शृगवन् शृङ्गवत् ( ८१३ ) , शृंगवत् ? (वि०) चोटीदार | शिखरदार (पु० ) : शृंगिणी शृङ्ग) पहाड़ | शृंगाट:.' शृङ्गादः शृंगाटक: शृङ्गाटक शृंगा शृङ्गारं शृंगाटकं, शृङ्गाटकं (प्र०) : वह जगह जहाँ चार सदके मिलती हैं। चौराहा चतुष्पथ | २ एक पौधे का नाम । ( न० ) चतुष्पथ | चौराहा | . शृंग ) ( पु० ) साहित्य के अनुसार नौ रसों में हारः) से एक रस हो सबसे अधिक प्रसिद्ध है २ प्रेम सिकता दाम्पत्य प्रेम ३ सजानट मैथुन । २ सेंदुर से बनाये हुए हाथी के ऊपर लिखना। ६ चिह्न। 1 शृंगारकः ) शृङ्गारकः शृंगारं ) ( न० ) १ लौंग २ सेंडर ३ अदरक शृङ्गारं ४ सुगन्ध पूर्ण जो शरीर में मत्ता जाय या खुशबू के लिए वस्त्र पर लगाया जाय। २ फाला अगर भूपर्ण ( न० ) सेंदूर । सिंदूर - योनिः, (पु० ) कामदेव ~~ रस, (पु० ) प्रेमभाव-सहायः, ( पु० ) नर्म सचिव | भ्शृङ्गारक } ( न० ) सेंदूर । सिंदूर । ( पु० ) प्रेम | प्रीति । शृंगारित है (वि० ) सजा हुआ सँवारा हुआ शृङ्गारित ) रसिक । रसिया ! प्रेमासक । शृंगारिम् ) (वि०) १ उतेजित प्रेमी | २ चुनी लाल । शृङ्गारित २ हाथी ४ परिच्छेद पोशाक। २ सुपाड़ी का वृक्ष ताम्बूल। पान का बीरा । आभूषण के लिये सोना । २ शृंगिः } ( पु० ) १ शृङ्गः ) सिंगी महली। भृंगिक शृद्धिकं ( ( न० ) एक प्रकार का विए । शृंगिका का} { स्त्री० ) भोजपत्र का पृष्ठ । शृंगिया शृणिः । ( पु० ) भेड़ा | मेष | शेद ९ गौ २ मल्लिका मोतिया | 1 अंगिन) (वि०) [ स्त्री०डी] १ मांगवाया। नि) २ चोटीशर शिखर बाला (पु०) १ पर्वत । j हाथीन शिव का नामान्तर शिव बी के एक गण का नाम: श्रृंगी १ वह सुवर्ण जो धाभूषणों के बनाने के काम में चाता है एक प्रकार का एक का विरगी जी कनकं. ( न० ) सुवर्ण जिसके आभूषण बनाये जाये । (० अंकुश ट्रम (व० ० ) पकाया हुआ रँधा हुआ | २ उपाचा हुआ | शृबू ( घा० श्रा० ) [ शर्धते ] पादमा अपान वायु छोड़ना। [3०-शत-शर्धन] नम करना। भिगोना । २ प्रयद करमा ३ ग्रहण करना। पकड़ना ४ काटना । चिढ़ाना। भुः (पु०) बुद्धि २ गुड़ा| मलद्वार | ट ( धा० प० ) [ शृणाति-शोर्ण ] ( टुकड़े टुकड़े करना: २ चोटि करना। ३ वध करना। २ नाश करना | शेखरः (पु०) सिर का आभूषण सुकुट किरीट सिर पर धारण की जाने वाली पुष्पमाला । २ चोटी २ श्रेष्ठता वाचक शब्द संगीत ध्रुव या स्थाभी पद का एक भेद | शेखरं ( न० ) लॉंग | शेफ ( पु० ) 7 शेषस् ( ० ) शेफ: (पु० ) (न० ) (०) शेकं शेफालिः शेफाली शेफालिका लिङ्ग जननेन्द्रिय। अगडकोश : | ३ पुंछ दुम ( स्त्री० ) एक प्रकार का पौधा शेतुश्री श्री० ) समकदारी वृद्धि | शेल्लू ( भा०प० ) १ जाना।२ कुचलना । शेषं (न० ) १ लिङ्गः जननेन्द्रिय | २ वर्ष । प्रसववर
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