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१९२ अष्टावक्रगीता।

वक्रगीता" है उसके श्लोकोंकी संख्याका क्रम कहा। यद्यपि अंतके श्लोककरके सहित ३०३ श्लोक हैं परंतु दशमपुरुषकी समान यह श्लोक अपनेको ग्रहणकर अन्य श्लोकोंकी गणना करता है॥५॥६॥

इति श्रीमदष्टावक्रमुनिविरचितायां ब्रह्मविद्यायां सान्व- यभाषाटीकया सहितं संख्याक्रमव्याख्यानं नामै- कविंशतिकं प्रकरणं समाप्तम् ॥२१॥


इति सान्वयभाषाटीकासमेता अष्टावक्रगीता समाप्ता।

पुस्तक मिलनेका ठिकाना-

गंगाविष्णु श्रीकृष्णदास,

“लक्ष्मीवेंकटेश्वर ” छापाखाना,

कल्याण (जि. ठाणा.)