पृष्ठम्:सरस्वतीकण्ठाभरणं‌(व्याकरणम्)-भागः-३.pdf/320

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सूत्रम, राम्योधने प (;}•1-29) सम्भप्राजिन (; {-f;} सम्भूयोम्भों (1*1-) भांज: { 1 -1-1813) राणिमेकदार्थ: (;.:;.!();} सर्पिर्मधु। (3-4-6$) रार्षचमी (:3-8- 1) सर्वतः (:3-! •* !) सर्वनाम (8-8-81) «ՀՀita: (3-1-161) पर्यथा (8-2-18) सबैसादेछैक्: {{-9-67) सर्वग्गी वा ५{•t-100) सर्वोद{1-4-197) पर्वाभिपयुभयेम्पः (8-1-203) संवैफजरत (3-3-6) सवैस्रयदादीनि (8-8-118) सर्वोत्तर {{-4-138) मृल’तुरच्छग •:3-:10} सवाभ्यां वामी (8-1-29) सह तृतीयाया (8-3-1?) सहनश् (3-4-108) सहार्ययोगे (3-1-223) सIधुना च (3-1-203) सार्यचिरं {4-3-108} सायंडूिमध्प्राद्द (8-2-123; साल्वाद्गो (4-8-2) স্বালম্বিয়ং - - 7. सास्मिन् पौर्णमासी (-4-2-25) सास्यदेवता (-2-28) सिंहकछुभ्यां (4-8-314) सिंहव्याघ्र (3-2-30) tसेच (3 1-38} सिन्धुगान्धारि (4-8-212) सेन्ध्ववकराभ्या {-4-8-136) तयी समेिते (-4-15 1) . l (58 ፳፩>፧ 31 G 2895 38 ( SSG t गीदारममें १ग (:3-1 - 1} सुग्रदु:रादिभ्यो गा (8-1-४l8) मृ'भूमार्जिन (4-:-116) g*Ifā?irwლH t:3.22-48) যুবুনী: |-1-2}A} गुiइमgनैि {4•2-135) ፵፫ሽሚጻፈ ( }- l•:}1) grisù" ( -3-8) (11) SS gir (3-2-1) ፣gቫ፳ቖኾኗ(ጋ8- ፤ ፀ5 ) मुपास्तुयर्व ( 1-3-109) युवनिर्दैरपरायति (8-2-5:5) নালাইন (4-4-9{9} सूयनावक्षेपण (*-1-78) सूतस्य युक्त्यां {3-4-13 1) सूर्या देवतायl (3•4-83) गृभः श्रद्धा (8-1-100) रोनाáानि (8-3-4:2) ձՀrza"Ե1* ( 4-1-154} 87 ; पेनाया घा !4-4-06) 182 | सेनामुराशाला (3-3-130) 233 ! सोऽस्य निवास: {-4-8-20') 3 3 . ፰3 i सेहिँइ (3-1-18) सोमाट्यणू (t-8-35) स लोपोऽनन्त्यल्प (8-1-85) स्तम्बाप्रार्शशपा ( k-1-7-4) स्सेदन्ट्रि ६-3-3,4, स्तोकाल्पकृच्छु (3-1-252) त्रियाम (3-4-1) | fՇզ: Փ* (4-1-178) ' ख्रिया छकू (4-1-59) स्त्री पुंदच (3-3-10?) स्रोपुसाम्य (4-1-19) स्रोबहुयु फ्कु €4-1-?0) स्लीयूम्यां (8-1-192) g th () 29 13 13 150 O 143 丑52 35