अभुजिष्या जो दासी या टहलनी न [ का नाम हुआ हो । भगवान विष्णु अभुजिया ( स्त्री० ) स्त्री, हो । स्वतंत्र स्त्री । अभू: ( पु० ) जो पैदा न भूत (वि० ) अस्तित्व । जो नहीं है या नहीं रहा है। जो यथार्थ या सत्य नहीं है। मिथ्या । अविद्यमान । -- पूर्व, (वि०) जो पहले कभी नहीं I ( उदाहरण ) से समर्थित न हो । – शत्रु, (वि०) जिसका कोई शत्रु न हो । ( ७६ ) अभूतिः ( स्त्री० ) १ अनस्तित्व । अत्यन्ताभाव । २ निर्धनता । प्रभृत अभृत्रिम भूमिः ( स्त्री० ) १ अनुपयुक्त स्थान या पदार्थ । २ पृथिवी को छोड़ कर अन्य कोई भी पदार्थ । ( वि० ) : जो भाड़े पर न हो, या जिस का भाड़ा न दिया गया हो। ६ अस मर्थित । नज़ीर अभ्यताक: } ( पु० ) अन्तरङ्गमित्र । अ} ( वि० ) १ जो टुकड़े टुकड़े न किया अमेदिक जा सके । जो बेधा न जा सके । अभेद्य ( म० ) हीरा । अभोज्य (वि०) न खाने योग्य वर्जित भोज्यपदार्थ अभ्य (वि० ) समीप | निकट पास । २ ताना। टटका | अभ्यम् ( न० ) सामीप्य निकटता । अभ्य (वि० ) हाल ही में चिन्ह किया हुआ। नवीन चिन्हित | अभ्यनुज्ञा (स्त्री० ) १ अनुमति | दी हुई अभ्यनुज्ञानम् (न० ) ) आज्ञा | २ किसी दलील की स्वीकृत | } (वि०) १ मध्य | बीच | भीतरी । अति समीपी। अति निकट सम्बन्धी ३ हाव- भाव प्रकाशन की कला। गोपनीय कथा । अभ्यः ( पु० ) शरीर में तेल लगाना। तैलमर्दन । अभ्यंजनम् ? (न०) शरीर में मालिश करने का तैल अभ्यञ्जनम् ) या उबटन | २ आँख में लगाने का अभ्यंतर अभ्यन्तर अभेद (वि० ) अविभक्त । २ समान | एकसा | अभेदः (पु० ) अन्तर या फर्क का अभाव। २ अति | अर्चनम् (न० ) ) पूजन सजावट शृङ्गार | अभ्यर्चा (स्त्री० ) सम्मान | अभ्य (वि० ) समीप । निकट समानता | अभ्यर्थनं (न० ) ( १ विनय | विनती दरख्वास्त | अभ्यर्थना (स्त्री० ) ) २ सम्मानार्थ आगे बढ़कर लेना अगवानी । सुर्मा | अभ्यधिक (वि० ) अपेक्षाकृत अधिक। अत्यधिक २ गुण या परिमाण में अपेक्षाकृत अधिक उच्चतर | बदा ऊँचा ३ अधिक असाधारण । मुख्य अभ्यमनम् ( न० ) आक्रमण | चोट । २ रोग । अभ्यमित ) ( च० कृ० ) १ रोगी । बीमार । अभ्यान्त २ घायल चोटिल। अभ्यमित्रं ( न० ) शत्रु पर आक्रमण । (अन्य ) शत्रु के विरुद्ध या शत्रु की थोर । अभ्यमित्रीणः अभ्यमित्रीयः ( (पु०) योद्धा जो वीरता पूर्वक अपने शत्रु का सामना करता है। अभ्यमियः पहुँच । २ ( सूर्य के ) अभ्ययः (पु०) आगमन अस्त होने की क्रिया । । अभ्यर्थिन् (वि०) माँगने वाला याचना करने वाला । अभ्यर्हणा (स्त्री० ) १ पूजा | २ सम्मान प्रतिष्ठा अभ्यर्हित (वि० ) १ सम्मानित | पूजित | २ योग्य उपयुक्त | भव्य | । अभ्यवकर्षणम् ( न० ) खींच कर बाहिर निकालना अभ्यवकाशः ( पु० ) खुली हुई जगह | अभ्यवस्कन्दः (पु० ) ) १ वीरता पूर्वक शत्रु के अभ्यवस्कन्दनम् ( न० ) ) सम्मुख होना २ ऐसी चोट करना जिससे शत्रुबेकाम या निकमा हो जाय | ३ आघात - - - - - - । ( ( न० ) १ फेंक देना या गिरा देना। २ भोजन करना । खाना । गले के नीचे उतारना । निगलना ।
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