्तु के वर्णन के केवल एक ही भाग या अँश में रोचकता आती है। लेश्या ( श्री० ) प्रकाश । उजियाला । लेष्टुः (पु० ) बेला | मट्टी का बेला । लेसिकः ( पु० ) हाथी पर चढने वाला। लेहः ( पु० ) १ चाटना २ स्वाद लेना । चखना | ३ चाट कर खाने का पदार्थ ४ भोजन | भोज्य पदार्थ | लेहर्म ( न० ) चाटना । लेहिनः ( पु० ) सुहागा लेहा (वि० ) चाहने योग्य लेहां (न० ) वह वस्तु जो चाट कर खायी जाय। जैग जैडम्) ( न० ) अष्टादश पुराणों में से पुराण जैगिक ) (वि० ) [ स्त्री० [ड़िकी ] १ चिन्ह जैङ्गिक सम्बन्धी २ अनुमित ● ) लैंगिक } (I० } मूर्ति बनाने वाला । लाक. लोक् (धा० ० ) [ लोकते, लोकित ] देखना | ताकना पहचानना लोकः ( पु० ) : संसार भुवन का एक भाग साधारणतः स्वर्ग, पृथिवी और पाताल तीन लोक माने जाते हैं। किन्तु विशेष रूप से वर्णन करने बाजों ने लोकों की संख्या १४ मानी है। सात अवलोक और सात अवलोक १ ऊर्ध्वलोकः-- i भूलक, भुवक, स्वलक, महलोक, जनक, सपलक और सत्यलोक | २ अधःलोकः- अगल, वितल. सतल, रसातल, तत्वावल, महातन और पाताल । ३ भूलक । ४ मानवगण । २ समूह | समुदाय ६ प्रदेश अँचल ग्रान्त ७ साधारण जीवन साधारण चलन या मया । साधारण या व्यवहारष्ट चित- वन अवलोकन १० या १४ की संख्या -- अतिगा, (वि० ) असाधारण | अलौकिक | अतिशय ( दि० ) लोकोत्तर। असाधारण - असामान्य :- ! अधिक, ( वि० ) यसाधारण अधिपः, ( go ) १ सजा । २ देवता । - अधिपतिः ( पु० ) संसार पति । ब्रह्माण्ड नायक --अनुरागः, ( पु० ) मानव जाति का प्रेम सार्वजनिक प्रेम जोकहितैषिता । उदा- रता)-अन्तरं ( न० ) परलोक । आगे होने वाला जन्म :--अपवादः, ( पु० ) जोकनिन्दा --अयनः, ( न० ) नारायण का नामान्तर - अलोक ( पु० ) एक पौराणिक पहाड़ जो भूमण्डल के चारों ओर और मधुर जल पूरित सागर के परे हैं। प्रलोक (०) हट और अदृष्ट लोक भावार, ( पु० ) लोक- व्यवहार संसार में बरता जाने वाला व्यवहार | -आयतः (go ) १ वह मनुष्य जो इस लोक के अतिरिक्त दूसरे लोक को न मानता हो । ● चार्वाक दर्शन का मानने वाला । - यायतं, ( म० ) नास्तिकवाद | चार्वाक दर्शन/प्राय- तिका, ( पु० ) नास्तिक चार्वाक -ईशः, J