अभ्युत्पतन अभ्युत्पतन ( म०) उपट आक्रमण | श्रभ्युदयः (पु०) उन्नति । वृद्धि | २ उदय ( किमी नक्षत्र का ) फलना | ३ उत्सव वावसर ४ आरम्भ प्रारम्भ | प्रभ्युदित ( ० अम् अभ्युपायनम् ( न० ) १ घूंस रिशवत | लालच २ सम्मानप्रदर्शक भेंट उत्स- | श्रभ्युपेत ( धन्यवा० ) यामह किये जाने पर रज्ञा- [उदाहरण | मंद होने पर प्रतिज्ञा करने पर अभ्युदाहरणम् न० ) किसी वस्तु का ( उल्टा ) | अभ्युपेत्य (च० ) समीप आया हुआ। २ प्रति- ज्ञाता स्वीकृत अङ्गीकृत । अभ्युषः ) १ उदय हुआ | २ पदोन्नत से त्या हुआ। किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति अथवा महमान का सम्मान (पु० ) एक प्रकार की रोटी या चपाती । अभ्योषः) करते को आगे जाकर उसे लेने | अभ्यूहः (g० ) १ तर्फ । दलील । यादविवाद | २ अनुमान अपना ३ त्रुटि की पूर्ति । ४ द्धि । समझ | ( ३ सूर्यास्त के सम भ्युमः ( 50 ) अभ्युद्धमनम् (न० ) अभ्युतिः ( स्वी० ) की किया। भगवानी | उदय निकास उत्पत्ति । 1 ७८ ) अभ्युद्यत ( ० ० ) १ उठा हुआ । ऊपर उठाया हुआ | २ तैयार किया हुआ । तैयार | ३ धागे | गपा हुआ । उदय हुचा ! ४ अयाचित दिया हुआ | या खाया हुआ अभ्युनत (वि० ) १ उठा हुआ ऊँचा किया हुआ | २ ऊपर का निकला हुआ। अत्युच अभ्युतिः (सी० ) लान्त पदोन्नति और समृद्धि । शालीनता | श्रभ्युपगमः ( पु० ) समीप आगमन | आगमन । २ मंजूर करना। मान लेना। किसी बात को सत्य भङ्गीकार | समझ कर मान लेना । ( दोष को ) करवा | ३ वचन | प्रतिज्ञा। अभ्युपपत्तिः ( स्त्री० ) १ सहायतार्थं समीप जाने की किया। क्या होने की क्रिया १ अनुप्र कृपा २ सान्त्वना | ढाँदस धीरज १ संरचय | बचाव रखा। ४ इकरारनामा प्रतिज्ञापत्र | स्वीकृति प्रतिज्ञा । १ की का गर्भवती करने की क्रिया। अभ्युपायः ( पु० ) १ प्रतिज्ञा इकरार फसाव २ उपाय | इलाज। अभ्रू (धा० पर० ) [ ·थवति, आन, अश्रित ] अभ्रम् ( न० ) १ बादल | २ आकाश । व्योम जाना, इधर उधर घूमना फिरना ३ अक १४ ( गणित में ) शून्य | ज़ीरो । अनंलिइ (वि० ) बादलों का स्पर्श करनेवाला । (अर्थात् बहुत ऊँच) J अहिः (पु० ) पवन म् (न० ) नक अभ्रंकप (वि० ) बादलों को छूनेवाला। बहुत ऊँचा | अभंकपः (पु० ) ३ हवा | पवन | २ एर्वस अमुः ( स्त्री० ) पूर्व दिशा के दिग्गज की हथिनी । इन्द्र के ऐरावत हाथी की हथिनी । - प्रियः, --वल्लभः, (पु० ) ऐरावत हाथी । अभ्युपगमन-सिद्धान्तः (पु० ) १ न्याय का एक सिद्धान्त विशेष । विना परीक्षा किये, किसी ऐसी बात को मान कर, जिसका खण्डन करना है, | ः ) ( स्त्री० ) १ लकड़ी की बनी फरही, जिससे फिर उसकी परीक्षा करने को अभ्युपगमसिद्धान्त कहते हैं | २ स्वीकृत प्रस्ताव या सर्वजनगृहीत मूलनीति | अभ्रीः नाव की सफाई की जाती है। काष्ट कुदाल । [ आच्छादित | २ कुदाली । अम्रित (वि० ) बादल छाये हुए बादलों से | अम्रिय (वि० ) बादल सम्बन्धी या बादलों से उत्पन्न | अष: (पु० ) औचि न्याय्य न्यायानुमोदित होने का भाव 3 अम् (अन्यथा० ) १ जल्दी से फुर्ती से स्वल्प । श्रम् (धा० पर० ) ( अमति, अमितुं, १ जाना थोर या तरफ जाना | २ सेवा २ अल्प अमित ] करना । सम्मान करना | ३ शब्द करना ४ । खाना |
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८५
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति