सप्तम ( ८९२ ) J । क्रमाएं करते हैं। भाँवर | भँवरी --प्रकृतिः | ( स्त्री० ) राज्य के सात अंग | [ यथा राजा, मंत्री, सामन्त, देश कोश गढ़ चौर सेना ] - - भद्रः, ( पु० ) सिरिस का पेड़ --भूमिक, - भौम, ( वि० ) सातखना ऊँचा /- विंशतिः, ( स्त्री० ) सत्ताइस | – शतं, (न०) १ सातसौ । २ एक सौ सात । - शती (स्त्री० ) ७०० पद्यों का संग्रह | -सप्तिः, ( पु० ) सूर्य की उपाधि | सप्तम (वि० ) [ स्त्री० --सप्तमो ] सातवाँ । सप्तमी (स्त्री० ) १ सप्तम कारक । अधिकरण कारक । २ किसी पक्ष की सातवीं तिथि। सप्तला ( स्त्री० ) चमेली की जाति का पौधा विशेष सतिः (पु० ) १ जुआ। जुगन्धर । २ घोड़ा । सप्रणय ( वि० ) प्यारा। मित्रतायुक्त । सप्रत्यय ( वि० ) १ विश्वस्त | २ निश्चय | वेशक | सफर: ( पु० ) ( छोटी जाति की मछली जो सफरी ( श्री० ) ) चमकीले रंग की होती है। सफल ( वि० ) १ फलवाला फल देने वाला । २ सार्थक | २ कृतकार्य कामयाब । सबंधु } ( वि० ) घनिष्ट सम्बन्ध युक्त । मित्र सबन्धु वाला । सबंधुः सबन्धुः } ( पु० ) नातेदार | सजातीय । सबलिः ( पु० ) सायंकाल का झुटपुटा उजियाला । सवाध ( वि० ) १ अनिष्टकर | २ ज़ालिम | उत्पीडक । सब्रह्मचर्य ( न० ) सहपाठी । एक ही गुरु से पढ़ने घाला । सब्रह्मचारिन् (g० ) १ वे सहपाठी जो एक ही साथ पढ़ते हों और एक ही व्रत रखते हों। २ सहानुभूति रखने वाला | सभा (खी० ) १ परिषद् । गोष्टी । समिति । मजलिस। २ सभाभवन । सभामण्डप ३ न्यायालय | ४ ४ दरबार ५ द्यूतगृह जुआड़खाना । प्रास्तारः, ( पु० ) सभासद । सदस्य । -पति:: ( पु० ) १ सभा का प्रधान या नेता । २ जुआड़खाने का सम १ मालिक । –सद् ( पु० ) १ सदस्य । २ जुरर | असेसर | पंच | समाज (घा० उ० ) [ सभाजयति-सभाजयते] १ प्रणाम करना । २ सम्मान प्रदर्शित करना। पूजन करना । ३ प्रसन्न करना ४ शृङ्गार करना। सजाना। ५ दिखलाना। प्रदर्शित करना । सभाजनं ( न० ) १. प्रणाम | नमस्कार | २ शिष्टता विनम्रता ३ परिचर्या । सभावनः ( पु०) शिवजी का नाम । समिकः सभीक: } ( पु० ) जुधाङ्खाना 'चलाने वाला। सभ्य ( वि० ) १ समासद २ समाज के उपयुक्त ३ सभ्यता का व्यवहार करने वाला । ४ कुलीन । विनम्र ५ विश्वस्त । विश्वासपात्र । 1 सभ्यः ( पु० ) १ सभासद | २ कुलीन वंशज ।३ जुभाइखाना चलाने वाला । ४ जुआड़खाने के मालिक का नौकर | सभ्यता ( स्त्री० ) १ १ सभ्य होने का भाव । २ सभ्यत्वं ( न० ) ) सदस्यता | ३ सुशिक्षित और सज्जन होने की अवस्था ४ भलमनसाहत । शराफत । सम् (धा०प० ) [ समति ] १ घबड़ा जाना । जो घबड़ाया था परेशान न किया जा सके। 1 सम् (अन्यया०) १ समान । तुल्य | बराबर । २ सारा | ३ साधु । भला । ४ युग्म जोड़ा। सम ( वि० ) १ एकसा। समान २ बराबर । तुल्य ३ सदृश । एक रूप | समतल | समभूमि चौरस ४ जूस। (संख्या) जिसमें दो से भाग देने पर कुछ न बचे | २ पक्षपातहीन | ६ न्यायवान | ईमानदार। सच्चा । ७ नेक | धर्मात्मा | ८ साधारण | मामूली १ मध्य का मध्यम १० सीधा ११ उपयुक्त । १२ उदासीन | विरक्त | १३ सय हर कोई १४ समूचा तमाम सम्पूर्ण अंशः, (पु० ) बराबर का हिस्सा। प्रन्तर ( वि० ) समान्तराल | समान । तुल्य -उदकं, (न० ) दूध और जल की ऐसी मिलावट जिसमें समान भाग जल और समान भाग दूध का हो। --उपमा, ( स्त्री० ) एक अलकार विशेष |-- कन्या, (स्त्री०)
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