वश्य ( 50 ) कालिक, वैकालीन भूः (०) वह स्थान जो मकान | खेह (भा० भा० ) [ बेहते ] देखो "बेध" । बनाने के लिये उपयुक्त हो । त् (स्त्री० ) बँक गौ । वेश्यं (न० ) रंडी ग्रामा वेश्या बेहारः (५०) बिहार प्रदेश का नाम । वेडू ( धा०प०) [ बेहते ] जाना । ( पु० ) वह पुरूष जो वेश्याओं का रखता हो और ! मैं (धा० प० ) [ वायति] १ सुखाना । सूख जाना । (स्त्री० ) रंडी । पनुरिया - आचार्य, परपुरुषों से उन्हें मिलाता हो । महुया - २ थक जाना। रहने की जगह। आश्रयः (पु० ) रंडियों के रंडियों की आबादी (गमनं. (न० ) रंडी-वै ( श्रन्यया० ) अव्यय विशेष जिसका प्रयोग निय या स्वीकारोक्ति के अर्थ में किया जाता है। किन्तु अधिकांश प्रयोग इसका पद पूर्ण करने के लिये ही होता है। यथा "बापो वे मरहूनवः " गृहं (न० ) कला (अनः, ( 30 ) पु०) फीस जो रंडी दी रंडी पण जाती है। वेश्वरः ( पु० ) स्थर अश्वतर । वे ( न० ) कन्जा | दखल अविकार । चेट् (घा० चा० ) [ वेष्ट ] : घेरना | लपेटना | २ उठना मरोड़ना ३ पोशाक धारण करना वेष्ट: ( पु० ) १ घिराव लपेटन २ घेरा होता ! { ३ पगड़ी ४ गोंद राल २ तारपीन -संशः, हुआ। ( पु० ) एक प्रकार का याँस ---सारः, (पु० ) | बैंक (न०) १ माला जो जनेऊ की तरह पहनी गयी गारपीन | हो २ उत्तरीय वस्त्र लवादा। चेोगा। वेण्यः वेष्यः ट्रकं ( म० ) पगड़ी २ चादर पिछौरी । गोंद ४ तारपीन | वेशकः ( पु० ) हाता घेरा २ सफेद कुम्हड़ा वेटनं ( न० ) १ घेरन | लपेटन | २ टसेंटन | मरेदन | ३ लिफाफा | बंधन 18 पगड़ी | साफा ५ ६ कमरथंद | पदका ७ पट्टी म कान का छेद १० नृत्य का भाव घेरा हाता गुग्गुल विशेष | वेशनकः ( पु० ) रतिबंध की किया विशेष | वेपित ( द० कु० ) 1 चारों ओर से घिरा हुआ | २ लपेटा हुआ ५ रोका हुधा ३ ४ घेरा हुधा । } ( 30 ) पानी । वेण्या (स्त्री० ) देखे वेश्या । वेसरः (पु० ) लचर अश्वतर । मनुः । कभी कभी ग्रह सम्बोधन और अनुनय द्योतक भी होता है। वैशतिक (वि०) [स्ख० वैशतिकी] बीस में खरीदा } ( न० ) "देखो बैकक्ष.” वैकक्षिकं वैकटिकः (पु० ) जौहरी । रत्नपारखी। वैकर्तनः ( पु० ) कर्म का नाम । चैकल्पं ( न० : १ विकल्प का भाव । २ असमञ्जसता | ३ श्रनिश्रयता । वैकल्पिक (वि० ) [स्त्री०वैकल्पिकी]] [१] [ऐश्बुक । एकाङ्गी २ सन्दिग्ध सन्देदात्मक अनिश्चित 1 1 बैक ( न० ) १ न्यूनता | कमी | त्रुटि | अपूर्णता | २ श्रीनता | लंगड़ा होने का भाव । ३ अयो- ग्यता | ४ घबड़ाहट । विकलता । २ अभाव | अनस्तित्व | वैकारिक (वि० ) [ स्वी-वैकारिकी ] १ संशोधन सम्बन्धी २ संशोधनात्मक | ३ संशोधित । वैकालः ( पु० ) मध्याह्नोत्तर | सायंकाल | वैकालिक (वि० ) [ श्री० [वैकालिकी] सायंकाल बेसवार ) ( पु० ) जीरा, मिर्च, लौंग या राई, काली | वैकाजीन (वि० [ श्री-वैकालिनी] । सम्बन्धी वेशवार: मिर्च सोंठ आदि मसालों का चूर्ण या शाम को होने वाला।
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