"ऋग्वेदः सूक्तं ५.३१" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः २४४:
५.३१.४ अनवस्ते इति
[https://sa.wikisource.org/s/2f17 श्लोकानुश्लोके]
इन्द्रायार्काश्वमेधवते पुरोडाशम् एकादशकपालं निर् वपेद् यम् महायज्ञो नोपनमेत् (तैसं. [https://sa.wikisource.org/s/1e22 २.२.७.५]) इत्यस्य पुरोनुवाक्या - अनवस्ते इति।
५.३१.९
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