पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८९

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• CI सं. 2 1 2 1 222 पु. 95 प्रमाणान्यन्तरेणापि-बृ. वार्तिकम् 4-3-161 161 प्रमात्वसामान्यस्य - ? 331 प्रमादाद्वै असुराः - भा. उद्यो. 42-5 164 प्रमापदं हि धात्वर्थतावच्छेदक–? प्रमामात्रे नानुगतो गुणः–१ प्रवृत्तिसंवादादिना – ? 160 1 164 2 248 प्रवृत्तेनाप्यनौचित्यमूलम्–खण्डन. 1-105 (14श्लो) प्रविश्यामूढो मूढ इव – नृ. उ. ता. 2 351 307 9 खण्ड प्रस्तरमुत्तरं बर्हिषः सादयति - ? प्रस्तरादिवाक्यमनन्य - भाम. ? 1 313 1 3 309 प्राणभृत उपदधाति-तै. सं. 5-3-1 77 प्राणाच्छ्रद्धाम् – प्रश्न. 6-4 41 प्राणा वै सत्यम् — बृ. प्राबल्यमागमस्यैव-? 1 2-1-20 1 256 2 229 प्रेयोऽन्यस्मात् —बृ. 1-4-8 172 प्राभाकरास्तु मितिमात्रंशे - ? 1 2 163 (फ) फलव्यापारयोर्धातुः – वै. भू. 2 - (ब) बहवो ज्ञानतपसा-गीता. 4-10 बहु निगद्य किमत्र - सं. शा. 1-331 2 357 2 150 1 450 बह्वल्पं वा स्वशाखोक्तम् – ? 306 बर्हिर्देवसदनम् -- ? 1 1 2 320 बर्हिषि (रजतं) न देयम् – तै. सं. 1-5-1 76 बाधेseढेऽन्यसाम्यात्किम् खण्डन. 128 पुट (33लो ) 1 501 बाधेन सोपाधिकता - शा. द. 2-2-5 1 499 बाघितोऽपीह वो मानैः - शा. द. 2-2-6