पृष्ठम्:Rig Veda, Sanskrit, vol8.djvu/८५३

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पचित्पिप्यु स्वय कापरिचरित्र स्वर्यो । ७,२३,४ पश्चिमै पिन्व व ७,३४,३ लापश्चिद्धि स्वयशस ७,८५७३ आपानाला विवस्वती ९ १०,५ क्षा मन्द्रस्य सनिष्यन्ता ३,२४ क्षा नापान्तमन्यु १०,८९,५ आपी वो भस्मे पितरेव १०, १०,४ भन्दै रिन्द्र हरिभि ३,४५,१ मामा पूषन्नुप द्रव ६,४८,१६ आ मन्येथामा गत ३५८४ था पुजासान मातर ७,४३,३ आपूर्णो अथकरश ३,३२,१५ पूरचित्रवर्दियम् १२३ १३ आपो अद्याम्वचारिप १,२३,३१० आपो महमान्मातर १०,१७,१० आपो न देवीप यन्ति १,८३, २ पोन सिन्धुमभि प १०,४३,७ भापो भूमिठा इत्ये हो ११६१,९ आपो व प्रथम ७४२,१ क्षयथा १०,३०, १२ - आपोहयद्वी १०, १०१,७ मापोष्ठिा मयोभुव १०३, १ आमा मित्रावरुण ७,५०, १ आमासु पक्कमैरय ८८१३७ का मित्रावरुणा भग ९७८ आ मित्रे बरुगे वय ५, ७१ १ लानूरज प्रत्यावतय ६४७३ आम अस्य प्रतीव्यम् ८,१६७८ क्षा मे वचास्युग्रता ८,१०१७ आ मेहत्र नासत्यादिना ८५८४१ हस्तेन सादित ६, १६,४० भाय पनौ जायमान ६१०५४ लाय पो भानुना ६,४८, आयपुर नार्मिणीमंदी १,१४९,३ नाय सोमन जठर ५३८,२ लाय स्वपूर्ण भानुना २,८,४ आप गौ वृश्चिरकमीत् १०,१८९, १ आपनी वानसामा १,२८,७ आ यज्ञैदव मर्त्य ५, १७, १ आना अभिचक्षे ५,३११२ आत्म्य ८६९१- श्रा व्यायव महन्तम १,११,१७ आध्यायस्व समेतु १,६९,३,४ आम द्रव परावतो ८८२१ आप्रद्रव हरियो ५, ३१, २ आपात मरुती ८,२७८ त्रा रत्नासि दिग्पानि ४,५३३ आनुपायन मधुन १०,६८४ का वुन्द नृत्रा ८४५४ भन्दमाने उपा९, १४९७ सामान उपसा ३०४,६ का भरत शिक्षत वज्रबाहू २१०९,७ म भारय मिरुपसाम् ५७६,१ मा भानुना पार्थिवानि ६१,६ भारती भारतीमि ३,४८६७,२८ आभिरिधमाश्रय ८,२३,२३ आमिष्टे गाभिं ४,०४ माभि स्टो मिठी ६०५२ भाभूत्या सहजाच To,८४,६ आभूपेण्य वा महतो ५५५४ भाभागय १,११२ मन्त्रानुक्रमणिका आ मध्वो अस्मा असिचन् १०,२९,७ आ मनीषामन्तरिक्षस्य १,१९,६ श्री मन्द्रमा वरेण्यम् ९, ६५,२९ यत्साक यशसा ७,३६,६ कायदइवान् वनन्त्रत ८,१३१ भा यदिश्च दक्ष ८३४१६ यदिप नृपति ते आ यद्व मानट १,७१८ १,३०,१५ आ यद् व पाठ मायद्दपावसे न कारु २,१६५०१ आप बिना २,६३.२ काययोनिं हिरण्यय वय ५,१७२ भावान हिरण्ययमा ९,१४ माहारा नात्र 96c1 आहार धरम ८,१६,५ आ यह थापणा र ८८ [ ३९१५ ]