"रामायणम्/युद्धकाण्डम्/सर्गः १०१" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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[[File:Kanda 6 YK-101-Hanuma brings mountain with life giving herbs 0.ogg|thumb|एकोत्तरशततमःएकाधिकशततमः सर्गः श्रूयताम्|center]]
{{रामायणम्/युद्धकाण्डम्}}
<poem>
 
'''श्रीमद्वाल्मीकियरामायणे युद्धकाण्डे एकोत्तरशततमःएकाधिकशततमः सर्गः ॥६-१०१॥'''
 
शक्त्या निपातितं दृष्ट्वा रावणेन बलीयसा।
पङ्क्तिः १८५:
कुरु च वचो मम शीघ्रमद्य वीर॥ ५६॥
 
'''इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोत्तरशततमःएकाधिकशततमः सर्गः ॥ १०१ ॥'''
</poem>
==स्रोतः==