व्यपेत व्यपेत ( च० कृ० ) १ वियोजित | २ प्रस्थानित | व्यपाड ( ऋ० कृ ) १ निकाला हुआ । हटाया हुआ । २ विरुद्ध | विपरीत। ३ प्रादुर्भूत प्रकटित । प्रदक्षित | व्यरोहः (g० ) बहिष्करण | रोक रखने या भगा देने की किया । ( ८१४ ) व्यभिचारः ) ( पु० ) १ कदाचार बदचलनी । व्यभारः ; कुपaane | अनुचित मार्गानुसरण २ अतिक्रमण | भङ्गीकरण । ३ भूलचूक । अपराध ४ अलहदगी । २ असतोय । ६ अनियमितता अपवाद ( किसी नियम का ) | ७ न्याय में हेतु दोष | व्ययित ( ०० ) १ व्यय किया हुआ । १ वरबाद किया हुआ। घटती को प्राप्त व्यर्थ (वि० ) १ निरर्थंक कुछ मतलब ही न हो। २ अर्थरहित । जिसका व्यतीक (वि० ) १ झूठा | मिथ्या | २ अप्रिय अप्रीतिकर | ३ असत्य नहीं। व्यवसायिन् धोखा ५ कुठाई। असत्यता | ६ विरुद्धता | व्यतीकं ( न० ) १ अप्रियता | अप्रीतिकर । २ कोई कारण जिससे दुःख उत्पन्न हो | कष्ट | शोक । दुःख | ३ अपराध जुर्म | ४ कपट | छल । वैपरीय । व्यभिचारिणी (स्त्री० ) असती स्त्री | छिनाल औरत । व्यभिचारिन (वि० मार्ग भ्रष्ट | २ बढ़चलन | परस्त्रीगामी ३ असल्य | झूठ । व्यभिचारिभानः (पु० ) साहित्य में वे भाव जो रस के उपयोगी होकर जलतरङ्गवत् उनमें सञ्चरम करते हैं और समय समय पर मुख्य भाव का रूप भी धारण कर लेते हैं। अर्थात् चंचलता पूर्वक सब रसों में सञ्चारित होते रहते हैं। सञ्चारी भाव । व्यय (वि० ) परिवर्तनशील | नाशवान् । व्ययः ( पु० ) १ नाश बरवादी | ३ रोक । रुकावट अड़चन ३ अधःपात | हास। घटती । ३ खर्च | लागत | ४ फजूलखर्ची 1 - शील, ( वि० ) | व्यवधायक ( वि० ) [ स्त्री० - व्यवधायिका | १ अपव्ययी। फजूलखर्च । शाहखर्च आड़ करने वाला । अन्तर डालने वाला परदा करने वाला | २ रुकावट डालने वाला | छिपाने वाला । ३ बीच का | मझौला । व्ययनं ( न० ) खर्च करना | बरबाद करना । नष्टकर ढालना । व्यकः ( पु० ) लंपट पुरुष | २ वह लौंडा जो पुरुष मथुन कराता हो। व्यवकतनं ( न० ) १ विच्छेद २ अङ्कगणित में are घटने की क्रिया। बाकी निकालने की क्रिया : व्यवक्रोशनं ( न० ) आपस में गाली गलौज़ | व्यवच्छिन्न ( व० ० ) १ कटा हुआ । चिरा हुआ। फटा हुआ । २ वियोजित विभक्त | ३ निर किया हुआ । निश्चित | ४ चिह्नित | ५ बाधा डाला हुआ । ध्यवच्छेदः (पु०) कूता पार्थक्य अलगाव । २ विभाग खण्ड । हिस्सा ३ विराम | ४ निरण | ५ छोड़ना । दागना चलाना जैसे बाण १ किसी ग्रन्थ का अध्याय व्यवधा ( स्त्री० ) १ वह जो बीच में हो। २ पर्दा । १ छिपा दुराव या पर्व | व्यवधानं ( न० ) वह वस्तु जो बीच में पढ़ पृथक् करती हो । २ रुकावट दृष्टि को रोकने वाली वस्तु ३ दुराव| छिपाव ४ परदा । दीवाल। २ गिलाफ चादर ६ अवकाश स्थान व्यवधिः ( ० ) व्यवधान परदा घाड़ रोक व्यवसायः (पु० ) १ उद्योग । उद्यम | २ मिश्चय- धारणा सङ्कल्प पक्का इरादा ३ कार्य क्रिया ४ धंधा व्यवसाय व्यापार आचरण । चाल- चलन व्यवहार ६ तरकीब चालाकी छल। कपट ७ खींग | अकड़बाजी ८ विष्णु का । नामान्तर | व्यवसायिन् (वि० ) १ उद्यमी । परिश्रमी । २ दृढ़ विचारवान दृढ़ अध्यवसायी ।
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