"पृष्ठम्:मृच्छकटिकम्.pdf/१०३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
अङ्कनानि : जङ्गमदूरवाण्या सम्पादितम् जङ्गमदूरवाण्या जालसम्पादनम् |
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पुटस्थितिः | पुटस्थितिः | ||
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दिगवलम्बितमुख |
दिगवलम्बितमुख इत्यर्थः ॥ रअणसट्ठिं रत्नषष्ठिकाभिधं व्रतम् । अरण्यषष्टिका |
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नाम ग्रीष्मव्रतम् इत्येके ॥ आत्मेति ॥ २७॥ विभवेति ॥ २८ ॥ |
नाम ग्रीष्मव्रतम् इत्येके ॥ '''आत्मेति''' ॥ २७॥ '''विभवेति''' ॥ २८ ॥ |
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टिप्प-1 चारुदत्तपत्न्या इत्यर्थः । |
टिप्प-1 चारुदत्तपत्न्या इत्यर्थः । |