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आयुर्वेदसूत्रम् (योगानन्दनाथभाष्यसमेतम्)/शुद्धिः
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आयुर्वेदसूत्रम् (योगानन्दनाथभाष्यसमेतम्)
शुद्धिः
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82611
आयुर्वेदसूत्रम् (योगानन्दनाथभाष्यसमेतम्)
—
शुद्धिः
अ शु द्ध शो ध न म् .
अशुद्धम्.
पुटे.
पङ्क्तौ.
शुद्धम्
सेति
17
6
स इति
पाया
18
14
पाका
कला दौ
23
13
कलादौ
हेत
26
18
हेतु
अजीणा
28
18
अजीर्णा
नोपद्य
30
9
नोपपद्य
कार्य
"
"
कार्या
क्रिया क्रमः
"
13
क्रियाक्रमः
क्षुत्त्य
"
19
क्षुत्तृ
भागझो
"
20
भागज्ञो
व्यञ्जान
33
8
व्यञ्जन
कृती
"
17
कृत
हि ष्येष्यतंकफ
38
4
हर्षे हृत्कफ
गभि वधर्क
40
19
गभिवर्धक
जन्यां
43
16
जन्या
तेभिन्न
47
16
ते भिन्न
त्मनैव
54
10
त्मन्येव
सिर
56
7
सिरा
पद्म
61
4
पद्मं
तथ
88
21
तथा
तेजा
95
6
तेजो
द्वायु
"
8
दायु
तजू
102
8
तज्
त्मिका
106
5
त्मका
अशुद्धम्.
पुटे.
पङ्क्तौ.
शुद्धम्.
वन्ध
110
17
बन्ध
भवान्त
112
21
भवन्ति
त्यर्थ
117
19
त्यर्थः
पञ्चक
128
3
पञ्चकं
दु ख
134
22
दुःख
प्रवाहा
139
23
प्रवाहो
पण्डुराग
172
1
पाण्डुरोग
परम
179
6
चरम
हतु
"
10
हेतु
मिव
188
20
विव
स्याप
190
19
स्यप
तत्तदद्भू
203
23
तत्तद्भू
दृश्यस
232
22
दृश्यते
यधा
239
13
यथा
साध्या
267
11
साध्याः
कायक
270
20
कायिक
वृतूम्
276
19
वृतू
व्रणघ्नी
279
11
व्रणघ्नी
दीपनी सरा भूनिम्बा
"
12
दीपनीरसा भूनिम्बा
तृष्णाप्रदः
"
19
तृष्णापहः
वृष्यादि
280
4
क्रिम्यादि
मेढ्राश्च
283
4
मेढ्राच्च
र्शंसि
290
12
र्शांसि
हैवायं
"
16
ह्येवायं
द्भूत
"
24
द्धातु
हृदयं
292
14
हृदये
प्रविष्ठाः
"
18
प्रविष्टाः