पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८२

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सं. पु. 1 1 444 50 दर्शयन्ति चाभावाद्भावोत्पत्तिम्-शां. भा. 2.2-28. ददाति मह्यम् – ऋ. सं. 2-1-11 दना जुहोति ? 2 223 278 1 दधि मधु घृतम् - तै. सं. 2-3-2 दशाविशेषेण -? 222 216 472 दर्शपूर्णमासाभ्यां स्वर्ग ? 372 62 दिक्शब्देभ्यः -पा. सू. 5-3-27 दुष्टज्ञानगृहीतार्थ-लो. 225 पुट दृश्यते त्वग्रियया कठ. 176 2 142 दृष्दैव पुण्यं च पापं च – बृ. 4-3-15 2 431 देवादिभेदेऽपध्वस्ते - वि. पु. 3-14-33 - 3 91 देवाः परमात्मानं भूरित्युपासांचक्रुः - ऐ. आ. 2-1-8 277 देहेन्द्रियबुद्धि नास्ति– १ 1 1 1 271 देशबद्धमुपांशुत्वम्-जै. सू. 9-1-20 19 देहयोगाद्वा सोऽपि -- ब्र. सू. 3-2-6 196 1 95 326 द्रव्यार्जनोद्देशेन शाबरभा. 4-1-2 (अर्थानुबाद) द्रव्यस्य (कार्यस्य) गुणसमुदाय - कल्पतरु 2-2-16 द्रष्टव्यमात्मवद्विष्णुः - वि. पु. 2-19-48 1 327 द्रष्टव्यः श्रोतव्यः – बृ. 2-4-5 451 द्वयोः प्रणयन्ति, तस्माद्वाभ्यामेति – ? 20 द्वासुपर्णा-मु. उ. 3-1--1 2 265 द्वितीयगामी न हि शब्दः – ? 3 1 486 द्वितीयाद्वै भयम् – बृ. 1-4-2 द्विपञ्चाशदनयोर्वकयः - ? 3 1 3 2 1-3-13 462 498 द्वे सत्त्वे समुपाश्रित्य – ? 294 द्वैतं न विद्यत इति – ? 2 1 262 द्वौ विवदमानावेवायातौ - (वाजसनेय) 15**