व्याड स्तुति या प्रशंसा जो किसी बहाने से की जाय और ऊपर से देखने में तो स्तुति जान पड़े. किन्तु हो जिन्दा व्याडः (पु० ) १ माँस भी जीन जैसे शेर सीता आदि । २ गुंडा | शठ | ३ सर्प इन्द्र का नामान्तर । व्याडिः ( पु० ) संस्कृत साहित्य का एक प्रसिद्ध ग्रन्थकार जिसके बनाये व्याकरण और केश प्रसिद्ध हैं। व्यान्युती (स्त्री० ) जलक्रीड़ा | व्यात्त (व० ० | खिला हुआ फैला हुआ पसरा 1 . व्यादानं ( न० ) १ व विस्तार २ उड़ाटन | व्यादिशः (पु) को उपाधि | व्याधः (पु० ) १ शिकारी : चहेलिया । चिड़ीमार २ दुष्ट नीच आदमी। व्याधामः व्याधावः व्याभिः व्यापन ( ० ० ) अपर विपक्ष ि हुआ (जैसे गर्भ) | ३ चोरिख। घायल। मृत | मराहुया ५ सय ६ परिवर्तित | बदला हुआ। रोग व्यापादः (०) नारण व्यापाव (१०) मन में दूसरे के आकार की भावना किमी की दुराई सोचना व्य व्यापारिन ( ० ० .. ! (० १ फर्म कार्य काम । २ धंधा | S ● मात्र । लता पेशा ३ उद्योग उद्यम ४ न्याय के अनुसार विषय के साथ होने वाचा इन्द्रियों का संदेशा | स्थापित गड़ा हुधा ' 1 व्यापारिन (वि० १ व्यापारी रोजगारी । सौदा- कर २ कोई भी कार्य करने वाला। व्यापिन् ( वि० : १ व्यापक १२ सर्वव्यापी । ३ (पु० ) इन्द्र का बन | आच्छादक (पु०) विष्णु का नाम । व्याप्त ( ० ० ) 1 किसी काम में लगा हुआ। २ स्थापित | नियत । ( पु० ) सचिव नौका 1 व्यातिः ( स्त्री० ) १ धंधा | काम काज । २ कार्य । कर्म | ३ उद्योग | पेशा व्याधिः ( पु० ) १ बीमारी रोग | पीवा | २ कोड़ ( वि० ) बीमार | रोगी । 1 -प्रस्त, व्याधित (वि० ) रोगी। बीमार । 1 व्याधूत (व० कृ० ) हिलाया चुलाया हुआ। फाँपता : व्याप्त ( ० ० ) फैला हुआ घुसा हुआ । २ हुआ चारों ओर फैला हुआ ३ भरा हुआ परिपूर्ण | ४ घिरा हुआ। १ स्थापित | नियत ६ अधि मा ७ सम्मिलित ( न्यायदर्शन के अनुसार किसी पदार्थ का दूसरे पदार्थ में) पूर्ण रूप से मिला हुआ या फैला हुआ (होना ) | ३ प्रसिद्ध | प्रख्यात । १० फैला हुआ 1 पसरा थरथराना हुआ। व्यानः ( पु० ) शरीरस्थ पाँच वायुओं में से एक यह सारे शरीर में व्याप्त रहता है। व्यानतं ( न० ) रनिबन्ध | व्यापक (वि० ) [ स्त्री० -व्यापिका ] चारों ओर फैला हुआ। २ जो ऊपर या चारों ओर से | घेरे हुए हो। घेरने या ढकने वाला व्यापत्तिः ( स्त्री० ) १ बरबादी सर्वनाश विपत्ति | आपत्ति २ एक वस्तु के बदले दूसरो वस्तु का रखना ३ मृत्यु | व्यापद् (स्त्री०) विपत्ति सङ्कट । बीमारी ३ अस्वस्थता । ४ मृत्यु | रोग । व्यापनं । न० ) व्याप्ति | फैलाव | | . काम में लगा हुआ २ गड़ा हुधर व्याप्तिः ( स्त्री० ) १ व्यास होने की क्रिया । २ न्याय दर्शनानुसार किसी एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ का पूर्णरूपेण मिला या फैला हुआ होना एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ के साथ सड़ा पाया जाना। १ सर्वमान्य नियम सार्वजनिक नियम परि- पूर्णता २ प्राप्ति नुसार वह शान जो साध्य को देख कर साध्यवान् } 1 ज्ञानं, (न०) न्यायदर्शना- सं० प्रश०कौ ६०३
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