पञ्चतन्त्रम्
लेखक: विष्णु शर्मा
अनुक्रमणिका
- कथामुखम् १-७
- मूर्ख पुत्रस्य निन्दा, विष्णुशर्मा ब्राह्मणेन राजपुत्राणां शिक्षणम् १-७
- मूर्ख पुत्रस्य निन्दा, विष्णुशर्मा ब्राह्मणेन राजपुत्राणां शिक्षणम् १-७
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः १-५०
- वर्धमान वणिक्पुत्र-संजीवक वृषभ-पिङ्गलक सिंह कथा १-२१
- पिङ्गलक सिंह-दमनक शृगाल वार्तालापे कीलोत्पाटित वानर कथा २२-
- करटक-दमनक शृगालानां संवादः ३३-
- वर्धमान वणिक्पुत्र-संजीवक वृषभ-पिङ्गलक सिंह कथा १-२१
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः ५१-१००
- करटक-दमनक संवादः ५१-७६
- पिङ्गलक सिंह-दमनक शृगाल संवादः ७७-१००
- करटक-दमनक संवादः ५१-७६
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः १०१-१५०
- पिंगलक-दमनक वार्तालापः १०१-११७
- गोमायु शृगाल - दुन्दुभि कथा ११८-११९
- दन्तिल भाण्डपति - गोरम्भ सम्मार्जक कथा १४२-
- पिंगलक-दमनक वार्तालापः १०१-११७
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः १५१-२००
- दन्तिल भाण्डपति-गोरम्भ सम्मार्जक कथा(सतत्) -१६२
- दमनक-करटक शृगालानां वार्तालापः १६२-१७३
- देवशर्मा परिव्राजक - आषाढभूति - कौलिक - नापित कथा १७४-
- दन्तिल भाण्डपति-गोरम्भ सम्मार्जक कथा(सतत्) -१६२
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः २०१-२५०
- देवशर्मा परिव्राजक - आषाढभूति - कौलिक - नापित कथा(सतत्) - २१४
- करटक-दमनक वार्तालापः २१५-२१८
- कौलिक - रथकार मित्राणां कथा२१८-२२७
- करटक-दमनक संवादः २२८
- वायस-कृष्णसर्प कथा २२९-२३२
- बक-कुलीरक कथा २३२-२३६
- वायस-कृष्णसर्प कथा (सतत्) - २३७
- भासुरक सिंह - शश कथा २३७-
- देवशर्मा परिव्राजक - आषाढभूति - कौलिक - नापित कथा(सतत्) - २१४
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः २५१-३००
- भासुरक सिंह- शश कथा(सतत्) - २६१
- दमनक - पिंगलक सिंह वार्तालापः २६१-२७५
- मन्दविसर्पिणी यूका - मत्कुण-नृप कथा २७५-२८२
- चण्डरव शृगाल - रजकस्य नीली कथा २८२-२८४
- पिङ्गलक सिंह - दमनक शृगाल वार्तालापः २८४
- दमनक शृगाल- सञ्जीवक वृषभ वार्तालापः २८५-
- भासुरक सिंह- शश कथा(सतत्) - २६१
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः ३०१-३५०
- सञ्जीवक वृषभ - दमनक शृगाल वार्तालापः ३०१-३११
- मदोत्कट सिंह-वायस-द्वीपी-शृगाल-क्रथनक उष्ट्र कथा ३११- ३२३
- सञ्जीवक वृषभ - दमनक वार्तालापः ३२३-३३७
- टिट्टिभ दम्पती - समुद्र कथा ३३७-३४४
- कम्बुग्रीव कच्छप- संकटविकट हंस कथा ३४४-३४७
- अनागतविधाता-प्रत्युत्पन्नमति-यद्भविष्य मत्स्यत्रयाणां कथा ३४७-
- सञ्जीवक वृषभ - दमनक शृगाल वार्तालापः ३०१-३११
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः ३५१-४००
- अनागतविधाता-प्रत्युत्पन्नमति-यद्भविष्य मत्स्यत्रयाणां कथा (सतत्) - ३५२
- टिट्टिभ दम्पती कथा (सतत्) ३५३-३६२
- चटक दम्पती - वनगजः- काष्ठकूटः - वीणारवा मक्षिका - मेघनाद भेकः कथा ३६२-३७०
- टिट्टिभ दम्पती - गरुड - विष्णु - समुद्र कथा (सतत्) ३७१-३८५
- दमनक शृगाल - सञ्जीवक वृषभवार्तालापः ३८५-३९०
- दमनक - करटक शृगालयोः वार्तालापः ३९०-३९९
- वज्रदंष्ट्र सिंह - चतुरक शृगाल - क्रव्यमुख वृक - शङ्कुकर्ण उष्ट्र कथा ३९९-४००
- अनागतविधाता-प्रत्युत्पन्नमति-यद्भविष्य मत्स्यत्रयाणां कथा (सतत्) - ३५२
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः ४०१-४५०
- पिङ्गलक सिंहस्य सञ्जीवक वृषभस्य सह युद्धं, करटक - दमनकस्य छद्मोपदेशः ४०१-४१७
- वानरयूथ - गुञ्जाफल - सूचीमुख पक्षी कथा ४१७-४२१
- चटकदम्पती-प्रदत्त उपदेशेन वानरेण कुलायखण्डनम् - ४२१-४२४
- करटक-दमनक छद्मोपदेशः(सतत्) ४२५-४२९
- धर्मबुद्धि-पापबुद्धीनां धनहरण उपरि विवादः ४२९-४३९
- बकापत्यानि - कृष्णसर्प - नकुल कथा ४३९-४४०
- दमनकस्य उद्गाराः ४४१-४४२
- जीर्णधनस्य वणिक्पुत्रस्य लौहतुलायाः मूषकेण भक्षणस्य कथा ४४२-४४७
- करटक-दमनक छद्मोपदेशाः ४४७-४५०
- पिङ्गलक सिंहस्य सञ्जीवक वृषभस्य सह युद्धं, करटक - दमनकस्य छद्मोपदेशः ४०१-४१७
- प्रथमतन्त्रम् - मित्रभेदः ४५१-४६१
- मक्षिका व्याजेन वानरेण राजोपरि खड्गप्रहारस्य कथा ४५१-४५१
- धूर्त्त विप्रेण चतुर्णां विप्राणां प्राणस्य रक्षण कथा ४५१-४५३
- सञ्जीवक वृषभस्य सिंहेन सह युद्धे मरणं, पिंगलकस्य दमनकादि सचिवैः सह राज्यकरणम् ४५३-४६१
- मक्षिका व्याजेन वानरेण राजोपरि खड्गप्रहारस्य कथा ४५१-४५१
- द्वितीयतन्त्रम् - मित्रसम्प्राप्तिः १-५०
- लघुपतनक वायस-चित्रग्रीव कपोत- हिरण्यक मूषक कथा १-
- पाणिनि-जैमिनि-पिङ्गल विषयक श्लोकः ३५
- लघुपतनक वायस-चित्रग्रीव कपोत- हिरण्यक मूषक कथा १-
- द्वितीयतन्त्रम् - मित्रसम्प्राप्तिः ५१-१००
- लघुपतनक वायस - हिरण्यक मूषक वार्तालापः - ५९
- लघुपतनक वायस - मन्थरक कूर्म - हिरण्यक मूषक वार्तालापः ६०-६५
- ताम्रचूड मठाधिपस्य भिक्षाप्राप्त अन्नस्य मूषकात् रक्षणस्य चिन्ता ६५ - ६९
- ब्राह्मणेन स्वपत्न्यै भोजनदानस्य निर्देशम्, दानस्य प्रशंसा ७०-
- धनुषकोटिगतस्य स्नायुपाशस्य भक्षणेन शृगालस्य मृत्युः ८१-८३
- लुञ्चित-अलुञ्चित तिलानां क्रय-विक्रयम् ८४
- हिरण्यक मूषकस्य वैराग्यस्य कारणं , अर्थहीनस्य निन्दनम् ८४-
- लघुपतनक वायस - हिरण्यक मूषक वार्तालापः - ५९
- द्वितीयतन्त्रम् - मित्रसम्प्राप्तिः १०१-१५०
- अर्थहीनस्य निन्दनम् (सतत्) १०१-१११
- प्राप्तव्यमर्थ वणिक्पुत्रस्य कथा, वणिक्पुत्रस्य राज्ञः कन्या सह विवाहः १११ - ११४
- मन्थरक कूर्मेण धनस्य निःसारता कथनम् ११४-१२७
- सोमिलक कौलिकस्य धनप्राप्ति कथा १२७-१४०
- प्रलोभक शृगाल दम्पती द्वारा वृषभस्य वृषणानां प्राप्तिकामना कथा १४१-१४९
- अग्निहोत्र फला इति श्लोकः १५०
- अर्थहीनस्य निन्दनम् (सतत्) १०१-१११
- द्वितीयतन्त्रम् - मित्रसम्प्राप्तिः १५१-१९६
- धनस्य सम्यक दान एवं भोगस्य आवश्यकता, हिरण्यक मूषक - कूर्म संवादः १५१-१६६
- मूषक-कूर्म-वायस मित्रेभिः चित्रांग हरिणस्य लुब्धकात् रक्षणम् १६७-१९६
- धनस्य सम्यक दान एवं भोगस्य आवश्यकता, हिरण्यक मूषक - कूर्म संवादः १५१-१६६
- तृतीयतन्त्रम् - काकॊलूकीयम् १-५०
- काकराज मेघवर्णस्य उलूकानां नाशाय स्वसचिवेभिः सह मन्त्रणम् १-
- काकराज मेघवर्णस्य उलूकानां नाशाय स्वसचिवेभिः सह मन्त्रणम् १-
- तृतीयम् तन्त्रम् - काकॊलूकीयम् ५१-१००
- काकराज मेघवर्णस्य उलूकानां नाशाय स्वसचिवेभिः सह मन्त्रणम्(सतत्) -८१
- शशकेभिः गजानां नियन्त्रणस्य कथा ८१-९१
- कपिञ्जल चटक - शीघ्रग शशक विवाद कथा ९१-
- काकराज मेघवर्णस्य उलूकानां नाशाय स्वसचिवेभिः सह मन्त्रणम्(सतत्) -८१
- तृतीयम् तन्त्रम् - काकॊलूकीयम् १०१-१५०
- कपिञ्जल चटक - शीघ्रग शशक विवाद- तीक्ष्णदंष्ट्र मार्जार कथा (सतत्) - ११०
- सचिव - मेघवर्ण काकराजस्य मन्त्रणम् ११०-११६
- मित्रशर्मा ब्राह्मण - धूर्त्त कथा ११६-१२०
- कृष्णसर्प - पिपीलिका लघु कथा १२१-१२२
- स्थिरजीवी सचिव - मेघवर्ण काकराज वार्तालापः १२१-१२७
- स्थिरजीवी काक - अरिमर्दन उलूकराज वार्तालापः १२७-१२८
- अरिमर्दन उलूकराजस्य स्वसचिवैः सह आमन्त्रणम् १२८-१३२
- हरिदत्त ब्राह्मण - सर्प कथा १३२-१३३
- स्वर्णिम् पिच्छ हंस - राजा कथा १३३-१३३
- हरिदत्त ब्राह्मण - सर्प कथा (सतत्) १३३
- अरिमर्दन उलूकराजस्य स्वसचिवैः सह आमन्त्रणम् १३४
- कपोत दम्पती द्वारा लुब्धकस्य प्राणानां रक्षण कथा १३५-
- कपिञ्जल चटक - शीघ्रग शशक विवाद- तीक्ष्णदंष्ट्र मार्जार कथा (सतत्) - ११०
- तृतीयम् तन्त्रम् - काकॊलूकीयम् १५१-२००
- कपोत-कपोती द्वारा शीतत्रस्त लुब्धकस्य आतिथ्यम् १५१-१८५
- अरिमर्दन-दीप्ताक्ष वार्तालापः
- वृदधवणिक-भार्या-चोर कथा १८८-१८९
- अरिमर्दन-वक्रनास सचिव वार्तालापः १९०-
- द्रोण ब्राह्मण - गोयुग - ब्रह्मराक्षस - चोर कथा १९१-
- राजपुत्रस्य जठरगतस्यवल्मीकरोगस्य उपचार कथा १९१
- रथकारस्य पत्न्याः पातिव्रत्य परीक्षण कथा १९४-१९६
- रक्ताक्ष उलूकस्य मतम् १९८
- शालङ्कायन तपोधन द्वारा मूषिकयाः रक्षण कथा १९९-
- कपोत-कपोती द्वारा शीतत्रस्त लुब्धकस्य आतिथ्यम् १५१-१८५
- तृतीयम् तन्त्रम् - काकॊलूकीयम् २०१-२५०
- शालङ्कायन तपोधन-मूषिका कथा २०१-
- एकत-द्वित-त्रित कथा २०६
- शालङ्कायन-मूषिका कथा(सतत्) २०६-२०४
- रक्ताक्ष-अरिमर्दन उलूक वार्तालापः २१५
- स्वर्णष्ठीवी सिन्धुक पक्षी कथा २१६
- खरनखर सिंह-दधिपुच्छ शृगाल कथा २१७-२१८
- रक्ताक्ष उलूकस्य निष्क्रमणम्, स्थिरजीवी काकस्य हर्षोद्गारः २१९-२३८
- मन्दविष सर्प-जलपाद दर्दुर कथा २३९-२४१
- यज्ञदत्त ब्राह्मण द्वारा पुंश्चल्यां भार्यां दण्डदानस्य कथा २४१-
- स्थिरजीवी-मेघवर्ण काकानां वार्तालापः २४२-
- शालङ्कायन तपोधन-मूषिका कथा २०१-
- तृतीयम् तन्त्रम् - काकॊलूकीयम् २५१-२६०
- चतुर्थम् तन्त्रम् - लब्धप्रणाशम् १-५०
- वानर - मित्रघाती मकर कथा १-१५
- गङ्गदत्त मण्डूकराज - प्रियदर्शन सर्प कथा १६-३२
- करालकेसर सिंह-धूसरक शृगाल-लम्बकर्ण गर्दभ कथा ३३-३७
- खर्पर-पाटित ललाटी कुम्भकार - नृप कथा ३८
- सिंह शावक-शृगालशिशु कथा ३९-४३
- ब्राह्मण - कलहप्रिया भार्या - पङ्गु कथा ४४
- भार्या वशीभूत नन्द राजा एवं वररुचि सचिवस्य कथा ४५
- शुद्धपटक रजक-व्याघ्रचर्माच्छादित रासभ कथा४७
- महाधन ईश्वर भाण्डपति - गर्ग, सोम, दत्त, श्यामलक जामातृणां कथा ४७
- रथकार - पुंश्चली भार्या कथा ४८-
- वानर - मित्रघाती मकर कथा १-१५
- चतुर्थम् तन्त्रम् - लब्धप्रणाशम् ५१-८४
- रथकार - पुंश्चली भार्या कथा(सतत्) - ५३
- कामातुर वृद्धवणिक् - युवा भार्या - चोर कथा ५५-५७
- भार्या मरणोपरि मकर - वानर संवादः ५८-६९
- हालिक दम्पती-वित्तापहारक धूर्त्त-शृगाली कथा ६९-७०
- मकर-वानर संवादः ७१-७३
- उज्ज्वलक रथकार- उष्ट्री - दासरेक - सिंह कथा ७४
- मकर-वानर संवादः ७५ - ७८
- महाचतुरक शृगाल-सिंह-व्याघ्र-द्वीपी-शृगाल कथा ७८-८२
- चित्राङ्ग सारमेय द्वारा देशान्तर दर्शन कथा ८३
- रथकार - पुंश्चली भार्या कथा(सतत्) - ५३
- पञ्चमम् तन्त्रम् - अपरीक्षितकारकम् १-५०
- मणिभद्र श्रेष्ठी-नापित-क्षपणक कथा१-१७
- ब्राह्मणी-शिशु-नकुल कथा १७-२१
- लोभाविष्ट चक्रधर कथा २१-३५, ४१-४३
- सिंहकारक मूर्ख ब्राह्मण कथा ३५-३८
- चत्वारः मूर्ख पण्डितानां कथा ३८-४१
- शतबुद्धि-सहस्रबुद्धि मत्स्य-एकबुद्धि मण्डूक- धीवर कथा ४३-४८
- रासभ-शृगाल-चिर्भटी कथा ४८-
- मणिभद्र श्रेष्ठी-नापित-क्षपणक कथा१-१७
- पञ्चमम् तन्त्रम् - अपरीक्षितकारकम् ५१-९८
- रासभ - शृगाल-चिर्भटी कथा -५६
- चक्रधर वार्तालापः ५७
- मन्थरकौलिक-व्यन्तर-स्त्री कथा ५७-६६
- चक्रधर वार्तालापः ६७
- सोमशर्मपितृ-सक्तुघट कथा ६७-६८
- चक्रधर-सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ६८
- चन्द्रभूपति- वानरयूथ-मेष कथा ६८-८०
- चक्रधर - सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ८१-८२
- विकाल-वानर कथा ८२
- चक्रधर-सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ८३-८४
- अन्धक-कुब्जक-त्रिस्तनी कथा ८४-९१
- चक्रधर-सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ९२
- भारुण्डपक्षि कथा ९२
- चक्रधर-सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ९३-९४
- ब्रह्मदत्त ब्राह्मण- कर्कटक कथा ९४-९५
- चक्रधर-सुवर्णसिद्धि वार्तालापः ९६
- रासभ - शृगाल-चिर्भटी कथा -५६
सम्बद्धानुबन्धाः
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बाह्यानुबन्धाः
सम्पाद्यताम्- Panchatantra (Story in English)
- Panchatantram