पृष्ठम्:साङ्ख्यतत्त्वकौमुदी.djvu/९

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  पृ०    पं०    अशुद्धम्    शुद्धम् ।

 १८४    १६    अवतरति    अवतारयति ।

 १९०    १७    तदनन्ततरं   तदनन्तरं

 १९२    १८    उदानं    उपादानं

 १९५    १४    तुम एव   आत्मा एव

 १९६    २३   उपनिबद्ध   उप्निबबन्ध

 १९९    १२   सन्बन्ध्यधीनत्वेन  सम्बन्ध्यधीनत्वेन

 २००    १४  अभिव्यक्त्यावस्था  अभिव्यक्त्यवस्था

 २०१    ११    वचिषति    वेचषति

 २०२      आर्येण    कार्येण

 २०२      जात    अजात

 २१६    १८   अनधिष्ठित्व    अनधिष्ठित्व

 २१०    २४    एकस्मान    एकस्मात्

 २२१   २४    सन्दोपसुन्दच    सुन्दोपसुन्दर्वत्

 २२८   २२    विजृभितं    विजृंभितं

 २३०    १४    उपद्यते    उत्पद्यते

 २३२    २५    कुट    कट

 २३८    २४    निप्ट    निष्ट

 २४३      अपिष्टातृ    अधिष्टातृ

 २४६    १९   व्यापकस्यैश्वरे  व्यापकस्येश्वेरे

 २४९      ज्ञानाभावन    ज्ञानाभावेन

 २४९    ११    क्रियति    क्रियेति

 १५१    १८    समष्टकार्यं    समष्टिकार्यं

 २५३    १८    तत्तिष्ठन्ति    तुतिष्टन्ति

 २५६    १४    यज्ञसुदशी   यज्ञसदृशी

 २६०    १८    इत्पत्र    इत्यत्र

 २६४    ११   तदितिरिक्तस्य   तदतिरिक्तस्य