पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८१

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सं. पुं. 327 तस्योपनिषत् सत्यस्य सत्यम् –बृ. 2-1-20 294 तरत्यविद्यां वितताम् - वि. पु. 5-17-14 2 187 तरति शोकमात्मवित्- छा. 7-1-3 1 194 तर्कादिना व्यापकतानिश्चये तु–दीधिति 110 पुढ 332 तं देवा आत्मानमुपासते- छा. 8-12-6 235 ताद्रूप्येण परिच्छित्तिः - तन्त्र. 87 पुट 328 तानि ह वा एतानि -छा. 8-3-5 तान्यहं वेद सर्वाणि-गीता. 4-5 तान्येवानुविनश्यति बृ. 2-4-12 2 2 2 2 2 353 2 275 1 114 तुच्छस्य विशेषणाभावात् बौद्धा ? 2 304 तुच्छेनाभ्वपिहितम् ऋ. सं. 8-7-17 22 तुरीयं सर्वहक्सदा (तुर्य तत्सर्वहक्सदा) - गौ. का. 12 2 9 तुल्यार्थत्वेऽपि तेनैष:- श्लो. 219 पुट 3 2 1 2 1 214 27273 201 तेजोऽतस्तथा ह्याह – ब्र. सू. 2-3-20 480 (प्राणा वै सत्यं) तेषामेष सत्यः –बृ. 2-1-20 193 तेषामर्थेन संबन्धः - जै. 3-1-7 208 त्रयमेतत्स्वनम् – नृ. उ. ता. खण्ड I 2 307 त्रिगुणा प्रकृतिर्माया - ? 2 231 त्रिबृद्वहिष्पवमानः - ? 1 463 त्रीणि ह वै यज्ञस्योदराणि - ? 1 273 ( अश्वमेध) त्रैधातवया दीक्षणया- ? 2 132 त्वगिन्द्रियस्य साक्षादाधारो देहः-- विवरण 1 270 त्सरा वा एत्रा यक्षस्य -- ? 29 दण्डत्वादिकमेव-? 17 दण्डी प्रैषानम्वाह---? 3 62 दक्षिणोत्तराभ्यमतुसुच्- पा. सू. 5-3-28