विषम विषमः ( पु० ) विष्णु का नाम विषमित (वि० ) १ उमद खाबड़ | असम | २ | विषारः (g० ) साँप । सर्प । सहुचित | सिकुड़ा हुआ | ३ कठिन या दुर्गम | विषालु (वि० ) ज़हरीला । बनाया हुआ | ( ७९२ ) विषयः (पु०) १ पञ्चज्ञानेन्द्रियाँ २ सांसारिक पदार्थ विपु ( अव्यय० ) १ दो समान भागों में बराबर का २ भिन्न रूप में। ३ समान | सदश । दैनलैन | ३ लौकिक धानन्द या मैथुन सम्बन्धी आनन्द भोग। ४ वस्तु ! पदार्थं। चीज़ | ५ उद्देश्य | विषुपं ( न० ) ज्योतिष के अनुसार वह समय जब कि 1 ६ दौड़ | सीमा अवकाश दूरता परिसर । ७ 1 सूर्य विषय रेखा पर पहुँचता है और दिन रात दोनों बरावर होते हैं। विभाग प्रान्त क्षेत्र कोटि विवेय्य या आलोग्य विषय १० देश | राज्य | सल्तनत आश्रमस्थल आश्रम । १२ ग्रामों का समूह १३ प्रियतम पति । १४ वीर्य १५ धार्मिक कृत्य अभिरतिः, (१०) इन्द्रिय सम्बन्धी भागों के प्रति अनुरक्ति-आसक - निरत, ( वि० ) कामी | रतिक्रिया | -सुख ( न० ) इन्द्रिय सुख । विषा ( स्त्री० विषाणः (पु० ) विषाणं ( न० विषाणी (स्त्री० ) विष्किर. विपादिन् (वि० ) विपादयुक्त | उदास | रामग्रीन | स्थान प्रसङ्ग 1 है स्थान। जगह। I विषयायिन् ( पु० ) १ कामी । कामुक । २ सांसारिक या संसार में फँसा हुआ आदमी। विषयों में फँसा हुआ | ३ कामदेव | ४ राजा २ इन्द्रिय | ६ | जड़वादी विषयिन् (वि० ) दैहिक ( पु० ) संसारी पुरुष २ राजा | ३ कामदेव | ४ विषय वासना में फँसा हुआ । ( न० ) १ इन्द्रिय | २ ज्ञान । विषलः ( पु० ) विष | सर्पविष विषहा (वि०) १ सहने योग्य बरदाश्त करने योग्य २ निर्णय करने या फैसला करने योग्य ३ सम्भव । बादशाहत | ११ | विषुवरेखा ( स्त्री० ) ज्योतिष के कार्य के लिये फल्पित एक रेखा जो पृथिवी तल पर उसके ठीक मध्य भाग में पूर्व पश्चिम पृथिवी के चारों ओर मानी जाती है। यह रेखा दोनों मेरुओं के ठीक मध्य में और दोनों से समान अन्तर पर है। १ विष्ठा । मल । २ बुद्धि । प्रतिभा ३ सींग शृङ्ग विपुर्व (न० ) देखो विषुएं । विचिका ( श्री० ) हैज्ञा । विष्क (धा० उ० ) [ विष्कयति, विष्कयते ] १ हथा करना। चोटिल करना । २ देखना | पहचा नना । विदः ) (०) सिराने या तितर बितर करने की विष्कन्दः । क्रिया | २ गमन | विष्कभः ) (g० ) : रोक रुकावट अड़चन | २ अर्गल विष्कम्भः ) किवाद का बैंड़ा था बिरली ३ त का वह मुख्य शहतीर जिस पर छुस रक्खी हो। ४ संभा। स्तम्भ | २ वृक्ष । ६ नाटक का एक अह विशेष जो प्रायः गर्भाङ्क के निकट होता है जो दृश्य पहले दिखाजाया जा चुका है अथवा जो अभी होने वाला है, उसकी इसमें मध्यम पात्रों द्वारा सूचना दी जाती है । ७ वृत्त का व्यास ८ योगियों का एक प्रकार का बन्ध प्रसार लंबाई विष्कंभक विष्कम्भक } ( न० ) देखो विष्कंभ | विष्कंमित ) (वि०) अवरुद्ध | रोका हुआ धवृद विष्कम्भित ) डाला हुआ । विषाणिन् ( वि० ) सॉंग या नोंकदार दाँतों वाला ( पु० ) १ सींग या नोकदार दाँतों वाला कोई भी जानवर २ हाथी ३ साँड़ | विषादः ( पु० ) १ उदासी। रंजीदगी । दुःख | शोक । विष्कभिनन् } ( ४० ) अगैल 1 किवाड़ों का बुँदा । २ नाउम्मेदी। हताशा नैराश्य | ३ शिथिलता दौवंश्य | ४ मूड़ता | अज्ञानता। विष्किरः ( पु० ) छितराने या नख से कुरेदने की क्रिया | २ मुर्गा । ३ तीतर बढेर की जाति के पक्षी।
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