विश्रामः विश्रामः ( पु० ) अवसान | बंदी | विश्राम आराम | ३ शान्ति । ( ७१० विश्राव: ( पु० ) १ चुनाव टपकन वहाव | २ प्रसिद्धि | शोहरत | विधत] ( व० ० ) १ प्रसिद्ध । प्रख्यात | २ प्रसन्न । आह्लादित। हर्षित। विश्रुतिः ( स्त्री० ) कीर्ति । यश । ख्याति । विश्लथ ( वि० ) १ ढीला | खुला हुआ | २ मंद । सुस्त । थका हुआ। विश्लिष्ट ( च० कृ० ) खुला हुआ अलहदा किया हुआ। २ विश्लेषः ( पु० ) १ अनैक्य : २ पार्थक्य | ३ प्रेमियों का विछोह या पति और पत्नी का विछोह । ४ अभाव हानि। शोक | १ दरार | दर्ज। विश्लेषित ( ० ० ) वियोजित | अलहदा किया हुआ। अनमिला हुआ | विश्व ( सर्वनाम० ) १ सम्पूर्ण | तमाम | कुल । समूचा । सार्वजनिक | २ प्रत्येक । हरेक विश्वं ( न० ) १ चौदह भवनों का समूह समस्त ब्रह्माण्ड २ संसार | जगत | दुनिया | ३ सोंठ | ४ बोलनामक गन्ध द्रव्य विश्वः (पु० ) १ देवताओं का एक गए जिसमें वसु, सत्य, ऋतु, दब, काल, काम, भृति, कुरु, पुरुवा और माया परिगणित हैं। - आत्मन् (पु० ) १ परमात्मा । २ ब्रह्मा । ३ विष्णु । ४ शिव - ईषः, ईश्वरः (पु०) १ परमात्मा २ विष्णु ३ शिव | -कद्भु, (वि० ) नीच | कमीना -- कद्रु, ( पु० ) १ ताजी या शिकारी कुत्ता २ ध्वनि । शब्द । –कर्मन, ( ५० ) १ विश्वकर्मा अर्थात् देवताओं का शिल्पी । २ सूर्य । कृत, ( go ) १ सृष्टिकर्ता | २ विश्वकर्मा का नामान्तर 1 --केतु (पु०) अनिरुद्ध | - गन्धः, ( पु० ) लहसन -गन्धं, (न० ) १ लोबान । विश्वानर, जितू, ( पु० ) १ यज्ञ विशेष | २ वरुण का पाश । -धारिणी (स्त्री०) पृथिवी । -धारिन (पु०) देवता विशेष । -नाथः (पु०) विश्व का स्वामी । शिव महादेव काशी के एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिङ्ग का नाम । -पा. ( पु० ) १ ईश्वर | २ सूर्य । ३ चन्द्रमा ४ अग्नि-पाविनी - पूजिता, ( स्त्री० ) तुलसी ।-प्सन् ( पु० ) १ देवता। २ सूर्य | ३ चन्द्र | ४ अग्नि । -भुज्, ( वि० ) सब का उपभोग करने वाला। सर्पभक्षी । ( पु० ) १ ईश्वर | २ इन्द्र | – भेषजं. ( न० ) सोंठ /- मूर्ति, ( चि० ) सर्वरूपमय सर्वव्यापी | सर्वत्र विद्यमान । -योनिः, ( पु० ) १ ब्रह्मा १२ विष्णु --राज,-राजः, ( पु० ) सार्वदेशिक अधिपति -रूप, (वि० ) सर्वव्यापी सर्वत्र विद्यमान - रूपः, ( पु० ) विष्णु /-रूपं ( न० ) काला अगर । —रेतस् ( पु०) ब्रह्मा ।- वाह, (= विश्वौही स्त्री० ) सब सहने वाला 1-सहा, ( स्त्री० ) पृथिवी । - सृज़ू: ( पु० ) सृष्टि कर्त्ता ब्रह्मा जी | विश्वकर: ) ( पु० ) आँख । नेत्र । (किसी किसी के विश्वकरः । मतानुसार यह नपुंसक लिङ्ग भी है।) विश्वतस् ( धन्यथा० ) हर घोर हर तरफ । हर अगह | सर्वत्र | चारों ओर 1–मुख (दि० ) हर थोर एक एक मुख वाला ! विश्वथा (अव्यया० ) सर्वत्र | सब जगह ) ( वि० ) सारे विश्व का पालन या भरण करने वाला। विश्वंभरः ) ( पु०) १ परमात्मा सर्वव्यापी परमेश्वर । विश्वम्भरः २ विष्णु । ३ इन्द्र | गुग्गु ३ बोल नामक गन्ध जय्य । -गन्धा, ( स्त्री० ) पृथिवी-जनं, (न० ) मानवजाति | -जनीन, -जन्य, ( वि० ) मनुष्य जाति मात्र के लिये भला या हितकर ) विश्वंभर विश्वम्भर विश्वंभरा } ( स्त्री० ) पृथिवी | धरा । मही । विश्वम्भरा विश्वसनीय ( स० का० कृ० ) १ विश्वास करने योग्य | विश्वस्त मातवर | २ विश्वास उत्पन्न करने की शक्ति रखने वाला । विश्वस्त (व० कृ० ) १ मातवर । विश्वसनीय । जिसका विश्वास किया जाय । २ निर्भय | निःशङ्क | विश्वस्ता ( स्त्री० ) विधवा । विश्वाधायस ( पु० ) देवता | विश्वानरः ( पु० ) सावित्री की उपाधि ।
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