"अग्निपुराणम्/अध्यायः ३८२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः २४:
अभिन्नयोर्भेदकरः प्रत्ययो यः परात्मनः ।
तच्छान्तिपरमं श्रेयो ब्रह्मोद्गीतमुदाहृतं ।। ३८२.७ ।।
{{जीवात्मा और परमात्मा वस्तुतः अभिन्न हैं, इनमें जो भेद की प्रतीति होती है, उसका निवारण करना ही परम कल्याण का हेतु है- यह ब्रह्माजी का सिद्धान्त है।}} ▼
कर्त्तव्यमिति यत्कर्म्म ऋग्यजुःसामसंज्ञितं ।
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[[वर्गः:अग्निपुराणम्]]
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