धकुट वट: (१०) पिन ● 1 1 1 वर्ग: (पु० ) १ श्रेणी समाज जाति दोसट्ट। फीस खात्री । विभाग मात । कक्षा । समुदाय । २ दल | टोली । पक्ष । ३ न्यायशास्त्र के मथ या सह पदार्थ विभाग | ४ शब्दशास्त्र में एक स्थान से उच्चा- रित होने वाले स्पर्श व्यञ्जन वर्गों का समूह 1 4 ( यथा कवर्ग, चवर्ग आदि । ५ आकार प्रकार में कुछ भिन, किन्तु कोई भी एक सामान्य धर्म रखने वालों का समूह | ( यथा-- --मनुष्यवर्ग, वनस्पति वर्ग ) ६ अन्य विभाग प्रकरण परिच्छेद ग्वेद के अध्याय के समान हों या अध्याय । ७ विशेषकर अन्तर्गत उपयध्याय अनु- राशियों का घात या गुणनफल ( यथा ४ का १३१) १ शक्ति | ताकत ।-अंत्यं, उत्तमं, ( न० ) पाँचों वर्गों के अन्त के अक्षर नासिक वर्ष 1-- नः, ( पु० ) वर्ग का घर- फल १-पदं, मूलं, (न० ) वह अङ्क जिसके बात से कोई बक बनावे | वर्गमूल । धर्मणा ( स्त्री० ) गुणम घात वर्गशस् (अव्यया०) श्रेणी या समूहों के अनुसार। धगीय ( वि० ) किसी वर्ग का या श्रेणी का वर्ग सम्बन्धी । वर्गीयः (पु० ) सहपाठी । वर्ग्य ( वि० ) एक ही श्रेणी का वर्ग्यः ( पु० ) सहपाठी। साथी । वर्ष ( धा० आ० ) [ वर्चते ] चमकना | चम- कीला होना । वर्चस् (न० ) १ शक्ति | २ पराक्रम | प्रभाव | २ तेज | कान्ति। दीप्ति | ३ रूप | श | ४ विठा। -- (पु० ) कोष्टता। कब्ज़ियत वर्चस्कः (पु० ) १ दीप्ति | तेज | २ पराक्रम ३ विष्ठा । 1 पर्चस्विन ( वि० ) : पराक्रमी शक्तिशाली क्रिया शील तेजस्वी समुश्वल | वर्ज: ( पु० ) त्याग परित्याग । वर्जनम् ( न० ) १ स्याग | २ वैराग्य | ३ मनाई। मुमानियत १४ हिंसा मारण ( ७४० वर्ण वर्जिन ( १० कृ० ) १ स्थागत हुआ छोड़ा हुआ व्यक्त | २ निषिद्ध | ३ बाहिर किया हुआ रहिष J 1 व वर्ज्य (वि० ) दोड़ने योग्य । स्थान्य । वर्जनीय । २ जिसका निषेध किया गया हो । निषिद्ध (घा० उभय० ) [ वति वर्णित ] रंग चढ़ाना। रंगना २ वर्धन करना। बयान करना। व्याख्या करना । लिखना ३ प्रशंसा करना । सराहना फैलाना बड़ाना २ प्रकाश करना। वर्मा: ( १० ) रंग २ रोगन । ३ रूपरंग | सौन्दर्य ४ मनुष्य समुदाय के चार विभाग आहाण, क्षत्रिय, वैश्य और शूह | ५ श्रेणी | जाति । किस्म ६ अक्षर स्वर ७ कीर्ति । महिमा | प्रख्यानि । प्रसिद्धि प्रशंसा परिवेद सजावट १० बाय चाकार प्रकार रूपरेखा शक सूरत ११ लयाश चुग़ा १३ गीतकम ११४ जामा १२ उफना उन हाथी की भूल । १२ गुण अज्ञाद राशि |~~ १६ धर्मानुष्ठान | १७ (स्त्री० ) लेखनी | कम 1-श्रवसदः, ( पु० ) जातिच्युत :-. अपेत, ( वि० ) से किसी भी जाति में न हो। वाति ( ० ) मूंग उदकं ( म० ) पतित- - ( ( ० ) शब्द रंगीन जल /- रूपिका ( स्त्री० ) दावात | ~~कमः, ( पु० ) १ वर्णव्यवस्था । २ अक्षर- कम --चारकः, ( go ) चितेरा इंगैषा- (पु० ) । - तूलिः, तूलिका, -तूजो, (स्त्री० ) पेंसिल | चितेरे की कूची | -द. (वि०) रंगसाज़ दें, (न०) सुगन्धि युक्त पीला फाठ विशेष - दात्री (स्त्री० ) हन्दी |--- दूतः, (पु०) भक्षर। -धर्मः, (पु०) प्रत्येक जाति के कर्म विशेष)-- पातः, ( पु० ) किसी अक्षर का लोप होना।--प्रकर्षः, (पु०) रँग की उत्तमता । --प्रसादनं, ( २० ) अगर की लकड़ी - मातृ. ( स्त्री० ) क़लम | पेंसिल (मातृका (स्त्री०) सरस्वती । माला, -राशिः, ( स्त्री० ) अक्षरों के रूपों की श्रेणी या लिखित सूची ।वर्तिः, -वर्तिका ( स्त्री० ) चितेरे की कूँची |--
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