पृष्ठम्:सिद्दान्तदर्पणम्.djvu/७८

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52 युगस्यापि दशांशोऽधि, 12 6, 13 शोध्या मध्यम (com.) युगानां तन्मते (com.) 4 | श्रेयसे नौमिका (com.) युग्मे वृत्तकलाः, Ap. I. 8 43 षष्टिसंगुणितं (com.) रक्षन्त्वकर्कादयो (com.) 47 रघुर्वनस्थो, Ap. 1. 15 6, 12 सन्धयः कृततुल्यास्तद्, 11 46 सन्ध्यासन्ध्यांश (com ) रवीन्दूच्चा विलिप्ताद्या, Ap. 17 46 रवेः षष्टिगुणे, 15 13 | सन्ध्यांशकश्च तत्तुल्यो (com.) 3 रात्री युगसहस्राणां (com.) सप्तभिः क्षुभितः (com रात्रौ नाडयां (com.) सप्तमस्य मनोः (com.) सप्ताग्न्येकाश्वि, 3 5, 8 लग्नकर्मायान्त्य (com.) 47 सप्तैते होरेशाः (com 10 लब्धाधिमासकान् (com.) 8 | सर्गाय रक्तो, Ap. I. 1 41 लीननयोयम्, Ap. 1. 13 सर्वत्र विष्कम्भदलं ( 30 लोलम्बकान्त, Ap. 1. 10 सहस्रयुगपर्यन्त (com सारोद्धवः कुशवने, Ap. I. 9 वंशस्था शशि, Ap. 1. 3 42 सालोक्याः श्रित (com.) वक्ष्यत्यत्रापि-यातानि (com.) सावनाहानि चान्द्रेभ्यो (com.) विशात्यानुष्टुभां. 32 32 सितः शिवा इतीच्छात्र (com.) 7 वियुतिर्वा ग्रह, 29 31 सिद्धान्तदंर्पणे सिद्धा:, Ap. 1, विस्तृतिदो:फल (corm.) 29 Invocation ; I. 17 41, 46 विस्पष्टं गदिता, Ap. I. 3 42 सुरासुराणामन्योन्यं (com.) वृद्धिहसश्च दिव्याब्दैः, 7 14 सूर्याब्दसंख्यया (com.) वेदाग्नीभा द्वि, 7 12 सोमोत्सुकोम्बु, Ap. 1. 10 वेनो ज्ञाना, Ap. 1. 16 46 व्यक्तं क्रमेण, Ap. II. 3 47 सौराब्दा द्वापरान्तेऽत्र (com सौरेः सपद्मसु, Ap. I. 4 42 शंसी पुनः, Ap. II. 2 47 स्थूलः परेषु, Ap. II. 1 47 शूली सपुत्रः, Ap. I. 12 45 शैघ्रत्वेन तदंशैः, 21 स्नाने शुद्धिर्गहस्थस्थ (com.) 18 32 47 | स्वदृग्गोलगति, 31 शोभासुताली, Ap. II. 3 श्रीकृष्णनद्ध, Ap. 1. 10 44 हृत्वा सितशिवैः (com.) श्रीमद्दामोदरं, 1 हृद्रोगं मम सूर्य: (com श्रीमान्मुनि, Ap. II. 2 47 स्ववृत्तेऽर्थाश्व, 4 5, 9 शिशिरपूर्वमृतुत्रयं (com.) 10 शीघ्प्रक्रमाच्चतुर्था (com.) स्वांशैस्तान्यर्धपञ्चमैः, 9 12 शैघ्रत्वेन तदंशैः, 21 | हरो धर्म, Ap. 1. 14 46