पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८७

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

सं. 1 2 1 2 3 2 2 2 1 3 1 220 पु. 78 परस्य भट्टस्य मते - न्या. कु. टका 3-106 परं ज्योतिरुपसंपद्य–छा. 331 484 परागर्थप्रमेयेषु - बृ. वा. 159 लो 269 19 350 पराचः कामाननुयन्ति बालाः- -कठ. पराभिध्यानात्त तिरोहितम्–ब. सू. परामृतात्परिमुच्यन्ति सर्वे – तै. या 215 परास्य शक्तिर्विविधैव – श्वे. 6-8 207 परिकल्पितोऽपि मरणाय – सं. शा. पशुकामश्चिन्वीत – तै. आ. पश्चात् – पा. सू. पश्याम्यचक्षुः- -कै-उ. 248 1-26 62 5-3-32 269 303 146 309 2 288 2 3 2 1 –8-12-2-3 2-1-2 3-2-5 5 2 290 पादोऽस्य विश्वा भूतानि – पुरुषसूक्त. पारमार्थिकमद्वैतम्–खण्डन. 1 343 1-132 2 201 पुण्येन पुण्यं लोकं नयति – प्रश्न. 3-7 पुनः स पक्षी भूत्वा – बृ. 2-5-17 पुरत्रये क्रीडति – कै. उ. 2 1 1 पुरस्तात्प्रतीचीनमश्वस्य --? पुरुष एवेदं भूतम् - भारत 12 290 पुरुषं कृष्णं कृष्णदन्तं च. ऐ. आ. 3-2-4 पुरुषान्न परं किंचित् कठ. 1-3-11 पुरोडाशं चतुर्धा करोति — ? 157 329 पुरोडाशानलङ्करु – तै. सं. 6-3-1 400 पूर्णाहुत्या सर्वान्कामानवानुयात्- पूर्वसंबन्धनियमे खण्डन. 1-5 पूर्वाधरावराणाम् –पा. सू. 5-3-39 पृथगात्मानं प्रेरितारं च -श्वे. 1-6 1 202 पृथिवी ब्रह्मत्युपासीत- 286 62 3 1 487 1 278 पृथिवी होतेत्यादि – तै. आ. 3-2 2-227 12 अनु