सनिष्ठीवं । ( न० ) ऐसी बोली जिसके बोलने में सनिष्ठेवं थूक उड़े। सनी (स्त्री०) १ दिशा | २ याच्या | ३ हाथी के कान की फड़फड़ाहट । संतः सन्तः सनिष्ठीच निष्ठेव t संतक्षणं सन्तक्षणं i संतापः ) (पु०) ) २ दुःख सन्तापः सनीड ) ( वि० ) 9 साथ रहने वाले एक ही सनील घोंसले में रहने वाला २ समीप । निकट कष्ट }(पु० ) दोनों हाथों की अँगुली । संततं सन्ततं (555) } ( न० ) क्यासपूर्ण वचन । व्यङ्गय वचन । संतत सन्तत हुआ। २अविच्छिन्न | सतत । लगातार | } (ज० कृ० ) ३ बढ़ाया हुआ | फैलाया। अनादि । ४ बहुत अधिक। }( अय्यया० ) १ सदैव । हमेशा । निरन्तर । ( ) १ । पसरने वाला । संतप्त ) ( व० कृ० ) १ गर्माया हुआ । गर्मागर्म । सन्तप्त ) दहकता हुआ । २ पीड़ित कष्ट में पड़ा हुआ।–श्रयसू, (न० ) गर्म लोहा ।- वक्षस् ( न ० ) मन्द स्वास वाला । संतर्जनं सन्तर्जनं ) - डाँटना। डपटना। भर्त्सना करना । संतर्पणं ) ( न० ) १ सन्तोषकरण | श्रधाना | २ सन्तर्पणं प्रसन्न | ३ हर्षप्रद । ४ पकवान विशेष । संतानं ( न० ) सन्तानं (न०) संतानः (पु०) सन्तानः (पु०) सदम मन्दभ संतानिका ) ( स्त्री० ) १ फेन : भाग २ मलाई । सन्तानिका / साड़ी मर्कटेजाल नामक धाम ३ छुरी या तलवार की धार । श्वदाव | प्रसार व्याप्ति। फैज़ाब २ कुल । वंश | ३ सन्तान | श्रौला स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक। सन्ततिः १२ फैलाव । सलने वाला ३ अविच्छिन्न । सिलसिला ४ वंश | कुल संतुष्टिः ? खानदान । २ श्रौलाद। सन्तान । ६ ढेर | राशि | | सन्तुष्टि: } (स्त्री० ) नितान्त सन्तोष | संतपनं १ ( न० ) १ तपन | जलन | २ पीडन ।
सन्तपनं सन्तापन | संतानकः । ( पु० ) स्वर्ग के ५ वृक्षों में से एक वृक्ष सन्तानकः । और उसके फूल संतमस् सन्तमस ( न० ) सर्वव्यापी अन्धकार घोर संन्यजनं संतमस अन्धकार । सन्तमसं. थकावट ५ क्रोध | रोप | • संतापन ) ( वि० ) [ स्त्री० - सन्तापिनी ] जलने सन्तापन वाला। धधकने वाला। उच्छता। गर्मी कष्ट व्यथा मनोव्यथा | पश्चात्ताप संतापनं ) ( न० ) १ दाह जलन | २ पीडा । संतापनः सन्तापनं सन्तायन: ) (पु० ) १ कामदेव के पाँच शरों में से तकलीफ | दर्द | ३ भड़काने वाला रोप ! एक | संतापित ) (व० कृ० ) नपाया हुआ | मन्तप्त सन्तापित उत्पादित । संतित: } (५० ) १ अवसान ! नाश । २ भेंट। संतोषः } ( पु० ) मन की वह वृत्ति या अवस्था सन्तोषः । जिसमें मनुष्य अपनी वर्तमान दशा में ही पूर्ण सुख अनुभव करता है। तृप्ति । शान्ति । २ प्रसन्नता । सुम्बाहर्ष आनन्द ३ चेंगुष्ठ या तर्जनी उँगली । सन्त्यजनं । संतोषणं सन्तोष ( ( न० ) सन्तोष । तृप्ति । शान्ति । ·} संत्रासः ) सन्त्रासः ) जलन ताप ३ मानसिक तप रूप की ( न० ) त्याग । विरक्ति ( पु० ) डर भय | संदेश: है ( पु० ) १ चिमटा | सेंड्सी । २ जराही सन्देशः ) का एक औज़ार कंकमुख ३ एक नरक का नाम | सन्देशक: } { १० ) सँइसी । (संदर्भ: 2 ( 50 ) सन्दर्भः रचना | अन्थन । गूंथन | बुनावट | २ संमिश्रण | एकीकरण । ३ सातत्य | ४ बनावट | २ नियमित सम्बन्ध | ग्रन्थ रचना |