( ९५३ स्थला कमलिनी, (स्त्री० ) यह भूभाग जहाँ कमल उत्पन्न हो ! --चर, (वि०) ज़मीन पर रहने वाला । ( जलचर का उल्टा ) च्युत ( वि० ) स्थान भ्रष्ट । -विग्रहः, (पु० ) वह संग्राम जो सम- भूमि पर हो । स्थला (स्रो० ) बनावटी सूखी जमीन जो ऊँची करके ! बनायी गई हो। स्थली (स्त्री० ) कड़ी ज़मीन । स्थलेशय (वि० ) ज़मीन पर सोने वाला। स्थलेशयः ( पु० ) स्थलचर जीव । स्थविः ( पु० ) १ जुलाहा । २ स्वर्ग | स्थविर (वि०) १ दृढ़ | मज़बूत | थचल | २ पुराना | बुढ़ा। प्राचीन । स्थविरः ( पु० ) : बूढ़ा आदमी | २ भिक्षुक । ३ ब्रह्मा का नामान्तर | स्थविरा (स्त्री० ) बुढ़िया स्थविष्ठ (वि० ) सब से बड़ा अत्यन्त दृढ़ या मज़बूत | स्था (वि० ) रद्द | मजबूत टिकाऊ | अचल | गतिहीन । स्थवयस् (वि० ) सब से बड़ा। स्था ( धा०प० ) १ खड़ा होना। २ बसना | रहना। २ बचजाना । ३ बिलंब करना ४ रोकना | बंद स्थानकं ( न० ) १ पद । ओहद्दा | २ अभिनय के करना | चुपचाप खड़ा रहना । समय का एक हावभाव विशेष : ३ नगर । शहर | ४ बरतन | ५ मदिरा का भाग या फेन । ६ पाठ करने का एक ढंग ७ यजुर्वेद के तैतरेय का एक भाग या शाखा स्थाः ( पु० ) १ शिव का नाम । २ खंभा । खूंटा ३ खूंटी | कोल । धूपघड़ी का काँटा । ५ भाला | व | ६ दीमक का छत्ता | ६ जीवक नामक सुगन्ध द्रव्य – ( पु० न० ) पेड़ का छेदः, (पु० ) वृक्षों को काटने वाला । हूँठ : स्थंडिल स्थण्डिलः भिक्षुक । १ यज्ञमण्डप में सोने वाला तपस्वी । वह तपस्वी जो ज़मीन पर लोवे । २ ) स्थानं ( न० ) १ खड़े होने की क्रिया | २ अचलता | अटलता | ३ दशा| हालत | ४ स्थान | जगह । ५ सम्बन्ध | रिश्ता | [ यथा पितृस्थाने ] । ६ स्थानिन् ।६ आबसस्थान रहने की जगह | ७ गाँव । क्रस्बा | जिल्ला ३ पदार्थ | वस्तु | १० कारण हेतु । ११ उपयुक्त स्थान १२ उपयुक्त या उचित पदार्थ । १३ किली अक्षर के उच्चारण का स्थान | १४ तीर्थस्थान । १५ वेदो | १६ किसी नगर का कोई स्थल विशेष | ११ वह लोक या पद जो किसी मरे हुए थादमी के जीव को उसके शुभाशुभ कर्मानुसार प्राप्त हो।१८ युद्ध के लिये उट कर खड़ी हुई सेना | १६ टिकाव । पड़ाव तटस्थता । उदासीनता ।२० राज्य के मुख्य अंग यथा सेना, घन, कोष, राजधानी राज्य | २१ सादृश्य समानता । २२ अध्याय परिच्छेद | २३ किसी अभिनयकर्ता का अभिनय या पार्ट | २४ अवकाश काल अध्यतः, (पु० ) स्थानीय शासक :- प्रासेधः, ( 5० ) केंद जेल । गिरफतारी -चिंतकः ( पु० ) अधिकारी विशेष जेर प्रायः कार्टरमास्टर के अधिकारों से युक्त होता है। पालः, (पु० ) चौकीदार – भ्रष्ट, ( वि० ) स्थानच्युत 1-माहात्म्यं, ( न० ) किसी स्थान या जगह का गौरव या महिमा - स्थ. (वि० ) अपने घर में स्थित । अपनी जगह पर ठहरा हुआ । स्थानतस् (श्रा०) १ निज स्थान या पद के अनु- सार । २ अपने उपयुक्त स्थान से जिह्वा या उच्चारण करने की इन्द्रिय के अनुरूप स्थानिक ( वि० ) [स्वी० -- स्थानिकी] १ स्थानीय । किसी स्थान विशेष का । २ वह जो किसी के बदले प्रयुक्त हो । स्थानिकः ( पु० ) १ सदस्य | ओहदेदार 1 २ किसी स्थान का शासक स्थानिन् (वि० ) १ स्थान चाला | २ स्थायी | ३ वह जिसका कोई बदलीदार या एवज़दार हो। सं० श० कौ०-१२०
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