पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८७३

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पप पिङ्क — वीस-चित्र, ( पहूदिध, ) ( वि० ) छः प्रकार का छः गुना :--पष्टिः, (i पटूपष्टि ) ( स्त्री० ) छियास /सप्ततिः ( पट्सप्ततिः ) डियर | ७६ | ) | पछि (वी० ) साठ । -भागः, ( पु० ) शिव जी । रड -मत्तः ( पु० ) वह हाथी जो ६० वर्ष का होने पर भी मदमत्त हो।-योजनी (स्त्री० ) साठ योजन की दूरी या यात्रा - हायनः, ( पु० ) १ ६० वर्ष की उम्र का हाथी । २ डायल विशेष , (वि० ) [ स्वी०पष्टी, }ठ 1-अंशः ( पु० ) छठवाँ भाग विशेष कर पैदावार का टयों भाग जो राजा अपनी प्रजा से जे । ( ८ts 50 ग्रन्थिका पद्रन्थिः) (पु०) पिपनामूल -- पन्थिका ) ( स्त्री० ) पिपरामूल 1-चक्रं, ( = पटूचकं, ) ( न० ) हठ योग में माने हुए कुण्डलिनी के ऊपर पड़ने वाले छः चक्र | चन्वारिंशन् ( = चरणः, ( पटूचरणः ) भैरा भ्रमर २ टीडी| ३ शुभ छियालीस ( पु० ) !

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पत्रिंशत् )! 2 जः (= पड्जः ) ( पु० ) सरगम का प्रथम या चौया स्वर विगत् छत्तीस/- त्रिंश (=पत्रिंश ) ( वि० ) छत्तीसव-दर्शनं, (= पडदर्शनं ) ( न० ) हिन्दूशास्त्र के छ: दर्शन या छः दार्शनिक सिद्धान्त [ यथा-सांख्य, योग, न्याय, शे यिक, मोमांसा और वेदान्त ] - दुर्गे, ( दुर्ग. ) छः प्रकार के दुर्गा का समुद्राय [ यथा दुर्गदुर्गदु 52 मनुष्यदुर्गं, बृद्धर्मं वनदुर्गमिति क्रमात् " 1 छप्पन/-पदः, ( पट्पदः) (पु० ) भैौरा | भ्रमर : १ जुर्यो ।-~-पेदी (=षपदी) ( स्त्री० ) १ एक चंद जिसमें छः पद या चरण होते हैं। २ भौंरी। अमरी ३ जुआँ ।--प्रज्ञः, ( पु० ) ( = पद्मज्ञः ) १ धर्म, अर्थ, काम, मोस. लोकार्थ और तत्वार्थ का ज्ञाता २ कामुक| -विन्दुः (= बिन्दु ) (पु० ) विष्णु । R = भुजा, ( - षड्भुजा. ) ( स्त्री० ) देवी २ वरबूज्ञ हिंगवाना | - नवतिः, (= पण्णवतिः) (पु० ) १६ छिया- - नवे !-पंचाशत् (श्री०) ~~(पञ्चाशत्) | षहसानुः ( पु० ) १ मयूर | मोर | २ यज्ञ । पाठ् ( अभ्यया० ) सम्बोधनात्मक अव्यय । पाटकौशिक (वि० ) [ स्वी० --पाठ्कौशिकी ] छः पत्तों में लपेटा हुआ या छः भ्यानों वाला | पाडवः (पु० ) मनोविकार मनोराग ९ संगीत | गान ३ राग को एक जाति जिसमें केवल छुः स्वर ( स, रे, ग. म, ए और घ) जगते हैं और जो निषाद वर्जित है। ( १ दुर्गा | कलौंदा - परमासिक, ) पष्टी ( श्री० ) १ तिथि छुट सम्बन्धकारक | २ कात्यायनी देवी-सत्पुरुषः, (पु० ) समास विशेष पूजनम् ( न० ) - पूजा. ( श्री० ) बालक उत्पन्न होने से छठवें दिन तथा उस दिन का उरलय है पाड्गुण्यं ( न० ) १ छः उत्तम गुणों का समूह । २ राजनीति के छः अङ्ग ३ किसी वस्तु को छ: गुदा करने से प्राप्त गुणनफळ प्रयोगः राजनीति के छः श्रनों का प्रयोग | से (पु० ) 9 छः मासिक, (वि० ) ( माही। -मुखः ( परामुखः ) ( पु० ) कार्तिकेय |–मुखा, ( परामुखा ) ( स्त्री० ) कलींदा | हिंगवाना तरबूज /-रसम् ( न० ) - रसाः, (बहु० पु० ) (=ष) छ: प्रकार के रस या स्वाद।-~~वर्गः, (= षड्वर्गः ) । पारमासिक (वि०) [ पारमासिकी ] छ:माही । ( पु० ) २ छः मास का या छः मास का पुराना | w छः वस्तुओं का समुदाय । २ काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर का समूह पाष्ठ (वि० ) [ श्री० --पाष्ठी] छुटवाँ -विशतिः ( स्त्री० ) (= पडूविंशतिः ) ः (१०) कामुक पुरुष व्यभिचारी पुरुष २ छच्चीस-विंश, (= पडूविंश, ) ( वि० ) विट। पारामातुरः (पु०) वह जिसकी छः माताएँ है। कार्ति- केय |