"सूर्यसिद्धान्त मध्यमाधिकारः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
→बाहरी कड़ियाँ: Removing Sanskrit category as all pages here r of sanskrit using AWB |
No edit summary |
||
पङ्क्तिः ३:
[[सूर्यसिद्धान्त]] अनुक्रमणिका<br>
<br>
<br> ''' १ ०१क''' अचिन्त्याव्यक्तरूपाय निर्गुणाय
<br> ''' १.०१ख''' समस्तजगदाधारमूर्तये ब्रह्मणे नमः
<br> ''' १.०२क''' अल्पावशिष्टे तु कृते *मयो नाम
<br> ''' १.०२ख''' रहस्यम् परमम् पुण्यम् जिज्ञासुर् ज्ञानम् उत्तमम्
<br> ''' १.०३क''' वेदाङ्गम् अग्र्यम् अखिलम् ज्योतिषाम्
<br> ''' १.०३ख''' आराधयन् विवस्वन्तम् तपस् तेपे सुदुश्चरम्
<br> ''' १.०४क''' तोषितस् तपसा तेन प्रीतस् तस्मै
<br> ''' १.०४ख''' ग्रहाणाम् चरितम् प्रादान् मयाय सविता स्वयम्
<br> ''' १.०५क''' विदितस् ते *मया भावस् तोषितस् तपसा ह्य्
<br> ''' १.०५ख''' दद्याम् कालाश्रयम् ज्ञानम् ग्रहाणाम् चरितम् महत्
<br> ''' १.०६क''' न मे तेजःसहः कश्चिद् आख्यातुम् नास्ति मे
<br> ''' १.०६ख''' मदम्शः पुरुषो +अयम् ते निःशेषम् कथयिष्यति
<br> ''' १.०७क''' इत्य् उक्त्वान्तर्दधे देवः समादिश्याम्शम्
<br> ''' १.०७ख''' स पुमान् मयम् आहेदम् प्रणतम् प्राञ्जलिस्थितम्
<br> ''' १.०८क''' शृणुष्वैकमनाः पूर्वम् यद् उक्तम् ज्ञानम्
<br> ''' १.०८ख''' युगे युगे महर्षीणाम् स्वयम् एव विवस्वता
<br> ''' १.०९क''' शास्त्रम् आद्यम् तद् एवेदम् यत् पूर्वम् प्राह
<br> ''' १.०९ख''' युगानाम् परिवर्तेन कालभेदो +अत्र *केवलः
<br> ''' १.१०क''' लोकानाम् अन्तकृत् कालः कालो +अन्यः
<br> ''' १.१०ख''' स द्विधा स्थूलसूक्ष्मत्वान् मूर्तश् चामूर्त उच्यते
<br> ''' १.११क''' प्राणादिः कथितो मूर्तस् त्रुट्याद्यो +
<br> ''' १.११ख''' षड्भिः प्राणैर् विनाडी स्यात् तत्षष्ट्या नाडिका स्मृता
<br> ''' १.१२क''' नाडीषष्ट्या तु नाक्षत्रम् अहोरात्रम्
<br> ''' १.१२ख''' तत्त्रिम्शता भवेन् मासः सावनो +अर्कोदयैस् तथा
<br> ''' १.१३क''' ऐन्दवस् तिथिभिस् तद्वत् सम्क्रान्त्या सौर
<br> ''' १.१३ख''' मासैर् द्वादशभिर् वर्षम् दिव्यम् तद् अह उच्यते
<br> ''' १.१४क''' सुरासुराणाम् अन्योन्यम् अहोरात्रम्
<br> ''' १.१४ख''' तत्षष्टिः षड्गुणा दिव्यम् वर्षम् आसुरम् एव च
<br> ''' १.१५क''' तद्द्वादशसहस्राणि चतुर्युगम्
<br> ''' १.१५ख''' सूर्याब्दसम्ख्यया द्वित्रिसागरैर् अयुताहतैः
<br> ''' १.१६क''' सन्ध्यासन्ध्याम्शसहितम् विज्ञेयम्
<br> ''' १.१६ख''' कृतादीनाम् व्यवस्थेयम् धर्मपादव्यवस्थया
<br> ''' १.१७क''' युगस्य दशमो भागश्
<br> ''' १.१७ख''' क्रमात् कृतयुगादीनाम् षष्ठाम्शः सन्ध्ययोः स्वकः
<br> ''' १.१८क''' युगानाम् सप्ततिः सैका मन्वन्तरम्
<br> ''' १.१८ख''' *कृताब्दसम्ख्यास् तस्यान्ते सन्धिः प्रोक्तो जलप्लवः
<br> ''' १.१९क''' ससन्धयस् ते मनवः कल्पे ज्ञेयास्
<br> ''' १.१९ख''' कृतप्रमाणः कल्पादौ सन्धिः पञ्चदशः स्मृतः
<br> ''' १.२०क''' इत्थम् युगसहस्रेण
<br> ''' १.२०ख''' कल्पो ब्राह्मम् अहः प्रोक्तम् शर्वरी तस्य तावती
<br> ''' १.२१क''' परमायुः शतम् तस्य
<br> ''' १.२१ख''' आयुषो +अर्धमितम् तस्य शेषकल्पो +अयम् आदिमः
<br> ''' १.२२क''' कल्पाद् अस्माच् च मनवः षड् व्यतीताः
<br> ''' १.२२ख''' वैवस्वतस्य च *मनोर् युगानाम् त्रिघनो गतः
<br> ''' १.२३क''' अष्टाविम्शाद् युगाद् अस्माद् यातम् एतत् कृतम्
<br> ''' १.२३ख''' अतः कालम् प्रसम्ख्याय सम्ख्याम् एकत्र पिण्डयेत्
<br> ''' १.२४क''' ग्रहर्क्षदेवदैत्यादि सृजतो +अस्य
<br> ''' १.२४ख''' कृताद्रिवेदा दिव्याब्दाः शतघ्ना वेधसो गताः
<br> ''' १.२५क''' पश्चाद् व्रजन्तो +अतिजवान् नक्षत्रैः सततम्
<br> ''' १.२५ख''' जीयमानास् तु लम्बन्ते तुल्यम् एव स्वमार्गगाः
<br> ''' १.२६क''' प्राग्गतित्वम् अतस् तेषाम् भगणैः प्रत्यहम्
<br> ''' १.२६ख''' परिणाहवशाद् भिन्ना तद्वशाद् भानि भुञ्जते
<br> ''' १.२७क''' शीघ्रगस् तान्य् अथाल्पेन कालेन
<br> ''' १.२७ख''' तेषाम् तु परिवर्तेन पौष्णान्ते भगणः स्मृतः
<br> ''' १.२८क''' विकलानाम् कला षष्ट्या तत्षष्ट्या भाग
<br> ''' १.२८ख''' तत्त्रिम्शता भवेद् राशिर् भगणो द्वादशैव ते
<br> ''' १.२९क''' युगे सूर्यज्ञशुक्राणाम्
<br> ''' १.२९ख''' कुजार्किगुरुशीघ्राणाम् भगणाः पूर्वयायिनाम्
<br> ''' १.३०क''' इन्दो
<br> ''' १.३०ख''' दस्रत्र्यष्टरसाङ्काक्षिलोचनानि कुजस्य तु
<br> ''' १.३१क''' बुधशीघ्रस्य
<br> ''' १.३१ख''' बृहस्पतेः खदस्राक्षिवेदषड्वह्नयस् तथा
<br> ''' १.३२क''' सितशीघ्रस्य
<br> ''' १.३२ख''' शनेर् भुजङ्गषट्पञ्चरसवेदनिशाकराः
<br> ''' १.३३क''' चन्द्रोच्चस्याग्निशून्याश्विवसुसर्पार्णवा
<br> ''' १.३३ख''' वामम् पातस्य वस्वग्नियमाश्विशिखिदस्रकाः
<br> ''' १.३४क''' भानाम्
<br> ''' १.३४ख''' भोदया भगणैः स्वैः स्वैर् ऊनाः स्वस्वोदया युगे
<br> ''' १.३५क''' भवन्ति शशिनो मासाः
<br> ''' १.३५ख''' रविमासोनितास् ते तु शेषाः स्युर् अधिमासकाः
<br> ''' १.३६क''' सावहाहानि चान्द्रेभ्यो द्युभ्यः प्रोज्झ्य
<br> ''' १.३६ख''' उदयाद् उदयम् भानोर् भूमिसावनवासरः
<br> ''' १.३७क''' वसुद्व्यष्टाद्रिरूपाङ्कसप्ताद्रितिथयो
<br> ''' १.३७ख''' चान्द्राः खाष्टखखव्योमखाग्निखर्तुनिशाकराः
<br> ''' १.३८क''' षड्वह्नित्रिहुताशाङ्कतिथयश्
<br> ''' १.३८ख''' तिथिक्षया यमार्थाश्विद्व्यष्टव्योमशराश्विनः
<br> ''' १.३९क''' खचतुष्कसमुद्राष्टकुपञ्च
<br> ''' १.३९ख''' भवन्ति भोदया भानुभगणैर् ऊनिताः क्वहाः
<br> ''' १.४०क''' अधिमासोनरात्र्यार्क्षचान्द्रसावनवासराः।
<br> ''' १.४०ख''' एते सहस्रगुणिताः कल्पे स्युर् भगणादयः
<br> ''' १.४१क''' प्राग्गतेः सूर्यमन्दस्य कल्पे
<br> ''' १.४१ख''' कौजस्य वेदखयमा बौधस्याष्टर्तुवह्नयः
<br> ''' १.४२क''' खखरन्ध्राणि जैवस्य
<br> ''' १.४२ख''' गो +अग्नयः शनिमन्दस्य पातानाम् अथ वामतः
<br> ''' १.४३क''' मनुदस्रास् तु कौजस्य
<br> ''' १.४३ख''' कृताद्रिचन्द्रा जैवस्य त्रिखाङ्काश् च तथा भृगोस्
<br> ''' १.४४क''' शनिपातस्य भगणाः कल्पे
<br> ''' १.४४ख''' भगणाः पूर्वम् एवात्र प्रोक्ताश् चन्द्रोच्चपातयोः
<br> ''' १.४५क''' षण्मनूनाम् तु सम्पीड्य कालम् तत्सन्धिभिः
<br> ''' १.४५ख''' कल्पादिसन्धिना सार्धम् वैवस्वतमनोस् तथा
<br> ''' १.४६क''' युगानाम् त्रिघनम् यातम् तथा कृतयुगम् त्व्
<br> ''' १.४६ख''' प्रोज्झ्य सृष्टेस् ततः कालम् पूर्वोक्तम् दिव्यसम्ख्यया
<br> ''' १.४७क''' सूर्याब्दसम्ख्यया ज्ञेयाः कृतस्यान्ते गता
<br> ''' १.४७ख''' खचतुष्कयमाद्र्यग्निशररन्ध्रनिशाकराः
<br> ''' १.४८क''' अत ऊर्ध्वम् अमी युक्ता
<br> ''' १.४८ख''' मासीकृता युता मासैर् मधुशुक्लादिभिर् गतैः
<br> ''' १.४९क''' पृथक्स्थास् ते +अधिमासघ्नाः
<br> ''' १.४९ख''' लब्धाधिमासकैर् युक्ता दिनीकृत्य दिनान्विताः
<br> ''' १.५०क''' द्विष्ठास् तिथिक्षयाभ्यस्ताश्
<br> ''' १.५०ख''' लब्धोनरात्रिरहिता लङ्कायाम् आर्धरात्रिकः
<br> ''' १.५१क''' सावनो द्युगणः सूर्याद् दिनमासाब्दपास्
<br> ''' १.५१ख''' सप्तभिः क्षयितः शेषः सूर्याद्यो वासरेश्वरः
<br> ''' १.५२क''' मासाब्ददिनसम्ख्याप्तम् द्वित्रिघ्नम्
<br> ''' १.५२ख''' सप्तोद्धृतावशेषौ तु विज्ञेयौ मासवर्षौ
<br> ''' १.५३क''' यथा स्वभगनाभ्यस्तो दिनराशिः
<br> ''' १.५३ख''' विभाजितो मध्यगत्या भगणादिर् ग्रहो भवेत्
<br> ''' १.५४क''' एवम् स्वशीघ्रमन्दोच्चा ये प्रोक्ताः
<br> ''' १.५४ख''' विलोमगतयः पातास् तद्वच् चक्राद् विशोधिताः
<br> ''' १.५५क''' द्वादशघ्ना गुरोर् याता भगणा
<br> ''' १.५५ख''' राशिभिः सहिताः शुद्धाः षष्ट्या स्युर् विजयादयः
<br> ''' १.५६क''' विस्तरेणैतद् उदितम् सम्क्षेपाद्
<br> ''' १.५६ख''' मध्यमानयनम् कार्यम् ग्रहाणाम् इष्टतो युगात्
<br> ''' १.५७क''' अस्मिन् कृतयुगस्यान्ते सर्वे मध्यगता
<br> ''' १.५७ख''' *विना तु पातमन्दोच्चान् मेषादौ तुल्यताम् इताः (ड् विनेन्दु)
<br> ''' १.५८क''' मकरादौ शशाङ्कोच्चम् तत्पातस् तु
<br> ''' १.५८ख''' निरम्शत्वम् गताश् चान्ये नोक्तास् ते मन्दचारिणः
<br> ''' १.५९क''' योजनानि शतान्य् अष्टौ भूकर्णो द्विगुणानि
<br> ''' १.५९ख''' तद्वर्गतो दशगुणात् पदम् भूपरिधिर् भवेत्
<br> ''' १.६०क''' लम्बज्याघ्नस् त्रिजीवाप्तः स्फुटो भूपरिधिः
<br> ''' १.६०ख''' तेन देशान्तराभ्यस्ता ग्रहभुक्तिर् विभाजिता
<br> ''' १.६१क''' कलादि तत् फलम् प्राच्याम् ग्रहेभ्यः
<br> ''' १.६१ख''' रेखाप्रतीचीसम्स्थाने प्रक्षिपेत् स्युः स्वदेशजा
<br> ''' १.६२क''' राक्षसालयदेवौकःशैलयोर्
<br> ''' १.६२ख''' रोहीतकम् अवन्ती च यथा सन्निहितम् सरः
<br> ''' १.६३क''' अतीत्योन्मीलनाद् इन्दोः पश्चात्
<br> ''' १.६३ख''' यदा भवेत् तदा प्राच्याम् स्वस्थानम् मध्यतो भवेत्
<br> ''' १.६४क''' अप्राप्य च भवेत् पश्चाद् एवम् वापि
<br> ''' १.६४ख''' तयोर् अन्तरनाडीभिर् हन्याद् भूपरिधिम् स्फुटम्
<br> ''' १.६५क''' षष्ट्या विभज्य लब्धैस् तु योजनैः प्राग्
<br> ''' १.६५ख''' स्वदेशः परिधौ ज्ञेयः कुर्याद् देशान्तरम् हि तैः
<br> ''' १.६६क''' वारप्रवृत्तिः प्राग्देशे क्षपार्धे +अभ्यधिके
<br> ''' १.६६ख''' तद्देशान्तरनाडीभिः पश्चाद् ऊने विनिर्दिशेत्
<br> ''' १.६७क''' इष्टनाडीगुणा भुक्तिः षष्ट्या भक्ता
<br> ''' १.६७ख''' गते शोध्यम् युतम् गम्ये कृत्वा तात्कालिको भवेत्
<br> ''' १.६८क''' भचक्रलिप्ताशीत्यम्शम् परमम्
<br> ''' १.६८ख''' विक्षिप्यते स्वपातेन स्वक्रान्त्यन्ताद् अनुष्णगुः
<br> ''' १.६९क''' तन्नवाम्शम् द्विगुणितम् जीवस् त्रिगुणितम्
<br> ''' १.६९ख''' बुधशुक्रार्कजाः पातैर् विक्षिप्यन्ते चतुर्गुणम्
<br> ''' १.७०क''' एवम् त्रिघनरन्ध्रार्करसार्कार्का
<br> ''' १.७०ख''' चन्द्रादीनाम् क्रमाद् उक्ता मध्यविकेषेपलिप्तिकाः
<br>
[[सूर्यसिद्धान्त]] अनुक्रमणिका<br>
==संबंधित कड़ियाँ==
*[[आर्यभटीय]]
Line १५६ ⟶ १५७:
**[[गणिताध्याय]]
**[[गोलाध्याय]]
==बाहरी कड़ियाँ==
[[वर्गः:Hinduism]]
|