संचूर्णनं } सचूर्णनं ) संझ } (व० कृ० ) १ लपेटा हुआ | छिपाया हुआ। २ कपड़े से लपेटा हुआ । संज्ञादनं । सावनं } ( न० } छिपाव | दुराव संजः सञ्जः सचूणन, सान (न०) टुकड़े टुकड़े कर डालने की किया। संज | ( घा०प० ) [ सजति सक ] १ चिपटाना। चिपकामा २ बाँधना। सज् संजयः सञ्जयः ( ८८२ ) } (पु०) १ बझा का नाम । २ शिव का नाम । ( पु० ) धृतराष्ट्र के सारथी का नाम । संजल्पः ) ( ५० ) १ वार्तालाप | गङ्गय बातचीत || सजदपः । गदबड़ी | २ गर्जन | दहाड़ | संजा | सञ्जा संजवनं चतुष्क, गृहवेष्टित चत्वर या चबूतरा सञ्जवनं चार मकानों के बीच का चबूतरा । ( स्त्री० ) वकरी । छेरी | संजीवनं साथ साथ रहने की क्रिया २ सञ्जीवनं ) जीवित करने की क्रिया | पुनर्जीवित करण | ३ इक्कीस नरकों में से एक ४ गृह- वेति चत्वर । संज्ञ ( वि० ) घुटनों के बल ठुकराया हुआ। २ सचेत ३ नामक | सत् संज्ञापनं ( म० ) १ सूचन २ शिक्षण ३ हनन । वधकरण | संज्ञावत् (वि० ) १ होश में हवास में। सचेत | २ वह जिसका कोई नाम हो । संज्ञित ( वि० ) नामवाला नामफ संझिन् ( वि० ) १ नामक संक्षं ( न० ) पीतकाष्ठ | भाऊ | संज्ञपन ( न० ) हिंसन वधकरण | मार डालना। संज्ञा ( श्री० ) १ चेतना | होश | २ बुद्धि | अ ३ ज्ञान । ४ सङ्केत इशारा १ बोधक शब्द || नाम। आख्य ६ व्याकरण में वह विकारी शब्द जिससे किसी यथार्थ या कल्पित वस्तु का बोध | हो। ७ गायत्री मंत्र । ८ सूर्यपत्नी जो विश्वकर्मा को कन्या थी | मार्कण्डेय नामक पुराण के धनु- सार यम और यमुना का जन्म इसीके गर्भ से हुआ है ।-विषयः, ( पु० ) उपाधि | विशेषण (सुतः, ( पु० ) शनि का एक नाम | सज्ञानं ( न० ) ज्ञान | बुद्धि नाम्ना । नामवाना | २ वह जिसका कुछ नाम रखा जाय । संशु (वि० ) घुटनों के बल संज्वरः ) ( पु० ) १ बहुत गर्म । ज्वर १२ ताप सज्ज्वरः । उष्णता | २ कोष आदि का बहुत अधिक आवेग । सद् ( था० प० ) [ सति ] 1 किसी पदार्थ का एक भाग होना २ दिखलाना । प्रादुर्भाव होना । सढ़ ( न० ) १ साधु को जटा १२ सिंह की सटा ( स्त्री० ) ) गरदन के बाल अयाल । ३ शूकर के बाल ४ फलेंगी। चोटी शिखा 1 सहू ( धा० उ० ) [ सहयति सङ्घयते] १ हनन करना। घायल करना २ मजबूत होना ३ देना ४ लेना। ५ बसना | रहना । सहकं (न० ) प्राकृत भाषा में रचा हुआ छोटा रूपक | सदा ( श्री० ) १ पक्षी विशेष | २ बाजा विशेष | सद् (धा० उ० ) [साठयति, साठयतें] समाप्त करना पूर्ण करना २ अधुरा छोड़ देना। ३ चलना जाना। ४ सजाना | सणसूत्रं ( न० ) सन की होरी या रस्सी । संड देखो पंढ । संडिशः सहिडश: } ( १० ) चिमटा । सँड्सी । संडीनं सण्डीनं ) पक्षियों का उदान विशेष | सत् (वि० ) [ स्त्री० सती ] १ विद्यमान । २ असली। सत्य । ३ नेक | पुण्यात्मा | धर्मात्मा | ४ कुलीन | भट्ट ५ ठीक उचित 1 श्रेष्ठ । ७ प्रतिष्ठित सम्माननीय ६ उत्तम| बुद्धिमान | 1
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८८८
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति