"ऋग्वेदः सूक्तं १.३" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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महो अर्णः सरस्वती पर चेतयति केतुना ।
धियो विश्वा वि राजति ॥
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"https://sa.wikisource.org/wiki/ऋग्वेदः_सूक्तं_१.३" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्