अन्धि वर्ष । ६ महीना।–चाहनः, (५०) शिव जी का नाम । -शतं, (न० ) शताब्दी | सदी | १०० वर्ष । - सारः, (पु०) एक प्रकार का कपूर । (पु०) १ समुद्र | २ ताल। सरोवर। जलाशय । झील ३ सान और कभी २ चार की संख्या का । अझ ( 5 ) बड़वानल -- कफः, -फेनः ( पु० ) फैन | जैः. ( पु० ) चन्द्रमा । २ शङ्ख। जा, (स्त्री० ) १ वारुणी मद्य २ लक्ष्मी देवी । द्वीपा, (स्त्री० ) पृथिवी | -नगरी, ( स्त्री० ) द्वारकापुरी / नवनीतकः ( पु० ) चन्द्रमा । -सराइकी, (स्त्री० ) सीप -शयनः, (१०) विष्णु भगवान् । सारः ( पृ० ) एक रत। अब्रह्मचर्य ( वि . ) १ अपवित्र । २ जो ब्रह्मचारी न हो । अब्रह्मचर्यम् । ( न० ) १ ब्रह्मचर्य का अभाव । अब्रह्मचर्यकम् २ स्त्रीप्रसङ्ग । महाराय (वि०) ब्राह्मण के योग्य नहीं। २ के प्रतिकूल ( * ब्रह्मण्यम् (न०) बाह्मण के अयोग्य कर्म । अब्रह्मन् (वि० ) ब्राह्मणों से भिन्न या ब्राह्मणों का अभाव । प्रभकिः ( स्त्री० ) १ श्रद्धा का था अनुराग का अभाव । २ श्रश्रद्धा | अभय (वि० ) ना खाने योग्य । जिसका खाना निषिद्ध हो । अभयम् (न०) चर्जित खाद्य पदार्थ । अभग ( वि० ) अभागा । बदकिस्मत | अभद्र (वि० ) अशुभ बुरा। दुष्ट । (न०) १ बुराई । पाप । दुष्टता । २ दुःख । । निर्भय - डिण्डिमः, । निडर । (पु० ) १ सुरक्षा का ढिोरा । २ सैनिक ढोल । - दक्षिणा -दानं, – प्रदानं, (न०) किसी को भय से मुक्त कर देने की प्रतिज्ञा या वचन का देना। अक्षय ( वि० ) भय से रहित सुरक्षित | बेखौफ प्रभयंकर अभयङ्कर अभयंकृत अभयत (वि०) १ भयङ्कर या भयावह नहीं । निर्भयप्रद | २ सुरक्षा करना। अमिकाम नैसर्गिक अभवः (पु० ) अनस्तित्व २ मोक्ष सुख ३ समाप्ति या नाश । प्रभव्य ( वि० ) न होने को अनुचित । अशुभ | अभागा प्रारब्धहीन | ) प्रभाग ( वि० ) १ जिसका हिस्सा या पांती न हो । (हिस्सा पैतृक) । २ अविभक्त । विना बँटा हुआ । भवः (पु० ) असत्ता | न होना । अनस्तित्व | नेस्ती । २ अविद्यमानता ३ नाश । मृत्यु | ४ अदर्शन। यह पांच प्रकार का होता है। ( क ) प्राम्भव । (ख) प्रध्वंसाभाव । (ग) अत्यन्ता- भाव । (घ) अन्योन्याभाव । (ङ) संसर्गाभाव । ५ त्रुदि। ढोटा। घाटा | अभावना १ (स्त्री०) निर्णय करने की शक्ति अथवा यथार्थ ज्ञान की अनुपस्थिति २ ध्यान का अभाव । भाषित (वि०) अकथित न कहा हुआ। पुंस्कः, ( पु० ) शब्द विशेष जो न तो कभी पुलिस और न नपुंसक लिङ्ग बन सके। जो सदा स्त्रीलिङ्ग ही बना रहे । अभ(०) १ उपसर्ग विशेष जो संज्ञावाची और क्रियावाची शब्दों में लगाया जाता है। इसका अर्थ है-- ओर प्रति । तरफ । २ पक्ष में । विपक्ष में ३ पर। ऊपर ४ छिड़कनां बुरकना । ५ अधिक। अतिरिक्त चारपार जब यह उपसर्ग विशेषणों और ऐसे संज्ञावाची शब्दों में जो क्रिया से नहीं बने, लगाया जाता है, तब इसका अर्थ होता है -१ घनिष्टता अत्यन्तता उत्कृष्टता २ सामीप्य | सामने । प्रत्यक्ष | ३ पृथक् पृथक् । एक के बाद एक अमिक } (वि० ) कामुक | अभिलाषी । मरभुका । अभिकांता (स्त्री०) स्वाहिश अभिलाषा। आकांक्षा। अभिकतिन् ( वि० ) अभिलाषी । स्वाहिशमंद | अमिकाम ( वि० ) स्नेहभाजन प्यारा अभि लाषी । कामुक । अभिकामः ( पु० ) १ स्नेह | प्रेम | २ ख्वाहिश अभिलाषा |
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