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ब्रह्मास्पुटसिद्धान्ते
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=गतावम-+-अमश-= र+- अवश-छेदगमेन अवम . य = कक् . र+-अवमशे
ब्राह्मस्फुटसिद्धान्ते
समशोधनेन प्रवम. य-र. ककृ=अवमशे, ततः प्रश्नोक्त्या अवम . य-र. ककु
+इ=र पक्षयोः र. ककु योजनेन अवम . य+इ=र-+ र. ककु=र (१+ककु)
समशोधनेन अवम. यः-=र (१+-ककु) इ अत र (१+-ककु) +:इ
कुट्टकेन य मानं सुखेन विदितं भवेत् ॥
द्वितीय प्रश्ने कल्प्यते गतसौरप्रमाणम्=य । गताधिमासः=र, तदाऽनु
अधिमास . य गताधिमास-1- र-+-अधिशे, छेदगमेन अधिमा
य=कसौ. र+-अधिशे, समशोधनेन अधिमा. य–कसौ. र=अधिशे प्रश्नोक्त्या
अधिमा. य–कसौ. र+इ=र पृक्षयोः कसौ• र योजनेन अधिमा. य+इ=र
+कसौ. र=र (१+-कसौ) सभशोधनेन अधिमा . य=र (१+-कसौ) इ अतः
य अत्र कुट्टकेन य मानं सुखेन विदितं भवेदिति ॥५८॥
अब अन्य प्रश्नों को कहते है।
हि. भा.--इष्टाङ्क से युत वा हीन अवम शष अवम के बराबर है तथा इष्टाङ्क से
युत वा हीन अविमास शष अधिमास के बराबर है इसका उत्तर वर्ष पर्यन्त करते हुए व्यक्ति
गणक है इति ।
कल्पना करते हैं अहर्गण प्रमाण =य । गतावम=र, तब अनुपात से
,
अवम. य-र. ककु= अवभश, तब प्रश्नालाप से अवम. य—र . ककु+इ=र दोनों पक्षों
में र. ककु जोड़ने से अवम. य+इ=र+-र. ककु=र (१+-ककु) समशोधन से अवम. य
र (१+ककु)+इ=
इ अतः य, यहां कुट्टक से सुगमता से यं मान
विदित हो जायगा।
द्वितीय प्रश्न में कल्पना करने हैं गत और प्रमाण=य । गताधिमास=र तब
अधिमा . य अधिश अधिश
अनुपात से र-+- छेदगम से अधिमा . य
छेदगम से प्रवम. य=ककू. र+-अवश समशोधन से
==कसौ . र+-अधिशे, समशोधन से अधिशे= अघिमा . य-कसौ . र अब प्रश्नालाप से
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