i ८८४ ) सुताबिक | २ अपने वित्त के अनुसार उद्वेक, ( पु० ) भलाई का आधिक्य १२ वलया साहस की प्रधानता । - लक्षणं, (न० ) गर्भ - बती होने के चिह्न - विवः ( 50 ) विवेक की हानि। -विहित (वि० ) १ प्रकृति द्वारा किया हुआ। पुण्यात्मा ।-सलवः, (पु० ) वीर्थ या पराक्रम की हानि ।।-सारः, (पु० ) बल का सार या निचोड़ । २ मलिष्ठ आदमी :- स्थ, (वि० ) १ अपनी प्रकृति में स्थित | २ हद अविचलित धीर ३ अशक्त ४ प्राणयुक्त १३ से १०० दिवसों के | सत्यमेजय ( वि० ) जानवरों या प्राणधारियों को भयभीत करने वाला सतायः, सतीथ्य सतीर्थ: सतीर्थः ( पु०) सहणठी। साथ पढ़ने वाला | सतीलः (पु० ) १ बाँस २ पवन हवा ३ दाल । मटर सतेर ! पु० ) भूसी । चोकर । सत्ता / स्त्री० ) १ विद्यमानता होने का भाव । थस्तिम्ब । हस्ती । होना | भाव | २ वास्तविक अस्तित्व । ३ भलापन। उत्तमता श्रेष्ठता। सर्ज (न० ) ( सर्व ही प्राय: लिखा जाता है ) १ सोमयज्ञ का काल दौलत | ६ भीतर पूरा होता है। २ यज्ञ ३ भेंट | नैवेद्य ४ उदारता । ५ पुण्य । धर्म | ६ घर मकान । ७ पर्दा चादर ८ सम्पत्ति धन जंगल | वन । १० ताल तलैया । ११ घोखा । दग़ा धूर्तता १२ आश्रयस्थान शरण पाने की जगह 1- अयनं – अणं, ( २० ) दीर्घ यज्ञीय काल । सत्वा ( अन्यथा० ) साथ सहित - हन् (पु० ) इन्द्र का नामान्तर | सत्त्रिः ( पु० ) १ बादल मेघ २ हाथी ( गज सलिन् (पु० ) १ वह जो सदैव यज्ञ किया करता हो । २ उदार गृहस्य। सत्त्वं ( न० ) [ नीचे दिये हुये प्रथम दस अर्थों में ( पु० ) भी होता है । ] होने का भाव | अस्तित्व २ स्वाभाविक आचरण खासियत असलियत । स्वभाव | पैदायशी गुण | ३ प्रकृति । ४ ज़िन्दगी । जीवन स्वाँसा। जीवनी शक्ति । चैतन्यता। मन । ज्ञान । ६ करवा । अधूरा । गर्भ | माँसपिण्ड ७ सार पदार्थ दौलत म तत्व यथा जल, वायु. आकाशादि। ३ जीवधारी । चेतन जानदार १० भूत प्रेत राक्षस दैत्य | ११ अच्छाई भलाई । उत्तमता | १२ सत्य | यथार्थता | निश्चय | १३ बल साहल स्फूर्ति | उत्साह । १४ बुद्धिमानी सद्भाव १५ अच्छा- पन। नेकी सात्विक भाव । १६ विशिष्टता। लवण १७ संज्ञा । संज्ञावाची (शब्द) --- अनुरूप, (वि०) पैदायशी खासियत के सत्य सत्य (वि०) १ यथार्थ । ठीक । वास्तविक । याथातथ्य । २ असल | ३ ईमानदार। सच्चा । निमक हलाल । ४ पुण्यात्मा 1-अनृत, ( वि० ) १ सच्चा और झूठा २ देखने में सत्य किन्तु वास्तविक में असत्य । –अनृतं – अनृते, १ सत्यता और झुठाई | २ झूठ सच्च का अभ्यास अर्थात् व्यापार। व्यवसाय।-अभिसन्ध, (वि० ) अपनी प्रतिज्ञा को सत्य करने वाला उत्कर्षः, (पु०) १ सत्य बोलने में प्रधानता । २ वास्तविक उत्कृष्टता। उध, (वि०) सत्य बोलने वाला ।~-उपयाचन, ( वि० ) प्रार्थनाया याचना को पूरा करने वाला। - कासः, ( पुढं ) सत्यप्रेमी । - तपसू, ( पु० ) एक ऋषि का नाम । -दर्शिन, (वि० ) सस्य का देखने वाला पहले ही से सत्य देखने या जान लेने वाला। धन, ( वि० ) सत्य का धनी । अत्यन्त सत्य बोलने वाला 1-धृति ( वि० ) नितान्त सत्य /- पुरं, ( न० ) विष्णु लोक ।- पूत, ( वि० ) सत्य से पवित्र किया हुआ | यथाः- मां देवाण" --प्रतिज्ञ, (वि०) प्रतिज्ञा को सत्य करने वाला । बात का धनी वचन का सच्चा । -भावा. ( स्खी० ) सत्राजित की पुत्री और श्रीकृष्ण की एक पटरानी का नाम ~~युगं, (न० ) श्वार युगों में से प्रथम युग। स्वर्ण युग-वत्रस, (वि०)
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