विश्वामित्र ( ७११ श्वामित्रः (पु० ) एक प्रसिद्ध ब्रह्मर्षि जो गाधिज | गाधेय और कौशिक भी कहलाते हैं । श्वावसुः (पु० ) एक गन्धर्व का नाम । श्वासः ( पु० ) १ मातवरी । २ गुप्त सूचना । : घातः, - भङ्गः, (पु० ) किसी के विश्वास के विरुद्ध की हुई क्रिया।-घातिन्. (पु०) विश्वास घातक | दगाबाज़ ! ! षू ष् (धा० उ० ) [ वेवेष्टि, वेडि, विट] १ घेरना !: २ छा जाना | व्याप्त हो जाना | ३ मुठभेड़ होना | ( श्री० ) १ विडा ! मल । २ व्याप्ति । पैताव | पसार । ३ लडकी (यथा विपति) -कारिका, ( स्त्री० ) ( = विकारिका ) पक्षी विशेष :- ग्रहः ( विग्रहः ) कोष्टता। कब्जियत |--- चरः (= विट्चरः ) - वराह (पु० ) ( = विडवराहः ) विष्ठा भक्षी गाँव शूकर 1- हात्रणं, ( चिडलवणं ) ( न० ) लवण विशेष/- मङ्गः, (षिट्सङ्गः ) ( पु० ) कब्जियत । कोष्ठबद्धता | सारिका, ( स्त्री० ) पक्षी विशेष । विद्यम मदारी | - वृत्तः ( पु० ) ज़हरीला पेड़- शालूका, (खो० ) कमल की जड़ । - शुकः, -डिसकन (पु० ) बरं । रैथा। -- हृदय (वि०) दुष्ट हृदय वाला | मलिन मन वाला । i विष ( ० ० ) १ मजबूती से गड़ा हुआ । २ ना से चिपटा या सटा हुआ। षिं (न०) १ जहर । सर्पविष | २ जल | ३ कमल की जड़ अथवा भसीड़े के रेशे | ४ गुग्गुल | बोल नामक गन्धद्ग्रन्य 1 – अक, – दिग्ध, (वि०) ज़हर मिला हुआ विषयुक्त विषपूर्ण । जहरीला !-अङ्करः ( पु० ) १ भाला | २ विष में बुझा तीर - अन्तकः, ( पु० ) शिव 1- अपह, न. (वि०) । विषनाशक ।-ध्याननः, - श्रायुधः - श्रास्यः ( पु० ) सर्प 1 – कुम्भः, ( पु० ) विष से भरा घड़ा । -कमिः, ( पु० ) वह कीड़ा जो विष में पले ज्वर (पु०) भैसा /दा. ( पु० ) बादल । -चं, (न०) तूतिया - दन्तकः ( 50 ) सर्प | सौंप दर्शन मृत्युक: मृत्युः (पु० ) चकोर पड़ी। - धरः, ( पु० ) साँप | सर्प /- पुष्पं, ( न० ) नील कमल - प्रयोगः (50) विष देना विष का व्यवहार या इस्तेमाल - भिषज्, ( पु० ) – वैद्यः, (पु० ) विष उतारने की चिकित्सा करने वाला साँप के काटे हुए का इलाज करने वाला - मंत्रः, ( पु० ) १ विष उतारने का मंत्र | २ सपेरा कालबेलिया । ) विपंड विपराई. ( न० ) कमल की जड़ के रेशे । · विषयण ( ऋ० ० ) उदास रंजीदा। विषादयुक्त । मुख, चदन, (वि० ) जो उदास देख पड़े । ) उदास रंजीदा | रामगीन | विषम (वि०) १जो सम या समान न हो। असमान २ वह संख्या जिसमें दो से भाग देने पर एक यचे सम या जूस का उल्टा | ताक | ३ अनियमित । अव्यवस्थित । ४ बहुत कठिन । जो सहज में समझ में न आवे । रहस्यमय १ २ अनवेश्य | दुष्यवेश्च | ६ मोठा ! खरदरा | ७तिरछा । बाँका | कष्टदायी | पीड़ाकारक ११ प्रचण्ड । विकट | भीषय । १० भयानक भयप्रद । ११ बुरा । प्रतिकूल | विपरीत। १२ अजीब अनौखा असमान । १३ चालाक : बेईमान 1-अक्षः –ईचणः - नयनः - नेत्रः, --लोचनः, (पु०) शिव जी के नामान्तर । अनं, ( २० ) असाधारण भोजन - श्रायुधः, इघुः --शरः ( पु०) कामदेव । – कालः, (०) प्रतिकूल मौसम या ऋतु । चतुरस्रः, चतुर्भुजः, ( पु० ) वह चौकोर क्षेत्र जिसके चारों कोन समान न हों। विषम कोणवाला चतुष्कोण । -हृदः, (पु०) चुनिवन का पेड़ /-ज्वरः (पु० ) ज्वर विशेष इसके चढ़ने का कोई समय नियत नहीं रहता और न तापमान ही सदा समान रहता है। - लक्ष्मी, ( पु०) दुर्भाग्य बदकिस्मती : विषमं ( म० ) १ असमानता | अनौखापन | ३ दुष्प्रवेश्य स्थान | गड़ा | गते ४ सङ्कट आपत्ति । २ एक अर्यालकार जिसमें दो विरोधी वस्तुओं का संबन्ध वर्णन किया जाय या यथायोग्य का अभाव निरूपण किया जाय।
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