शास्त्री शस्त्र जानने शास्त्रिन ( ८४० ) का पालन । - अभिज्ञ, ( वि० ) | शिक्थं ( न० ) मोम | वाला - अर्थ: ( पु० ) शास्त्र शिक्यं ( न० ) ) का अर्थ | २ धर्मशास्त्र की आज्ञा । - श्राचरां शिक्या (स्त्री०) सौंका सिकहर २ मँहगी के दोनों ओर बँधा हुआ स्स्सी का जाल, जिस पर बोझ रखते हैं। ३ तराजू की डोरी। शिखंडिका, शिखण्डिका ( न० ) शास्त्रीय ज्ञाओं का पालन -उक्त, ( वि० ) शास्त्रकथित । शास्त्रीय | शास्त्रानु मोदित । –कारः, – कृतः, ( पु० ) धर्मशास्त्र का बनाने वाला । --कोविद (वि० ) शास्त्र- शियित ( वि० ) १ सींके में लटकाया हुआ । २ बँहगी में रखा हुआ | निष्णात । शास्त्रों को भली भाँति जानने वाला । | शिद ( घा० आा० ) [ शिक्षते, शिक्षित ] पढ़ना | गण्डः सीखना । ज्ञान की प्राप्ति। ( न० ) पल्लवग्राही पण्डित । परिडतंमन्य-चक्षुसु, ( न० ) शास्त्र का नेत्र अर्थात् व्याकरण |–दर्शिन, (वि० ) शास्त्र- कथित | - दृष्टिः ( स्त्री० ) शास्त्र का मत शास्त्र की निगाह से। --योनि. ( पु० ) शास्त्रों | शिक्षणं ( न० ) शिक्षा | तालीम | पढ़ाने का काम | शिक्षा (स्त्री० ) १ किसी विद्या को सीखने या सिखाने शिक्षकः ( पु० ) [ स्त्री० - शिक्षका शिक्षिका ] s सिखलाने वाला | २ उस्ताद | का उङ्गमस्थल । - विधानं, – विधिः, शास्त्र की आज्ञा | - विप्रतिषेधः, विरोधः, ( पु० ) धर्मशास्त्र की आज्ञाओं में परस्पर विरोध २ कोई कार्य जो धर्मशास्त्र के विरुद्ध हो। --- विमुख, (वि० ) धर्मशास्त्र के अध्ययन से पराङ - ) मुख। -विरुद्ध, (वि०) धर्मशास्त्र की के विरुद्ध या बरखिलाफ़ / व्युत्पत्तिः, (स्त्री० ) शास्त्रज्ञ | शास्त्रों में पूर्ण ज्ञान रखने वाला - शिल्पिन्, ( पु० ) काश्मीर देश । – सिद्ध, ( वि० ) धर्मशास्त्र के मतानुसार | धर्मशास्त्र - की क्रिया | तालीम | २ गुरु के निकट विद्याभ्यास विद्या का ग्रहण | ३ दक्षता निःणता ४ उप देश मंत्र | सलाह । २ छ: वेदाङ्गों में से एक- जिसमें वेदों के वर्ण, स्वर, मात्रा श्रादि का निरूपण रहता है । ६ विनय । विनम्रता - करः, (१०) १ अध्यापक शिक्षक | २ वेदव्यास - नरः, ( पु० ) इन्द्र-शक्तिः, ( स्त्री० ) निपुणता शिक्षित ( घ० कृ० ) १ पढ़ा लिखा सिखाया हुआ। पढ़ाया हुआ | ३ पालतू । ५ निपुण चतुर ६ विनम्र - प्रक्षरः, (पु०) शिष्य । शागिर्द ( वि० ) हथियार चलाने में निपुण । शिक्षमायण: ( पु० ) शागिर्द । शिष्य । प्रतिपादित । शिखंड: ) ( पु० ) १ चोटी । शिखा | २ काकपक्ष । शिखण्डः / काकुल ३ मयूरपुच्छ खिन् (वि० ) [ स्त्री०- शात्रिखी ] शास्त्री | शास्त्र का जानने वाला । बीय ( वि० ) १ शास्त्र सम्बन्धी शास्त्र का । २ वैज्ञानिक विज्ञान सम्बन्धी । घ्य (वि०) १ शासन करने के योग्य : २ सिखलाने या समझाने योग्य | ३ दण्डनीय [ सजा देने योग्य ] ( घा० उ० ) [ शिनोति, शिनुते] १ पैना करना । धार रखना । २ पतला करना । ३ भड़काना | उत्तेजित करना। ४ ध्यान देना ५ तेज होना । (90) 5 शुभत्व सौभाग्य शीलत्व | २ स्वस्थता । शान्ति | ३ शिव जी । जा (स्त्री०) ६ शीशम का पेड़ | २ अशोक वृत्त । ~ (वि० ) सुस्त । काहिल अकर्मण्य । 1 शिखंडिकः शिखण्डिकः । अत | २ नियंत्रित १४ बज्जालु । - आयुध, शिखंडकः ) ( पु० ) चूड़ाकरण संस्कार के शिखण्डकः ) समय सिर पर रखी गयी चोटी या चुटिया | २ काकपक्ष काकुल | ३ मयूरपुच्छ कलँगी । } ( पु० ) मुर्गा । शिखंडिका ) ( स्त्री० ) १ शिखा | चोटी । २ शिखण्डिका ) काकपच काकुल ३ मयूरपुच्छ
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