"महाभारतम्-01-आदिपर्व-091" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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पङ्क्तिः १०:
{{महाभारतम्}}
मृगयाप्रसङ्गेन दुष्यन्तस्य कण्वाश्रमगमनम्।। 1 ।।<table>
<tr><td>
<tr><td><p> <B>वैशंपायन उवाच।</B> <td> 1-91-1x </p></tr>
 
'''वैशंपायन उवाच।''' <td> 1-91-1x
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> ततो मृगसहस्राणि हत्वा सबलवाहनः।<BR>तत्र मेघघनप्रख्यं सिद्धचारणसेवितम्।। <td> 1-91-1a<BR>1-91-1b </p></tr>
 
ततो मृगसहस्राणि हत्वा सबलवाहनः।<BR>तत्र मेघघनप्रख्यं सिद्धचारणसेवितम्।। <td> 1-91-1a<BR>1-91-1b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> वनमालोकयामास नगराद्योजनद्वये।<BR>मृगाननुचरन्वन्याञ्श्रमेण परिपीडितः।। <td> 1-91-2a<BR>1-91-2b </p></tr>
 
वनमालोकयामास नगराद्योजनद्वये।<BR>मृगाननुचरन्वन्याञ्श्रमेण परिपीडितः।। <td> 1-91-2a<BR>1-91-2b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> मृगाननुचरन्राजा वेगेनाश्वानचोदयत्।<BR>राजा मृगप्रसङ्गेन वनमन्यद्विवेश ह।। <td> 1-91-3a<BR>1-91-3b </p></tr>
 
मृगाननुचरन्राजा वेगेनाश्वानचोदयत्।<BR>राजा मृगप्रसङ्गेन वनमन्यद्विवेश ह।। <td> 1-91-3a<BR>1-91-3b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> एक एवोत्तमबलः क्षुत्पिपासाश्रमान्वितः।<BR>स वनस्यान्तमासाद्य महच्छून्यं समासदत्।। <td> 1-91-4a<BR>1-91-4b </p></tr>
 
एक एवोत्तमबलः क्षुत्पिपासाश्रमान्वितः।<BR>स वनस्यान्तमासाद्य महच्छून्यं समासदत्।। <td> 1-91-4a<BR>1-91-4b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> तच्चाप्यतीत्य नृपतिरुत्तमाश्रमसंयुतम्।<BR>मनःप्रह्लादजननं दृष्टिकान्तमतीव च।। <td> 1-91-5a<BR>1-91-5b </p></tr>
 
तच्चाप्यतीत्य नृपतिरुत्तमाश्रमसंयुतम्।<BR>मनःप्रह्लादजननं दृष्टिकान्तमतीव च।। <td> 1-91-5a<BR>1-91-5b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> सीतमारुतसंयुक्तं जगामान्यन्महद्वनम्।<BR>पुष्पितैः पादपैः कीर्णमतीव सुखशाद्वलम्।। <td> 1-91-6a<BR>1-91-6b </p></tr>
 
सीतमारुतसंयुक्तं जगामान्यन्महद्वनम्।<BR>पुष्पितैः पादपैः कीर्णमतीव सुखशाद्वलम्।। <td> 1-91-6a<BR>1-91-6b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> विपुलं मधुरारावैर्नादितं विहगैस्तथा।<BR>पुंस्कोकिलनिनादैश्च झिल्लीकगणनादितम्।। <td> 1-91-7a<BR>1-91-7b </p></tr>
 
विपुलं मधुरारावैर्नादितं विहगैस्तथा।<BR>पुंस्कोकिलनिनादैश्च झिल्लीकगणनादितम्।। <td> 1-91-7a<BR>1-91-7b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> प्रवृद्धविटपैर्वृक्षैः सुखच्छायैः समावृतम्।<BR>षट्पदाघूर्णिततलं लक्ष्म्या परमया युतम्।। <td> 1-91-8a<BR>1-91-8b </p></tr>
 
प्रवृद्धविटपैर्वृक्षैः सुखच्छायैः समावृतम्।<BR>षट्पदाघूर्णिततलं लक्ष्म्या परमया युतम्।। <td> 1-91-8a<BR>1-91-8b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नापुष्पः पादपः कश्चिन्नाफलो नापि कण्टकी।<BR>षट्पदैर्नाप्यपाकीर्णस्तस्मिन्वै काननेऽभवत्।। <td> 1-91-9a<BR>1-91-9b </p></tr>
 
नापुष्पः पादपः कश्चिन्नाफलो नापि कण्टकी।<BR>षट्पदैर्नाप्यपाकीर्णस्तस्मिन्वै काननेऽभवत्।। <td> 1-91-9a<BR>1-91-9b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> विगहैर्नादितं पुष्पैरलङ्कृतमतीव च।<BR>सर्वर्तुकुसुमैर्वृक्षैः सुखच्छायैः समावृतम्।। <td> 1-91-10a<BR>1-91-10b </p></tr>
 
विगहैर्नादितं पुष्पैरलङ्कृतमतीव च।<BR>सर्वर्तुकुसुमैर्वृक्षैः सुखच्छायैः समावृतम्।। <td> 1-91-10a<BR>1-91-10b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> मनोरमं सहेष्वासो विवेश वनमुत्तमम्।<BR>मारुता कलितास्तत्र द्रुमाः कुसुमशाखिनः।। <td> 1-91-11a<BR>1-91-11b </p></tr>
 
मनोरमं सहेष्वासो विवेश वनमुत्तमम्।<BR>मारुता कलितास्तत्र द्रुमाः कुसुमशाखिनः।। <td> 1-91-11a<BR>1-91-11b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> पुष्पवृष्टिं विचित्रां तु व्यसजंस्ते पुनः पुनः।<BR>दिवस्पृशोऽथ संघुष्टाः पक्षिभिर्मधुरस्वनैः।। <td> 1-91-12a<BR>1-91-12b </p></tr>
 
पुष्पवृष्टिं विचित्रां तु व्यसजंस्ते पुनः पुनः।<BR>दिवस्पृशोऽथ संघुष्टाः पक्षिभिर्मधुरस्वनैः।। <td> 1-91-12a<BR>1-91-12b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> विरेजुः पादपास्तत्र विचित्रकुसुमाम्बराः।<BR>तेषां तत्र प्रवालेषु पुष्पभारावनामिषु।। <td> 1-91-13a<BR>1-91-13b </p></tr>
 
विरेजुः पादपास्तत्र विचित्रकुसुमाम्बराः।<BR>तेषां तत्र प्रवालेषु पुष्पभारावनामिषु।। <td> 1-91-13a<BR>1-91-13b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> रुवन्ति रावान्मधुरान्षट्पदा मधुलिप्सवः।<BR>तत्र प्रदेशांश्च बहून्कुसुमोत्करमण्डितान्।। <td> 1-91-14a<BR>1-91-14b </p></tr>
 
रुवन्ति रावान्मधुरान्षट्पदा मधुलिप्सवः।<BR>तत्र प्रदेशांश्च बहून्कुसुमोत्करमण्डितान्।। <td> 1-91-14a<BR>1-91-14b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> लतागृहपरिक्षिप्तान्मनसः प्रीतिवर्धनान्।<BR>संपश्यन्सुमहातेजा बभूव मुदितस्तदा।। <td> 1-91-15a<BR>1-91-15b </p></tr>
 
लतागृहपरिक्षिप्तान्मनसः प्रीतिवर्धनान्।<BR>संपश्यन्सुमहातेजा बभूव मुदितस्तदा।। <td> 1-91-15a<BR>1-91-15b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> परस्पराश्लिष्टशाखैः पादपैः कुसुमान्वितैः।<BR>अशोभत वनं तत्तु महेन्द्रध्वजसन्निभैः।। <td> 1-91-16a<BR>1-91-16b </p></tr>
 
परस्पराश्लिष्टशाखैः पादपैः कुसुमान्वितैः।<BR>अशोभत वनं तत्तु महेन्द्रध्वजसन्निभैः।। <td> 1-91-16a<BR>1-91-16b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> सिद्धचारणसङ्घैश्च गन्धर्वाप्सरसां गणैः।<BR>सेवितं वनमत्यर्थं मत्तवानरकिन्नरैः।। <td> 1-91-17a<BR>1-91-17b </p></tr>
 
सिद्धचारणसङ्घैश्च गन्धर्वाप्सरसां गणैः।<BR>सेवितं वनमत्यर्थं मत्तवानरकिन्नरैः।। <td> 1-91-17a<BR>1-91-17b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> सुखः शीतः सुगन्धी च पुष्परेणुवहोऽनिलः।<BR>परिक्रामन्वने वृक्षानुपैतीव रिरंसया।। <td> 1-91-18a<BR>1-91-18b </p></tr>
 
सुखः शीतः सुगन्धी च पुष्परेणुवहोऽनिलः।<BR>परिक्रामन्वने वृक्षानुपैतीव रिरंसया।। <td> 1-91-18a<BR>1-91-18b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> एवंगुणसमायुक्तं ददर्श स वनं नृपः।<BR>नदीकच्छोद्भं कान्तमुच्छ्रितध्वजसन्निभम्।। <td> 1-91-19a<BR>1-91-19b </p></tr>
 
एवंगुणसमायुक्तं ददर्श स वनं नृपः।<BR>नदीकच्छोद्भं कान्तमुच्छ्रितध्वजसन्निभम्।। <td> 1-91-19a<BR>1-91-19b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> प्रेक्षमाणो वनं तत्तु सुप्रहृष्टविहङ्गमम्।<BR>आश्रमप्रवरं रम्यं ददर्श च मनोरमम्।। <td> 1-91-20a<BR>1-91-20b </p></tr>
 
प्रेक्षमाणो वनं तत्तु सुप्रहृष्टविहङ्गमम्।<BR>आश्रमप्रवरं रम्यं ददर्श च मनोरमम्।। <td> 1-91-20a<BR>1-91-20b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नानावृक्षसमाकीर्णं संप्रज्वलितपावकम्।<BR>तं तदाऽप्रतिमं श्रीमानाश्रमं प्रत्यपूजयत्।। <td> 1-91-21a<BR>1-91-21b </p></tr>
 
नानावृक्षसमाकीर्णं संप्रज्वलितपावकम्।<BR>तं तदाऽप्रतिमं श्रीमानाश्रमं प्रत्यपूजयत्।। <td> 1-91-21a<BR>1-91-21b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> यतिभिर्वालखिल्यैश्च वृतं मुनिगणान्वितम्।<BR>अग्न्यगारैश्च बहुभिः पुष्पसंस्तरसंस्तृतम्।। <td> 1-91-22a<BR>1-91-22b </p></tr>
 
यतिभिर्वालखिल्यैश्च वृतं मुनिगणान्वितम्।<BR>अग्न्यगारैश्च बहुभिः पुष्पसंस्तरसंस्तृतम्।। <td> 1-91-22a<BR>1-91-22b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> महाकच्छैर्बृहद्भिश्च विभ्राजितमतीव च।<BR>मालिनीमभितो राजन्नदीं पुण्यां सुखोदकाम्।। <td> 1-91-23a<BR>1-91-23b </p></tr>
 
महाकच्छैर्बृहद्भिश्च विभ्राजितमतीव च।<BR>मालिनीमभितो राजन्नदीं पुण्यां सुखोदकाम्।। <td> 1-91-23a<BR>1-91-23b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नैकपक्षिगणाकीर्णां तपोवनमनोरमाम्।<BR>तत्रव्यालमृगान्सैम्यान्पश्यन्प्रीतिमवाप सः।। <td> 1-91-24a<BR>1-91-24b </p></tr>
 
नैकपक्षिगणाकीर्णां तपोवनमनोरमाम्।<BR>तत्रव्यालमृगान्सैम्यान्पश्यन्प्रीतिमवाप सः।। <td> 1-91-24a<BR>1-91-24b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> तं चाप्रतिरथः श्रीमानाश्रमं प्रत्यपद्यत।<BR>देवलोकप्रतीकाशं सर्वतः सुमनोहरम्।। <td> 1-91-25a<BR>1-91-25b </p></tr>
 
तं चाप्रतिरथः श्रीमानाश्रमं प्रत्यपद्यत।<BR>देवलोकप्रतीकाशं सर्वतः सुमनोहरम्।। <td> 1-91-25a<BR>1-91-25b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नदीं चाश्रमसंश्लिष्टां पुण्यतोयां ददर्श सः।<BR>सर्वप्राणभृतां तत्र जननीमिव धिष्ठिताम्।। <td> 1-91-26a<BR>1-91-26b </p></tr>
 
नदीं चाश्रमसंश्लिष्टां पुण्यतोयां ददर्श सः।<BR>सर्वप्राणभृतां तत्र जननीमिव धिष्ठिताम्।। <td> 1-91-26a<BR>1-91-26b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> सचक्रवाकपुलिनां पुष्पफेनप्रवाहिनीम्।<BR>सकिन्नरगणावासां वारनर्क्षनिषेविताम्।। <td> 1-91-27a<BR>1-91-27b </p></tr>
 
सचक्रवाकपुलिनां पुष्पफेनप्रवाहिनीम्।<BR>सकिन्नरगणावासां वारनर्क्षनिषेविताम्।। <td> 1-91-27a<BR>1-91-27b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> पुण्यस्वाध्यायसंघुष्टा पुलिनैरुपशोभिताम्।<BR>मत्तवारणशार्दूलभुजगेन्द्रनिषेविताम्।। <td> 1-91-28a<BR>1-91-28b </p></tr>
 
पुण्यस्वाध्यायसंघुष्टा पुलिनैरुपशोभिताम्।<BR>मत्तवारणशार्दूलभुजगेन्द्रनिषेविताम्।। <td> 1-91-28a<BR>1-91-28b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> तस्यास्तीरे भगवतः काश्यपस्य महात्मनः।<BR>आश्रमप्रवरं रम्यं महर्षिगणसेवितम्।। <td> 1-91-29a<BR>1-91-29b </p></tr>
 
तस्यास्तीरे भगवतः काश्यपस्य महात्मनः।<BR>आश्रमप्रवरं रम्यं महर्षिगणसेवितम्।। <td> 1-91-29a<BR>1-91-29b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नदीमाश्रमसंबद्धां दृष्ट्वाश्रमपदं तथा।<BR>चकाराभिप्रवेशाय मतिं स नृपतिस्तदा।। <td> 1-91-30a<BR>1-91-30b </p></tr>
 
नदीमाश्रमसंबद्धां दृष्ट्वाश्रमपदं तथा।<BR>चकाराभिप्रवेशाय मतिं स नृपतिस्तदा।। <td> 1-91-30a<BR>1-91-30b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> अलङ्कृतं द्वीपवत्या मालिन्या रम्यतीरया।<BR>नरनारायणस्थानं गङ्गयेवोपशोभितम्।। <td> 1-91-31a<BR>1-91-31b </p></tr>
 
अलङ्कृतं द्वीपवत्या मालिन्या रम्यतीरया।<BR>नरनारायणस्थानं गङ्गयेवोपशोभितम्।। <td> 1-91-31a<BR>1-91-31b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> मत्तबर्हिणसंघुष्टं प्रविवेश महद्वनम्।<BR>तत्स चैत्ररथप्रख्यं समुपेत्य नरर्षभः।। <td> 1-91-32a<BR>1-91-32b </p></tr>
 
मत्तबर्हिणसंघुष्टं प्रविवेश महद्वनम्।<BR>तत्स चैत्ररथप्रख्यं समुपेत्य नरर्षभः।। <td> 1-91-32a<BR>1-91-32b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> अतीव गुणसंपन्नमनिर्देश्यं च वर्चसा।<BR>महर्षिं काश्यपं द्रष्टुमथ कण्वं तपोधनम्।। <td> 1-91-33a<BR>1-91-33b </p></tr>
 
अतीव गुणसंपन्नमनिर्देश्यं च वर्चसा।<BR>महर्षिं काश्यपं द्रष्टुमथ कण्वं तपोधनम्।। <td> 1-91-33a<BR>1-91-33b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> ध्वजिनीमश्वसंबाधां पदातिगजसङ्कुलाम्।<BR>अवस्थाप्य वनद्वारि सेनामिदमुवाच सः।। <td> 1-91-34a<BR>1-91-34b </p></tr>
 
ध्वजिनीमश्वसंबाधां पदातिगजसङ्कुलाम्।<BR>अवस्थाप्य वनद्वारि सेनामिदमुवाच सः।। <td> 1-91-34a<BR>1-91-34b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> मुनिं विरजसं द्रष्टुं गमिष्यामि तपोधनम्।<BR>काश्यपं स्थीयतामत्र यावदागमनं मम।। <td> 1-91-35a<BR>1-91-35b </p></tr>
 
मुनिं विरजसं द्रष्टुं गमिष्यामि तपोधनम्।<BR>काश्यपं स्थीयतामत्र यावदागमनं मम।। <td> 1-91-35a<BR>1-91-35b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> तद्वनं नन्दनप्रख्यमासाद्य मनुजेश्वरः।।<BR>क्षुत्पिपासे जहौ राजा मुदं चावाप पुष्कलाम्।। <td> 1-91-36a<BR>1-91-36b </p></tr>
 
तद्वनं नन्दनप्रख्यमासाद्य मनुजेश्वरः।।<BR>क्षुत्पिपासे जहौ राजा मुदं चावाप पुष्कलाम्।। <td> 1-91-36a<BR>1-91-36b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> सामात्यो राजलिङ्गानि सोपनीय नराधिपः।<BR>पुरोहितसहायश्च जगामाश्रममुत्तमम्।। <td> 1-91-37a<BR>1-91-37b </p></tr>
 
सामात्यो राजलिङ्गानि सोपनीय नराधिपः।<BR>पुरोहितसहायश्च जगामाश्रममुत्तमम्।। <td> 1-91-37a<BR>1-91-37b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> दिदृक्षुस्तत्र तमृषिं तपोराशिमथाव्ययम्।<BR>ब्रह्मलोकप्रतीकाशमाश्रमं सोऽभिवीक्ष्य ह।<BR>षट्पदोद्गीतसंघुष्टं नानाद्विजगणायुतम्।। <td> 1-91-38a<BR>1-91-38b<BR>1-91-38c </p></tr>
 
दिदृक्षुस्तत्र तमृषिं तपोराशिमथाव्ययम्।<BR>ब्रह्मलोकप्रतीकाशमाश्रमं सोऽभिवीक्ष्य ह।<BR>षट्पदोद्गीतसंघुष्टं नानाद्विजगणायुतम्।। <td> 1-91-38a<BR>1-91-38b<BR>1-91-38c
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> विस्मयोत्फुल्लनयनो राजा प्रीतो बभूवह।<BR>ऋचो बह्वृचमुख्यैश्च प्रेर्यमाणाः पदक्रमैः।<BR>शुश्राव मनुजव्याघ्रो विततेष्विह कर्मसु।। <td> 1-91-39a<BR>1-91-39b<BR>1-91-39c </p></tr>
 
विस्मयोत्फुल्लनयनो राजा प्रीतो बभूवह।<BR>ऋचो बह्वृचमुख्यैश्च प्रेर्यमाणाः पदक्रमैः।<BR>शुश्राव मनुजव्याघ्रो विततेष्विह कर्मसु।। <td> 1-91-39a<BR>1-91-39b<BR>1-91-39c
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> यज्ञविद्याङ्गविद्भिश्च यजुर्विद्भिश्च शोभितम्।<BR>मधुरैः सामगीतैश्च ऋषिभिर्नियतव्रतैः।। <td> 1-91-40a<BR>1-91-40b </p></tr>
 
यज्ञविद्याङ्गविद्भिश्च यजुर्विद्भिश्च शोभितम्।<BR>मधुरैः सामगीतैश्च ऋषिभिर्नियतव्रतैः।। <td> 1-91-40a<BR>1-91-40b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> भारुण्डसामगीताभिरथर्वशिरसोद्गतैः।<BR>यतात्मभिः सुनियतैः शुशुभे स तदाश्रमः।। <td> 1-91-41a<BR>1-91-41b </p></tr>
 
भारुण्डसामगीताभिरथर्वशिरसोद्गतैः।<BR>यतात्मभिः सुनियतैः शुशुभे स तदाश्रमः।। <td> 1-91-41a<BR>1-91-41b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> अथर्ववेदप्रवराः पूगयज्ञियसामगाः।<BR>संहितामीरयन्ति स्म पदक्रमयुतां तु ते।। <td> 1-91-42a<BR>1-91-42b </p></tr>
 
अथर्ववेदप्रवराः पूगयज्ञियसामगाः।<BR>संहितामीरयन्ति स्म पदक्रमयुतां तु ते।। <td> 1-91-42a<BR>1-91-42b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> शब्दसंस्कारसंयुक्तर्ब्रुवद्भिश्चापरैर्द्विजैः।<BR>नादितः स बभौ श्रीमान्ब्रह्मलोक इवापरः।। <td> 1-91-43a<BR>1-91-43b </p></tr>
 
शब्दसंस्कारसंयुक्तर्ब्रुवद्भिश्चापरैर्द्विजैः।<BR>नादितः स बभौ श्रीमान्ब्रह्मलोक इवापरः।। <td> 1-91-43a<BR>1-91-43b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> यज्ञसंस्तरविद्भिश्च क्रमशिक्षाविशारदैः।<BR>न्यायतत्त्वात्मविज्ञानसंपन्नैर्वेदपारगैः।। <td> 1-91-44a<BR>1-91-44b </p></tr>
 
यज्ञसंस्तरविद्भिश्च क्रमशिक्षाविशारदैः।<BR>न्यायतत्त्वात्मविज्ञानसंपन्नैर्वेदपारगैः।। <td> 1-91-44a<BR>1-91-44b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नानावाक्यसमाहारसमवायविशारदैः।<BR>विशेषकार्यविद्भिश्च मोक्षधर्मपरायणैः।। <td> 1-91-45a<BR>1-91-45b </p></tr>
 
नानावाक्यसमाहारसमवायविशारदैः।<BR>विशेषकार्यविद्भिश्च मोक्षधर्मपरायणैः।। <td> 1-91-45a<BR>1-91-45b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> स्तापनाक्षेपसिद्धान्तपरमार्थज्ञतां गतैः।<BR>शब्दच्छन्दोनिरुक्तज्ञैः कालज्ञानविशारदैः।। <td> 1-91-46a<BR>1-91-46b </p></tr>
 
स्तापनाक्षेपसिद्धान्तपरमार्थज्ञतां गतैः।<BR>शब्दच्छन्दोनिरुक्तज्ञैः कालज्ञानविशारदैः।। <td> 1-91-46a<BR>1-91-46b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> द्रव्यकर्मगुणज्ञैश्च कार्यकारणवेदिभिः।<BR>पक्षिवानररुतज्ञैश्च व्यासग्रन्थसमाश्रितैः।। <td> 1-91-47a<BR>1-91-47b </p></tr>
 
द्रव्यकर्मगुणज्ञैश्च कार्यकारणवेदिभिः।<BR>पक्षिवानररुतज्ञैश्च व्यासग्रन्थसमाश्रितैः।। <td> 1-91-47a<BR>1-91-47b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> नानाशास्त्रेषु मुख्यैश्च शुश्राव स्वनमीरितम्।<BR>लोकायतिकमुख्यैश्च समन्तादनुनादितम्।। <td> 1-91-48a<BR>1-91-48b </p></tr>
 
नानाशास्त्रेषु मुख्यैश्च शुश्राव स्वनमीरितम्।<BR>लोकायतिकमुख्यैश्च समन्तादनुनादितम्।। <td> 1-91-48a<BR>1-91-48b
 
</tr>
<tr><td>
<tr><td><p> तत्रतत्र च विप्रेन्द्रान्नियतान्संशितव्रतान्।<BR>जपहोमपरान्विप्रान्ददर्श परवीरहा।। <td> 1-91-49a<BR>1-91-49b </p></tr>
 
तत्रतत्र च विप्रेन्द्रान्नियतान्संशितव्रतान्।<BR>जपहोमपरान्विप्रान्ददर्श परवीरहा।। <td> 1-91-49a<BR>1-91-49b
 
</tr>
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<tr><td><p> आसनानि विचित्राणि रुचिराणि महीपतिः।<BR>प्रयत्नोपहितानि स्म दृष्ट्वा विस्मयमागमत्।। <td> 1-91-50a<BR>1-91-50b </p></tr>
 
आसनानि विचित्राणि रुचिराणि महीपतिः।<BR>प्रयत्नोपहितानि स्म दृष्ट्वा विस्मयमागमत्।। <td> 1-91-50a<BR>1-91-50b
 
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<tr><td><p> देवतायतनानां च प्रेक्ष्य पूजां कृतां द्विजैः।<BR>ब्रह्मलोकस्थमात्मानं मेने स नृपसत्तमः।। <td> 1-91-51a<BR>1-91-51b </p></tr>
 
देवतायतनानां च प्रेक्ष्य पूजां कृतां द्विजैः।<BR>ब्रह्मलोकस्थमात्मानं मेने स नृपसत्तमः।। <td> 1-91-51a<BR>1-91-51b
 
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<tr><td><p> स काश्यपतपोगुप्तमाश्रमप्रवरं शुभम्।<BR>नातृप्यत्प्रेक्षमाणो वै तपोवनगुणैर्युतम्।। <td> 1-91-52a<BR>1-91-52b </p></tr>
 
स काश्यपतपोगुप्तमाश्रमप्रवरं शुभम्।<BR>नातृप्यत्प्रेक्षमाणो वै तपोवनगुणैर्युतम्।। <td> 1-91-52a<BR>1-91-52b
 
</tr>
 
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स काश्यपस्यायतनं महाव्रतै-<BR>र्वृतं समान्तादृषिभिस्तपोधनैः।<BR>विवेश सामात्यपुरोहितोऽरिहा<BR>विविक्तमत्यर्थमनोहरं शुभम्।। <td> 1-91-53a<BR>1-91-53b<BR>1-91-53c<BR>1-91-53d
 
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।। इति श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि<BR> संभवपर्वणि एकनवतितमोऽध्यायः।। 91 ।। <td>
 
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<tr><td><p> स काश्यपस्यायतनं महाव्रतै-<BR>र्वृतं समान्तादृषिभिस्तपोधनैः।<BR>विवेश सामात्यपुरोहितोऽरिहा<BR>विविक्तमत्यर्थमनोहरं शुभम्।। <td> 1-91-53a<BR>1-91-53b<BR>1-91-53c<BR>1-91-53d </p></tr>
<tr><td><p> ।। इति श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि<BR> संभवपर्वणि एकनवतितमोऽध्यायः।। 91 ।। <td> </p></tr></table>
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1-91-4 शून्यं वृक्षादिरहितमूषरम्।।
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[[वर्गः:आदिपर्व]]
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