शखनक शङ्खनक शखनख शनस्ख शंखनकः शंखनखः. ( ८२५ ) ( पु० ) छोटा राज | शंखिन् ) ( पु० ) समुद्र | २ विष्णु । शङ्ख शनि ) बजाने वाला। A शराडं ) शंखिनी ) ( श्री० ) १ पझिनो आदि सियों के चार डी) भेदों में से एक भेद [ चार भेद - ई ) } शनी पद्मिनो चित्रिणी, हस्तिनी २ एक प्रकार की अप्सरा | ३ गुदा द्वार की मुँह की नाही ? एक देवी का नाम ६ सीप ७ बौद्धों की पूजने की एक शक्ति एक तीर्थ स्थान ६ शङ्खाहली. नस | ४ ( घा० ऋ० ) जाना । शच् शट् (धा०प० ) [ शति ] १ बीमार होना । २ पृथक करना । विभाजित करना । भगढ़ने वाले दो आदमियों के बीच में पड़ कर, उनका ऊगड़ा निपटाता है। पंच | मध्यस्थ धनूरा का पौधा व श्रालली | शट (वि०) खट्टा । तीता। शटा (स्त्री० ) साधू की जटा शतिः ( स्त्री० ) १ कचूर | २ गन्वपलाशी कपूर- कचरी ३ अमिया हल्दी आम्रहरिद्रा | ४ नेग- वाला सुगन्धवाला | . शठ ( धा०प० ) [ शठति ] १ खुलना | उगना धोखा देना । २ घायल करना। मार डालना । ३ पीड़ित होना। [ शाठयति ] १ समाप्त करना | २ असम्पूर्ण या अधूरा छोड़ देना ३ जाना। ४ सुस्त पड़ा रहना। ५ छलना। धोखा देना। शत्रु (वि०) : फितरती | छलिया | कपटी | दगाबाज़ | बेईमान | २ त्रुष्ट | शटं ( न० ) १ लोहा | २ कुडूम केसर । शः ( पु० ) दुष्ट गुंडा। बदमाश उठाईगीरा । धूर्त । २ साहित्य में पाँच प्रकार के नायकों में से एक यह नायक किसी दूसरी स्त्री के साथ प्रेम करते हुए भी अपनी स्त्री से प्रेम प्रदर्शित करने का कपट रचता है। ३ येवकूफ | जयबुद्धि | ४ वह जो शत श ( न० ) सन | पटसन -सूत्रं (न० ) : मन की डोरी सुतली सन का बटा हुआ जान । ३ पाल की रस्सी मस्तूल का बंधन शंडः शराड: शव ( धा० घा० ) [ शवते ] बोलना | कहना ( पु० ) नपुंसक । हिजड़ा | २ खोजा गण्डः / जो रनवास में काम करते हैं। ३ साँ४ छुट्टा साँड़ । २ पागल आदमी शचिः } ( स्त्री॰ ) इन्द्र की स्त्री का नाम :- पतिः शर्मा (२०) इ सी : २ कोई भी बड़ा संख्या । —अक्षी, शची ) ( पु० ) - भ. (पु० ) इन्द्र } (पु०) (स्त्री०) : रात | २ दुर्गा देवी -गः, गाड़ी युद्ध का रथ। - (०) बढ़ा मनुष्य । अरंध्रारं, (न०) इन्द्र का वज्र ।- आननं, (न०) श्मशान | कवरगाह । -श्रानन्दः, ( पु० ) : ब्राह्मण का नाम । २ विष्णु या कृष्य । ३ विष्णु के रथ का नाम । ४ गौतम के पुत्र का नाम जो जनक राजा के पुरोहित थे ।- आयुस् (वि० ) सौ वर्ष तक रहने वाला या जीने वाला। - आवर्तः, आवर्तिन (५०) विष्णु ईशः ( पु० ) सौ पर शासन करने वाले । २ सौ गाँव का ठाकुर 1-कुम्भः ( पु० ) पर्वतविशेष जहाँ सुवर्ण पाया जाता है। कुम्भं ( न० ) सुवर्ण | सोना - कृत्वसू, (श्रव्यय०) सौगुना । --कोटि (वि०) सौ धार का। -कोटिः, ( पु० ) इन्द्र का बज्र । ( स्त्री० ) सौ करोड़ -केतुः, ( पु० ) इन्द्र | -खण्डं, ( २० ) सुवर्ण /-गु. (वि०) सौ गौ रखने वाला !-गुण, -गुणिन (वि० ) सौगुना। सौगुना अधिक। --ग्रन्थिः, (स्त्री०) दूर्वा दूब / प्री (स्त्री०) १ प्राचीन काल का एक प्रकार का शक जो किसी बड़े पत्थर या लकड़ी के कुंदे में बहुत से कील कॉट ठोंक कर बनाया जाता था और जो युद्ध में शत्रुओं पर बार करने के काम में श्राता था । २ सं० श० कौ० - १०४ ( न० ) संग्रह समूह | १ ( पु० ) १ नपुंसक पुरुष | हिजड़ा | २ ) ॠप : वैन मे सोंड जो छोड़ दिया जाना 1
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