अधी बुपी (स्त्री० ) कुशासन वृष्ट ( ० ० ) १ वरना हुआ २ बरसता हुआ । टि: (स्त्री० ) : बरसान २ बौदार फुधार - कालः, (पु० ) वर्गऋतु-भूः ( पु० ) : मेंढक | (पु० ) वृमि ( वि० ) बरसाती बरसने याइल | २ क्रोधी । (दि० ) १ विधर्मी | पाखण्डी ॠष्:ि ( पु० ) १ बादल २ मेगा श्रीकृष्ण के एक ३ किरन: ४ श्रीकृष्ण अग्नि का का नामान्तर ६ इन्द्र नामान्तर | - गमः, (पु०) श्रीकृष्ण की उपाधि । वृद्ध वृहत् वृहतिका का नाम । ५ का नामान्तर वृष्य ( वि० ) १ बरसने वाला २ वह वस्तु जो वीर्य और बल को बढ़ाने वाली हो । कालोदीपक वृष्यः ( पु० ) उड़द की दाल देखो वृह, बृहत् बृहतिका । बृहती (स्त्री० ) १ नारद की वीणा । २ छत्तीस की संख्या | ३ चुग़ा| जबादा। रैपर । ४ वाणी । । चाक्य : कुराक (जैसे जल का) १६ छन्द विशेष | --पतिः, ( पु० ) बृहस्पति की उपाधि | बृहस्पति देखो बृहस्पति घृ ( धा० उ० ) [ ब्रुणाति, वृणीतं, चूर्ण ] चुनना। | वे ( धा० उ० ) [चयति-घयते, उत] १ चुनना । २ लगाना | जमाना | ३ सीना | ४ बनाना । २ जड़ना ६ श्रोतप्रोत करना । वेकटः ( पु० ) १ मपुरा | विदूषक | २ जौहरी | ३ युवा पुरुष । । तेजी | बहाव । २ वेगः ( पु० ) १ उत्तेजना प्रवृत्ति | २ गति रफ़्तार | ३ उद्योग । उद्यम ४ प्रवाह किसी काम को करने की हद प्रतिज्ञा | ६ बल । शक्ति । ७ फैलाव ( जैसे विप का रक्त के साथ मिल कर सारे शरीर में फैल जाना। उतावली । जल्दबाज़ी| १ धनुषवाण की लड़ाई १० प्रेम । 1 प्रस्तु अनुराग किसी का बाहिर | फ फुर्तीला 1-मरः कट होना १२ आनन्द ||१३ शरीर में से मल मूत्रादि के निकलने की प्रवृति । १३ वीर्यपात : -- नाशनः ( 50 ) चाहिन वि० ) ने (५० ग्बन्चर अश्वतर । वेगिन् (वि०) [ खी० गते | पु० ) कारा| २ बाजी | चेगिनी ( श्री० ) नहीं। } ( पु० ) वेंकटाचल, फ्वेत विशेष 1 वेङ्कटः वेचा ( स्त्री० ) भाग : किराया। उजरत | वेडं ( न० ) चन्दन विशेष | - वेडा (खी० नाव शेट वे ) ( घा० उ० ) [ वेशनि वेशाने, वेनति- वेनू ) वेनते ] जाना २ जानना पहचानना । ३ सोचना | विश्वारना । ४ लेना। ग्रहण करना। बाजा बजाना | वेण: ( पु० ) मनु के अनुसार एक प्राचीन वर्णसङ्कर जाति, जिसकी उत्पत्ति वैदेहक माता और अंब पिता से मानी गयी है। गवैया जाति ! २ सूर्य वंशी राजा पृथु के पिता का नाम । देशा (स्त्री०) कृष्ण नदी में गिरने वाली एक नदी का नाम । वेणिः ) ( स्त्री० ) १ केशों की चोटी । गुथी हुई वेणी ) चोटी । २ जल का प्रवाह । पानी का बहाव । ३दो या अधिक नदियों का संगम ४ गङ्गा यमुना और सरस्वती नदी का संगम । एक नदी का नाम --बन्धः (पु०) गुथी हुई चोटी । - वेधिनी ( स्त्री० ) जोंक | जलौका - धिनी (स्त्री० ) फंधी । --संहारः, (पु० ) चोटी बना कर केशों को बाँधने की क्रिया २ नारायण भट्ट का बनाया संस्कृत का एक नाटक । वेणुः ( पु०) १ बाँस २ नरकुल सरपत ३ बंसी। नफीरी 1-जः, (पु० ) बाँस का बीज-धाः, नफीरी या बंसी का बजाने वाला 1-निस्रतिः ( पु० ) राना। ऊब 1 -यवः, ( पु० ) बाँस का
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