की कथा ७२९; दुःशीला औरएवं देवदास कीदेवदासस्य कथा ७३१; वज्रसार औरएवं उसकीतस्य स्त्रीस्त्रियैः की कथा ७३१; राजा सिहबल औरसिंहबल रानीएवं कल्याणवतीराज्ञी कीकल्याणवत्यै कथा ७३५ ।।
*[https://sa.wikisource.org/s/9ge तरङ्ग ३]
नरवाहनदतनरवाहनदत्तस्य की कथा (क्रमागत) ७४१; शक्तियशाशक्तियशायाः काकौशाम्बीकौशाम्ब्यां में आगमनआगमनम् ७४१; दोद्वि विद्याधरियोंविद्याधरीणां की कथा ७४३; शुक कीशुकस्य आत्मकथा ७४५; सोमप्रभ, मकरन्दिका औरएवं मनोरथप्रभा कीमनोरथप्रभायाः कथा ७४९; मनोरथप्रभा कीमनोरथप्रभायाः कथा ७५३ ।।
*[https://sa.wikisource.org/s/9py तरङ्ग ४]
पङ्क्तिः ३२:
*[https://sa.wikisource.org/s/9gg तरङ्ग ५]
अगर जलानेवाले कीज्वालकस्य कथा ८०३; तिल बोनेवालेवापक मूर्ख कृषक कीकृषकस्य कथा ८०३; पानीजले में आग फेंकनेवाले कीअग्निप्रक्षेपकस्य कथा ८०५; नासिकारोपण कीनासिकारोपणस्य कथा ८०५; मूर्ख गड़ेरिये की कथा ८०५; अलंकारलम्बक कीअलंकारलम्बकस्य कथा ८०७; मूर्ख रूईवाले की कथा ८०७; खजूर काटनेवाले की कथा ८०७; मूर्ख मन्त्री की कथा ८०९; नमक खानेवाले कीलवणभक्षकस्य कथा ८०९; गाय दुहनेवाले कीगोदोहकस्य कथा ८०९; मूर्ख गंजे कीखल्वाटस्य कथा ८११; कौआकाक, कछुआकूर्म, मृग औरएवं चूहे कीमूषकस्य कथा ८१३; हिरण्यक चूहामूषक औरएवं संन्यासीकीसंन्यासिनः कथा ८१७; ईष्यलुि पुरुष औरएवं उसकीतस्य दुष्टा स्त्री कीस्त्रियाः कथा ८२३; नाग औरएवं गरुडगरुडस्य की कथा ८२७; केशमूर्ख कीकेशमूर्खस्य कथा ८२९; तैलमूर्ख कीतैलमूर्खस्य कथा ८३१; अस्थिमूर्ख कीअस्थिमूर्खस्य कथा ८३१; मूखामूर्खा चाण्डालकन्या कीचाण्डालकन्यायाः कथा ८३३; कृपण राजा कीराज्ञः कथा ८३३; दोमित्र-द्वयानां मित्रों की कथा ८३५; जलभीत मूर्ख कीमूर्खस्य कथा ८३७; पुत्रघाती मूर्ख कीमूर्खस्य कथा ८३७; भ्रातृमूर्ख कीभ्रातृमूर्खस्य कथा ८३७; ब्रह्मचारी पुत्र कीपुत्रस्य कथा ८३९; मूर्ख ज्योतिषी कीज्योतिषेः कथा ८३९; क्रोधी मूर्ख कीमूर्खस्य कथा ८३९; एक मूर्ख राजा कीराज्ञः कथा ८४१; अधेले के लिए दस पैसे खर्च करनेवाले मूर्ख कंजूस कीकृपणस्य कथा ८४१; समुद्रसमुद्रस्य कीआवर्तानां लहरों पर निशान लगानेवाले कीचिह्नकस्य कथा ८४३; मांस के बदले में मांस देनेवाले राजा की
कथा ८४३; एकएकं कोघातयित्वा मारकरद्वितीयस्य दूसरापुत्रस्य पुत्रअभिलाषिणी चाहनेवाली स्त्री कीस्त्रियाः कथा ८४३; एक मूर्ख सेवकसेवकस्य की कथा ८४५; दो बन्धुओं की कथा ८४५; एक मूर्ख योद्धा की कथा ८४९; कुछ न' माँगनेवाले मूर्ख की कथा ८४९ ।।