क्र.सं |
ग्रन्थः |
प्रकाशनवर्षम् |
पृष्ठानि
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१ |
शङ्कराचार्यविरचितानि स्तोत्राणि (प्रथमः भागः) |
१९०३ |
३०४
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२ |
शङ्कराचार्यविरचितानि स्तोत्राणि (द्वितीयः भागः) |
१९१० |
३१९
|
३ |
श्रीशङ्कराचार्यप्रकरणग्रन्थसंग्रहः |
१९२४ |
२६८
|
४ |
प्रपञ्चसारः (प्रथमो भागः) |
१९१३ |
३१९
|
५ |
प्रपञ्चसारः (द्वितीयो भागः) |
१९१३ |
२८४
|
६ |
काव्यमाला (बृहत्कथामञ्जरी) |
१९३० |
६५९
|
७ |
काव्यरत्नम् |
१९३१ |
१०५
|
८ |
काव्यमाला (द्वितीयो गुच्छकः) |
१९३२ |
१६८
|
९ |
काव्यमाला (चतुर्थो गुच्छकः) |
१९३७ |
२०३
|
१० |
काव्यमाला ( पञ्चमो गुच्छकः) |
१९३७ |
१९१
|
११ |
काव्यमाला ( षष्ठो गुच्छकः) |
१९३० |
१६१
|
१२ |
काव्यमाला (सप्तमो गुच्छकः) |
१९२६ |
१६८
|
१३ |
काव्यमाला (दशमो गुच्छकः) |
१९१५ |
२१०
|
१४ |
काव्यमाला ( द्वादशो गुच्छकः) |
१८९७ |
१७८
|
१५ |
काव्यमाला (त्रयोदशो गुच्छकः) |
१९१६ |
१७५
|
१६ |
काव्यमाला (चतुर्दशो गुच्छकः) |
१९३८ |
१७६
|
१७ |
हरिहरसुभाषितम् (काव्यमाला) |
१९१० |
७२
|
१८ |
मनोहरकाव्यमाला |
१९२९ |
२४८
|
१९ |
देलरामाकथासारः |
१९२३ |
६२
|
२० |
समयमातृका |
१८८८ |
६१
|
२१ |
सौन्दरनन्दकाव्यम् |
१९३९ |
२१०
|
२२ |
श्र्यङ्ककाव्यम् |
१९३५ |
५८
|
२३ |
रामायणमञ्जरी |
१९०३ |
५२०
|
२४ |
काव्यमाला (नवमो गुच्छकः) |
१९१६ |
१६३
|
२५ |
काव्यमाला (प्रथमो गुच्छकः) |
१९२९ |
१७२
|
२६ |
तिलकमञ्जरी |
१९३८ |
४४८
|
२७ |
धर्मशर्माभ्युदयम् |
१९३८ |
२०१
|
२८ |
पद्यपुष्पाञ्जलिः |
|
१४७
|
२९ |
पाण्डवचरितम् |
१९११ |
६३०
|
३० |
श्रीपद्मानन्दमहाकाव्यम् |
१९३२ |
७७६
|
३१ |
कप्फिणाभ्युदयं महाकाव्यम् |
१९३७ |
२८८
|
३२ |
रामविजयमहाकाव्यम् |
१९३२ |
१४०
|
३३ |
महार्थमञ्जरी |
१९३२ |
१४०
|
३४ |
रामकथामञ्जरी |
१९२४ |
१५६
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