"पञ्चतन्त्रम् ०२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः २,५१३:
इति श्री-विष्णु-शर्म-विरचितॆ पञ्चतंत्रॆ
मित्र-भॆदॊ नाम प्रथमम्̣ तंत्रम् ||
[[category:Sanskrit]]
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पङ्क्तिः २,५१३:
इति श्री-विष्णु-शर्म-विरचितॆ पञ्चतंत्रॆ
मित्र-भॆदॊ नाम प्रथमम्̣ तंत्रम् ||
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