पृष्ठम्:Brihat Stotra Ratnakara 1912.djvu/५८

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बृहत्स्तोत्ररताकरे कृष्ण मुरारे । नारायण० ॥ १२ ॥ हाटकनिभपीतांबर अभयं मे मावर | नारायण० ॥१३॥ दशरथराजकु· मारा दानवमदसंहारा | नारायण० ॥१४॥ गोवर्धनगि- रिरमणा गोपीमानसहरणा | नारायण० ॥१५॥ सरयूती- रविहारा सज्जनऋषिमंदारा | नारायण० ॥ १६ ॥ विश्वा मित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा । नारायण० ॥ १७ ॥ ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतसहमोदा । नारायण० ॥ १८ ॥ जनकसुताप्रतिपाला जय जय संस्मृतिलीला । नारायण ० ॥ १९ ॥ दशरथवाग्धतिभारा दंडकवनसंचारा । नारा- यण० ॥ २० ॥ मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा | नारायण० ॥२१॥ वालिविनिग्रहशायी वरसुग्रीवहिताय । नारायण० ॥ २२ ॥ मां मुरलीकरधीवर पालय पालय श्रीधर | नारायण ॥ २३ ॥ जलनिधिबंधनधीरा रावण- कंठविदारा । नारायण० ॥२४॥ ताटीमददलनाढ्या नट- गुणविविधधनाढ्या | नारायण० ॥ २५ ॥ गौतमपत्नीपू- जन करुणाघनावलोकन | नारायण० ॥ २६ ॥ संभ्रमसी- ताहारा साकेतपुरविहारा | नारायण ॥ २७ ॥ अच- लोद्धृतिचंचत्कर भक्तानुग्रहतत्पर । नारायण० ॥ २८ ॥ नैगमगानविनोदा रक्षः सुतप्रहादा । नारायण० ॥ २९ ॥ भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलांतर । नारायण ना- रायण जय गोपाल हरे ॥ ३० ॥ इति श्रीमच्छंकराचार्य- विरचितं नारायणस्तोत्रं संपूर्णम् ॥