महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्
अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि[१] शैलसुते ॥१॥
सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिष मोषिणि घोषरते।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२॥
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रिय वासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते।
मधुमधुरे [२]मधुकैटभ गञ्जिनि कैटभ भञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥३॥
अयि शतखण्ड विखण्डित रुण्ड वितुण्डित शुंड गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥४॥
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥५॥
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनाद महोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥६॥
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भव शोणित बीजलते।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हतावटुके।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥८॥
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥९॥
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुर शिञ्जितमोहित भूतपते।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१०॥
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥११॥
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१२॥
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३॥
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४॥
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते।
निजगुणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५॥
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे।
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६॥
विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते।
[३]सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७॥
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८॥
कनकलसत्कल सिन्धुजलैरनु षिञ्चति ते गुण रङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भ तटीपरिरम्भ सुखानुभवम्।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९॥
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दुमुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २०॥
अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते।
यदुचितमत्र भवत्युररी कुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१॥
श्री श्री आदिशंकराचार्यविरचितम् महिषासुरमर्दिनिस्तोत्रम्
हिंदी अर्थ:
अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१।।
अर्थ-हे हिमालायराज की कन्या,विश्व को आनंद देने वाली,नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत,गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली,भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली,इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत,भगवान् नीलकंठ की पत्नी,विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली है महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती!अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो ।
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते । त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।२।।
अर्थ-देवों को वरदान देने वाली,दुर्धर और दुर्मुख असुरों को मारने वाली और स्वयं में ही हर्षित (प्रसन्न) रहने वाली,तीनों लोकों का पोषण करने वाली,शंकर को संतुष्ट करने वाली,पापों को हरने वाली और घोर गर्जना करने वाली,दानवों पर क्रोध करने वाली, अहंकारियों के घमंड को सुखा देने वाली,समुद्र की पुत्री हे महिषासुर का मर्दन करने वाली,अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो ।
अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते। शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते।। मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।३।।
अर्थ-हे जगतमाता,मेरी माँ,प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली,हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित,मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली,महिष को विदीर्ण करने वाली,सदा युद्ध में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो, जय हो।
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते।रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते।। निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।४।।
अर्थ-शत्रुओं के हाथियों की सूंड काटने वाली और उनके सौ टुकड़े करने वाली,जिनका सिंह शत्रुओं के हाथियों के सर अलग अलग टुकड़े कर देता है, अपनी भुजाओं के अस्त्रों से चण्ड और मुंड के शीश काटने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो ।
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते। चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते।। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।५।।
अर्थ-रण में मदोंमत शत्रुओं का वध करने वाली, अजर अविनाशी शक्तियां धारण करने वाली, प्रमथनाथ(शिव) की चतुराई जानकार उन्हें अपना दूत बनाने वाली,दुर्मति और बुरे विचार वाले दानव के दूत के प्रस्ताव का अंत करने वाली,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभय दायकरे। त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शूलकरे।। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिनकरे। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥६।।
अर्थ-शरणागत शत्रुओं की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें अभयदान देने वाली,तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्यों पर प्रहार करने योग्य त्रिशूल धारण करने वाली,देवताओं की दुन्दुभी से 'दुमि दुमि' की ध्वनि को सभी दिशाओं में व्याप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते। समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते।। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।७।।
अर्थ-मात्र अपनी हुंकार से धूम्रलोचन राक्षस को धूम्र (धुएं) के सामान भस्म करने वाली,युद्ध में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न अन्य रक्तबीजों का रक्त पीने वाली,शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों की बली से शिव और भूत- प्रेतों को तृप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके। कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके।। कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्वहुरङ्ग रटद्बटुके। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।८।।
अर्थ-युद्ध भूमि में जिनके हाथों के कंगन धनुष के साथ चमकते हैं,जिनके सोने के तीर शत्रुओं को विदीर्ण करके लाल हो जाते हैं और उनकी चीख निकालते हैं,चारों प्रकार की सेनाओं [हाथी, घोडा,पैदल,रथ] का संहार करने वाली अनेक प्रकार की ध्वनि करने वाले बटुकों को उत्पन्न करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो ।
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते। कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते।। धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।९।।
अर्थ-देवांगनाओं के तत-था थेयि-थेयि आदि शब्दों से युक्त भावमय नृत्य में मग्न रहने वाली, कु-कुथ अड्डी विभिन्न प्रकार की मात्राओं वाले ताल वाले स्वर्गीय गीतों को सुनने में लीन, मृदंग की धू- धुकुट,धिमि-धिमि आदि गंभीर ध्वनि सुनने में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते। झणझणझिझिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।। नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१०।।
अर्थ-जय जयकार करने और स्तुति करने वाले समस्त विश्व के द्वारा नमस्कृत,अपने नूपुर के झण-झण और झिम्झिम शब्दों से भूतपति महादेव को मोहित करने वाली,नटी-नटों के नायक अर्धनारीश्वर के नृत्य से सुशोभित नाट्य में तल्लीन रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते। श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते।। सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।११।।
अर्थ-आकर्षक कान्ति के साथ अति सुन्दर मन से युक्त और रात्रि के आश्रय अर्थात चंद्र देव की आभा को अपने चेहरे की सुन्दरता से फीका करने वाली, काले भंवरों के सामान सुन्दर नेत्रों वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते। विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते।। शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१२।।
अर्थ-महायोद्धाओं से युद्ध में चमेली के पुष्पों की भाँति कोमल स्त्रियों के साथ रहने वाली तथा चमेली की लताओं की भाँति कोमल भील स्त्रियों से जो झींगुरों के झुण्ड की भाँती घिरी हुई हैं,चेहरे पर उल्लास(खुशी) से उत्पन्न,उषाकाल के सूर्य और खिले हए लाल फूल के समान मुस्कान वाली,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली,अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्गजराजपते। त्रिभुवनभूषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते।। अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१३।।
अर्थ-जिसके कानों से अविरल(लगातार) मद बहता रहता है उस हाथी के समान उत्तेजित हे गजेश्वरी,तीनों लोकों के आभूषण रूप-सौंदर्य,शक्ति और कलाओं से सुशोभित हे राजपुत्री,सुंदर मुस्कान वाली स्त्रियों को पाने के लिए मन में मोह उत्पन्न करने वाली मन्मथ(कामदेव) की पुत्री के समान,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते। सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले।। अलिकुलसकुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्वकुलालिकुले। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१४।।
अर्थ-जिनका कमल दल (पखुड़ी) के समान कोमल,स्वच्छ और कांति (चमक) से युक्त मस्तक है,हंसों के समान जिनकी चाल है,जिनसे सभी कलाओं का उद्भव हुआ है,जिनके बालों में भंवरों से घिरे कुमुदनी के फूल और बकुल पुष्प सुशोभित हैं उन महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री की जय हो,जय हो,जय हो।
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते। मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते।। निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१५।।
अर्थ-जिनके हाथों की मुरली से बहने वाली ध्वनि से कोयल की आवाज भी लज्जित हो जाती है,जो खिले हुए फूलों से रंगीन पर्वतों से विचरती हुयी, पुलिंद जनजाति की स्त्रियों के साथ मनोहर गीत जाती हैं,जो सद्गुणों से सम्पान शबरी जाति की स्त्रियों के साथ खेलती हैं उन महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री की जय हो,जय हो,जय हो।
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे। प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे।। जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१६।।
अर्थ-जिनकी चमक से चन्द्रमा की रौशनी फीकी पड़ जाए ऐसे सुन्दर रेशम के वस्त्रों से जिनकी कमर सुशोभित है,देवताओं और असुरों के सर झुकने पर उनके मुकुट की मणियों से जिनके पैरों के नाखून चंद्रमा की भाति दमकते हैं और जैसे सोने के पर्वतों पर विजय पाकर कोई हाथी मदोन्मत होता है वैसे ही देवी के वक्ष स्थल कलश की भाँति प्रतीत होते हैं ऐसी हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
विजितसहसकरेक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते। कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते।। सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१७।।
अर्थ-सहस्रों(हजारों) दैत्यों के सहस्रों हाथों से सहस्रों युद्ध जीतने वाली और सहस्रों हाथों से पूजित, सुरतारक(देवताओं को बचाने वाला) उत्पन्न करने वाली,उसका तारकासुर के साथ युद्ध कराने वाली,राजा सुरथ और समाधि नामक वैश्य की भक्ति से समान रूप से संतुष्ट होने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे। अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्।। तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१८।।
अर्थ-जो भी तुम्हारे दयामय पद कमलों की सेवा करता है,हे कमला!(लक्ष्मी) वह व्यक्ति कमलानिवास (धनी) कैसे न बने? हे शिवे! तुम्हारे पदकमल ही परमपद हैं उनका ध्यान करने पर भी परम पद कैसे नहीं पाऊंगा? हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
कनकलसत्कलसिन्धुजलेरनुषिञ्चति ते गुणरङ्गभुवम्। भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् । तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्।जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१९।।
अर्थ-सोने के समान चमकते हुए नदी के जल से जो तुम्हे रंग भवन में छिड़काव करेगा वो शची (इंद्राणी) के वक्ष से आलिंगित होने वाले इंद्र के समान सुखानुभूति क्यों न पायेगा? हे वाणी! (महासरस्वती) तुममे मांगल्य का निवास है,मैं तुम्हारे चरण में शरण लेता हूँ,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो ।
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननुकूलयते। किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखीसु मुखीभिरसौ विमुखीक्रियते। ममतु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुतक्रियते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।२०।।
अर्थ-तुम्हारा निर्मल चन्द्र समान मुख चन्द्रमा का निवास है जो सभी अशुद्धियों को दूर कर देता है, नहीं तो क्यों मेरा मन इंद्रपूरी की सुन्दर स्त्रियों से विमुख हो गया है? मेरे मत के अनुसार तुम्हारी कृपा के बिना शिव नाम के धन की प्राप्ति कैसे संभव हो सकती है? हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
अयि मयि दीन दयालु-तया कृपयेव त्वया भवितव्यमुमे । अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासि रते ।। यदुचितमत्र भवत्पुररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते।जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।२१।।
अर्थ-हे दीनों पर दया करने वाली उमा। मुझ पर भी दया कर ही दो, हे जगत जननी! जैसे तुम दया की वर्ष करती हो वैसे ही तीरों की वर्ष भी करती हो,इसलिए इस समय जैसा तुम्हें उचित लगे वैसा करो मेरे पाप और ताप दूर करो,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।।
English Translation:
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१॥
Ayi giri nandini, nandhitha medhini, Viswa vinodhini nandanuthe, Girivara vindhya sirodhi nivasini, Vishnu Vilasini Jishnu nuthe, Bhagawathi hey sithi kanda kudumbini, Bhoori kudumbini bhoori kruthe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini, Ramya kapardini, shaila Suthe. 1
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Who makes the whole earth happy, Who rejoices with this universe, Who is the daughter of Nanda, Who resides on the peak of Vindhyas, Who plays with Lord Vishnu, Who has a glittering mien, Who is praised by other goddesses, Who is the consort of the lord with the blue neck, Who has several families, Who does good to her family. Who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
Suravara varshini, durdara darshini, Durmukhamarshani, harsha rathe, Tribhuvana poshini, Sankara thoshini, Kilbisisha moshini, ghosha rathe, Danuja niroshini, Dithisutha roshini, Durmatha soshini, Sindhu suthe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 2
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh goddess who showers boons on devas, Who punishes those who are undisciplined. Who tolerates ugly faced ogres, Who enjoys in being happy, Who looks after the three worlds, Who pleases lord Shiva, Who removes effect of sins, Who rejoices with the holy sound, Who is angry on the progenies of Dhanu, Who is angry with the children of Dithi, Who discourages those with pride, Who is the daughter of the Ocean, Who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते। मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥३ ॥
Ayi Jagadambha Madambha , Kadambha, Vana priya vasini, Hasarathe, Shikhari siromani, thunga Himalaya, Srunga nijalaya, madhyagathe, Madhu Madure, Mdhukaitabha banjini, Kaitabha banjini, rasa rathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 3
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh , mother of the entire world, Who loves to live in the forest of Kadambha trees, Who enjoys to smile, Who lives in the top peak of the great Himalayas Who is sweeter than honey, Who keeps the treasures of Madhu and Kaidabha, Who is the slayer of Kaidabha, Who enjoys her dancing, Who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते। निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥४ ॥
Ayi satha kanda, vikanditha runda, Vithunditha shunda, Gajathipathe, Ripu Gaja ganda , Vidhaarana chanda, Paraakrama shunda, mrugathipathe, Nija bhuja danda nipaathitha khanda, Vipaathitha munda, bhatathipathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 4
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess who breaks the heads of ogres, In to hundreds of pieces, Who cuts the trunks of elephants in battle, Who rides on the valorous lion, Which tears the heads of elephants to pieces, Who severs the heads of the generals of the enemy, With her own arms, Who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥५ ॥
Ayi rana durmathaShathru vadhothitha, Durdhara nirjjara, shakthi bruthe, Chathura vicharadureena maha shiva, Duthatkrutha pramadhipathe, Duritha Dureeha, dhurasaya durmathi, Dhanava dhutha kruithaanthamathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 5
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess who has the strength which never diminishes, To gain victory over enemies in the battle field, Who made Pramatha, the attendant of Lord Shiva, Known for his tricky strategy, as her assistant, Who took the decision to destroy the asuras, Who are bad people, with evil thoughts and mind, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥६ ॥
Ayi saranagatha vairi vadhuvara, Veera varaa bhaya dhayakare, Tribhuvana masthaka soola virodhi, Sirodhi krithamala shoolakare, Dimidmi thaamara dundubinadha mahaa , ukharikruthatigmakare, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 6
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess who forgives and gives refuge, To the heroic soldiers of the enemy rank, Whose wives come seeking refuge for them, Oh Goddess who is armed with trident , Ready to throw on the heads of those, Who cause great pain to the three worlds, Oh Goddess who shines likes the hot sun, And who is aroused by sound of “Dhumi, Dhumi,” Produced by the beating of drums by the devas, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ७ ॥
Ayi nija huum kruthimathra niraakrutha, Dhoomra vilochana Dhoomra sathe, Samara vishoshitha sonitha bheeja, Samudhbhava sonitha bheejalathe, Shiva shiva shumbha nishumbhamaha hava, Tarpitha bhootha pisacha rathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 7
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh, Goddess who blew away hundreds of ogres, Who had smoking eyes, With her mere sound of “Hum” Oh Goddess who is the blood red creeper, Emanating from the seeds of blood, Which fell in the battle field, Oh Goddess who delights in the company of Lord Shiva, And the ogres Shumbha and Nishumbha, Who were sacrificed in the battle field, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके। कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥८ ॥
Dhanu ranushanga rana kshana sanga, Parisphuradanga natath katake, Kanaka pishanga brushathka nishanga, Rasadbhata shrunga hatavatuke, Kritha chaturanga bala kshithirangakadath , Bahuranga ratadhpatuke, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 8
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess who decks herself with ornaments, On her throbbing limbs in the field of battle, When she gets her bow ready to fight, Oh Goddess , who killed her enemies, In the field of battle with a shining sword, And the shaking of her golden brown spots, Oh Goddess , who made the battle ground of the four fold army, In to a stage of drama with screaming little soldiers, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते। धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥९॥
Sura-Lalanaa Tatatheyi Tatheyi Krta-Abhinayo-[U]dara Nrtya-Rate Krta Kukuthah Kukutho Gaddadaadika-Taala Kutuuhala Gaana-Rate | Dhudhukutta Dhukkutta Dhimdhimita Dhvani Dhiira Mrdamga Ninaada-Rate Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute 9
You who's praises are sung by people ever eager to praise You with charming words like ‘victory to You’, who captivate even Siva, the Lord of all beings with the clinging sound of Your anklets, who are fond of dancing with Siva in the sport in which He dances as Ardhanareeswara, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You.
जय जय जप्य जये जय शब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते। नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१०॥
Jaya Jaya hey japya jayejaya shabda , Parastuti tatpara vishvanute , Bhana Bhanabhinjimi bhingrutha noopura, Sinjitha mohitha bhootha pathe, Nadintha nataartha nadi nada nayaka, Naditha natya sugaanarathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 10
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess , whose victory is sung, By the whole universe, Which is interested in singing her victory, Oh Goddess who attracts the attention of Lord Shiva, By the twinkling sound made by her anklets, While she is engaged in dancing, Oh Goddess who gets delighted , By the dance and drama by versatile actors, Even while she is half of Lord Shiva’s body, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते। सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ११॥
Ayi sumana sumana, Sumana sumanohara kanthiyuthe, Sritha rajani rajani rajani, Rajaneekaravakthra vruthe, Sunayana vibhramarabhrama, Bhramarabrahmaradhipadhe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 11
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess of the people with good mind, Who is greatly gracious to such people, Oh Goddess who appears very pretty to the good minded, Oh Goddess with moon like face, Who is as cool as the moon ,to those in the dark, Oh Goddess whose face shines in the moon light, Oh Goddess whose very pretty flower like eyes attracts the bees , Oh Goddess who attracts devotees ,like a flower which attracts bees, Oh Goddess who attracts her lord like a bee, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते। शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२॥
Sahitha maha hava mallama hallika, Mallitharallaka mallarathe, Virachithavallika pallika mallika billika , Bhillika varga Vruthe, Sithakruthapulli samulla sitharuna, Thallaja pallava sallalithe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 12
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess who becomes happy, In the sport of battle, assisted by warriors, Oh Goddess who is surrounded by hunters, Whose hut is surrounded by creepers, And the tribes of Mallikas, Jillakas and Bhillakas, Oh Goddess who is as pretty as The famous fully opened flower, Oh Goddess , who is as pretty as the creeper, Full of red tender leaves, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते । अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
Avirala ganda kalatha mada medura, Matha matanga rajapathe, Tribhuvana bhooshana bhootha kalanidhi, Roopa payonidhi raja suthe, Ayi suda thijjana lalasa manasa , Mohana manmatha raja suthe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 13
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess , who walks like a royal elephant in rut, In Whose face there is a copious flow of ichors, Oh Goddess , who is the daughter of the ocean of milk, From where the pretty moon also took his birth, Oh Goddess who is the ornament of the three worlds, Oh Goddess who is worshipped by the God of love, Who fills the minds of pretty ladies with desire, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले । अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
Kamala dalaamala komala kanthi, Kala kalithaamala bala lathe, Sakala vilasa Kala nilayakrama, Keli chalathkala hamsa kule, Alikula sankula kuvalaya mandala , Mauli miladh bhakulalikule, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 14
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess , whose spotless forehead, Which is of delicate prettiness, Is like pure and tender lotus leaf, Oh Goddess who moves like the spotlessly pretty swans, Which Move with delicate steps, And which is the epitome of arts,, Oh Goddess ,Whose tress is surrounded By bees from bakula trees, Which normally crowd the tops of lotus flowers, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते । निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
Kara murali rava veejitha koojitha, Lajjitha kokila manjumathe, Militha pulinda manohara kunchitha, Ranchitha shaila nikunjakathe, Nija guna bhootha maha sabari gana, Sathguna sambrutha kelithale, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 15
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess with sweet tender thoughts, Whose sweet enchanting music, Made through the flute in her hands, Put the sweet voiced nightingale to shame, Oh Goddess who stays in pleasant mountain groves, Which resound with the voice of tribal folks, Oh Goddess, whose playful stadium, Is filled with flocks of tribal women, Who have many qualities similar to her, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
Kati thata peetha dukoola vichithra, Mayuka thiraskrutha Chandra ruche, Pranatha suraasura mouli mani sphura , Damsula sannka Chandra ruche, Jitha kanakachala maulipadorjitha, Nirbhara kunjara kumbhakuche, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 16
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh goddess, who wears yellow silks on her waist, Which has peculiar brilliance,That puts the moon to shame, Oh goddess, whose toe nails shine like the moon, Because of the reflection of the light, From the crowns of Gods and asuras who bow at her feet, Oh Goddess whose breasts which challenge,The forehead of elephants and the peaks of golden mountains, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते । सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
Vijitha sahasra karaika sahasrakaraika, Sarakaraika nuthe, Krutha sutha tharaka sangaratharaka, Sangaratharaka soonu suthe, Suratha Samadhi samana Samadhi, Samadhi Samadhi sujatharathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 17
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess , whose splendour , Defeats the Sun with his thousand rays Oh Goddess , who is saluted by the Sun, Who has thousands of rays, Oh Goddess who was praised, By Tharakasura after his defeat, In the war between him and your son, Oh Goddess who was pleased with King Suratha, And the rich merchant called Samadhi, Who entered in to Samadhi, And who prayed for endless Samadhi, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् । तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
Padakamalam karuna nilaye varivasyathi, yo anudhinam sa shive, Ayi kamale kamala nilaye kamala nilaya, Sa katham na bhaveth, Thava padameva param ithi, Anusheelayatho mama kim na shive, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 18
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Oh Goddess, in whom mercy lives, And who is auspiciousness itself, He who worships thine lotus feet, Daily without fail, Would for sure be endowed with wealth, By that Goddess who lives on lotus, And if I consider thine feet as only refuge, Is there anything that I will not get, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम् भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् । तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम् जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
Kanakala sathkala sindhu jalairanu, Sinjinuthe guna ranga bhuvam, Bhajathi sa kim na Shachi kucha kumbha, Thati pari rambha sukhanubhavam, Thava charanam saranam kara vani, Nataamaravaaninivasi shivam, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 19
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, He who sprinkles the water of the ocean, Taken in a golden pot , on your play ground, Oh Goddess will get the same pleasure , Like the Indra in heaven, when he fondles, The pot like breasts of his wife Suchi, So I take refuge in thine feet Oh Goddess, Which is also place where Shiva resides, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते । मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥
Thava Vimalendu kulam vadnedumalam, Sakalayananu kulayathe, Kimu puruhootha pureendu mukhi, Sumukhibhee rasou vimukhi kriyathe, Mama thu matham shivanama dhane, Bhavathi krupaya kimu na kriyathe, Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 20
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, He who keeps thine face adorned by moon, In his thought would never face rejection, By the bevy of pretty beauties with moon like face, In the celestial Indra’s court, And so oh Goddess who is held in esteem by Shiva, I am sure you would not reject my wishes, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते । यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
Ayi mai deena dayalu thaya krupayaiva, Thvaya bhavthavyam ume, Ayi jagatho janani kripayaa asi, thatha anumithasi rathe Na yaduchitham atra bhavathvya rari kurutha, durutha pamapakarute Jaya Jaya hey Mahishasura mardini , Ramya kapardini, shaila Suthe. 21
Victory and victory to you, Oh darling daughter of the mountain, Please shower some mercy on me, As you are most merciful on the oppressed. Oh mother of the universe ,be pleased, To give me the independence , To consider you as my mother And do not reject my prayer even if it is improper, But be pleased to drive away all my sorrows, Oh Goddess who has captivating braided hair, Who is the daughter of a mountain. And who is the slayer of Mahishasura.
टिप्पणी
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- ↑ मधु-कैटभ उपरि टिप्पणी
- ↑ मार्कण्डेयपुराणे सुरथ-समाधि आख्यानम्