"ऋग्वेदः सूक्तं १०.१३१" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पङ्क्तिः १३९:
{{टिप्पणी|
[http://puranastudy.freeoda.com/pur_index6/keerti.htm कीर्ति उपरि संक्षिप्तटिप्पणी एवं संदर्भाः]
अप प्राच इन्द्र विश्वाँ अमित्रानिति मैत्रावरुणः पुरस्तात्सूक्तानामहरहः शंसत्यपापाचो अभिभूते नुदस्व अपोदीचो अप शूराधराच उरौ यथा तव शर्मन्मदेमेत्यभयस्य रूपमभयमिव हि यन्निच्छति - ऐ.ब्रा. [https://sa.wikisource.org/s/w1c ६.२२]
|