सम्भाषणम्:मनुस्मृतिः/प्रथमोध्यायः
मनुं एकाग्रं आसीनं अभिगम्य महर्षयः । प्रतिपूज्य यथान्यायं इदं वचनं अब्रुवन् ।
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