आयुर्वेदसूत्र विषयानुक्रमणी.


प्रथम: प्रश्नः.


   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
वार्धिकद्रव्यादननियमः
1  1
... .... ....
चिरायुष्ट्वेच्छाया आयुर्वेदजिज्ञासाहेतुत्वम्
2  2
... ....
चिरायु्ष्ट्वकारणस्य रक्षणावश्यकता
3  2
... ....
इन्द्रियातिलालनातिपीडनयोत्स्यागावश्यकता
4  3
 ....
इन्द्रियातिलालनातिपीडनयोर्दोषवृद्धिक्षयरूपानारोग्यजनकत्वम्
5-6  3
 
दोषवैषम्यनिवर्तनावश्यकता
7  5
... ....
अनामपालनावश्यकता
8  5
... ....
आमस्य सर्वरोगकारणत्वम्
9  5
... ....
लङ्घनस्यामनिवर्तकत्वे ब्रह्मण उक्तिः
10  6
... ....
अनामयलक्षणमामनिवृत्तिरेव
11  6
... ....
अनामयस्यात्मज्ञानसाधकत्वम्
12  6
... ....
अहङ्कारिण एव कर्मकर्तृकत्वम्
13-14  7
... ....
भोगाधिकारिलक्षणम्
15-18  8
... ....
कर्तृभोक्त्रोरैक्यम्
19-20  9
... ....
शरीरिणः कर्तृत्वम्
21  9
... ....
नाशशरीरिणो भोक्तृत्वम्
22  10
... ....
शरीरस्य भोगयोग्यत्वे कारणम्
23  10
... ....
शरीराधिष्ठातृद्वयम्
24  10
... ....
जीवात्मनो भोक्तृत्वम्
25  11
... ....
परमात्मनो भोक्तृत्वाभावः
26  11
... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
सत्येव शरीरे भोगार्हता
27  11
... .... ....
शरीरिणोऽङ्गित्वम्
28  12
... .... ....
कायलक्षणम्
29  13
... .... ....
ग्रहलक्षणम्
30  13
... .... ....
ऊर्ध्वाङ्गरोगाः
31  14
... .... ....
तन्निवर्तकाः
32  14
... .... ....
योगस्य चिरायुष्ट्वसाधनता
33  15
... .... ....
रसवद्द्रव्यैर्वाजीकरणविधिः
34  16
... .... ....
निवर्त्यनिवर्तकज्ञानफलम्
35-38  17
... .... ....
तत्तद्द्रव्यावलोकनम्
39  17
... .... ....
षड्रसात्मकद्रव्याणि
40  18
... .... ....
द्रव्यस्य विपाकस्त्रिधा
41-46  18
... .... ....
व्युत्क्रमरसानां विकारकारकत्वम्
47  20
... .... ....
पित्तोष्मणोराहारपचनार्हता
48-49  20
... .... ....
पित्तकलायाः पोषकत्वम्
50  21
... .... ....
अतिभोजनादिना पित्तकलाया दौर्बल्यम्
51  22
... .... ....
पित्तकलादौर्बल्यादनिलप्रकोपः
52  23
... .... ....
अजीर्णस्य ज्वरोत्पादकत्वम्
53  24
... .... ....
एकस्यैव ज्वरस्य कार्यभेदेन नानारूपत्वम्
54  24
... .... ....
अनिलज्वरलक्षणम्
55  25
... .... ....
पवनपित्तप्रकोपज्वरलक्षणम्
56  26
... .... ....
पवनकफविकारजातज्वरलक्षणम्
57  28
... .... ....
कफपित्तविकारजातज्वरलक्षणम्
58  28
... .... ....
आगन्तुकज्वरलक्षणम्
59  29
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
दोषप्रकोपकार्याभावादग्निप्रज्वलनम्
60  30
... .... ....
पथ्यान्नादनाद्धातुपुष्टिः
61  30
... .... ....
आहारस्य सर्वधातुबलकारकत्वम्
62  31
... .... ....
अनलप्रज्वलने सति पित्तकलायाः पाचकत्वम्
63  32
... .... ....
दुष्टग्रहणीकलाया रोगजनकत्वम्
64  32
... .... ....
अनलसहकृतायाः कलायाः पचनप्रकारः
65  33
... .... ....
आमाशये रिक्ते वाय्वादिप्रकोपः
66-67  34
... .... ....
मधुरीभूतस्यान्नस्य पवनप्रकोपहारकत्वम्
68  35
... .... ....
अम्लीभूतस्य पित्तप्रकोपनाशकत्वम्
69  37
... .... ....
मधुराम्लरसयोः कफकारकत्वम्
70  37
... .... ....
जठरानलशोषितस्य हारस्य कफनिवर्तकत्वम्
71  38
... .... ....
स्वाद्वम्लकटुरसानां तत्तत्फलदायकत्वम्
72  39
... .... ....
अनलपाचितरसानां तत्तद्धातुपोषकत्वम्
73  40
... .... ....
रसस्य रक्तधातुजनकत्वम्
74  40
... .... ....
शरीरस्य पञ्चभूतात्मकत्वम्
75  41
... .... ....
तस्यैव पाञ्चभौतिकस्य विशदीकरणम्
76-85  42
... .... ....
शरीरस्य सप्तधात्वात्मकत्वम्, गुणत्रयात्मकत्वं च
86  47
... .... ....
सत्त्वगुणादायुरारोग्यादीनामुत्पत्तिकथनम्
87  48
... .... ....
रसानां धातुपोषकत्वम्
88  50
... .... ....

द्वितीयः प्रश्नः

अधिकरसद्रव्यस्य पवननिवारकत्वम्
1  52
... .... ....
शरीरस्थितसिरादिविभजनम्
2  52
... .... ....
स्वादुरसद्रव्यस्य अनिलप्रकोपनिवारकत्वम्
3  52
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
गर्भाशयनिरूपणम्
4  53
... .... ....
मातुर्गर्भाशयगतोष्मणा गर्भस्थपिण्डस्यावयवेन्द्रियाद्युत्पत्तिनिरूपणम्
5-7  54
 
तत्तद्वर्णोत्पादकसिरावृतपादजानुपद्माद्युत्पत्तिविशदीकरणम्
8-44  56
....
शब्दश्रवणशक्त्याविष्करणम्
45  67
... ....
अवेध्यास्सिराः
46  71
... .... ....
मर्माशयगास्सिराः
47  73
... .... ....
सिरागतासृग्गतरोगनिवृत्त्यर्थं सिरासृग्विमोचनं कार्यम्
48  74
...
पित्रोः पुष्टयोरविकृतप्रजोत्पादकत्वम्
49-50  75
... .... ....
योनिलक्षणम्
51  77
... .... ....
जीवात्मनो जन्मग्रहणम्
52  77
... .... ....
रूपस्याहारानुगुणत्वम्
53  78
... .... ....
स्वाद्वम्लादिरसानामारोग्यकारकत्वम्
54  80
... .... ....
रसैर्धातवः पोष्याः
55  80
... .... ....
शुक्लाधिक्ये पुत्रोत्पत्तिः
56  81
... .... ....
शोणिताधिक्ये पुत्रिकोत्पत्तिः
57  81
... .... ....
द्वयोस्साम्ये षण्डस्योत्पत्तिः
58  82
... .... ....
जीवस्य नानारूपेण जननम्
59  82
... .... ....
स्त्रीणां प्रतिमासं रजःप्रवृत्तिः
60  82
... .... ....
रजस्वलायाश्चतुर्थेऽह्नि स्नानम्
61  84
... .... ....
शुद्धाया भर्तृगमनम्
62  84
... .... ....
प्रजाकामस्य पुंसश्चतुर्दशदिनपर्यन्तं निरीक्षणे हेतुकथनम्
63  85
....
समेऽहनि पुत्र्स्योत्पत्तिर्विषमेऽहनि पुत्रिकायाः
64  86
...
प्रथमाद्यृतौ पोषकशोषकद्रव्यादनम्
65-66  86
... ....
अन्तर्वत्न्याः प्रथमादिमासेषु पोषकद्रव्यादनम्
67-69  87
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
रसादीनां विकारनिवर्तकत्वम्
70  89
... .... ....
आमवृद्धिविकारस्य सर्वरोगहेतुभूतत्वम्
71  89
... .... ....
द्रव्याणां रोगनिवर्तकत्वम्
72-73  90
... .... ....
द्रव्याणां दोषत्रयहेतुत्वम्
74  91
... .... ....
अनामपालनस्य रोगनिवर्तकत्वम्
75  91
... .... ....
स्नेहवद्द्रव्यस्यानलप्रवर्धकत्वम्
76-78  91
... .... ....
स्नेहस्य प्रयोजनम्
79  93
... .... ....
गर्भिणीकृतघृतप्राशनस्य गर्भस्थपिण्डगतजठरानलजनकत्वम्
80  94
...
खगादीनामूर्ध्वमार्गगामित्वं तैजसद्रव्याधिक्याधीनम्
81-82  94
...
घृतस्यायुरभिवर्धकत्वम्
83  95
... .... ....
योग्यद्रव्योपयोगादभिवृद्धिः
84-85  95
... .... ....
अन्नस्य भूतोत्पादकत्वम्
86  96
... .... ....
अन्नस्य भूताभिवर्धकत्वम्
87  96
... .... ....
अन्नशब्दनिरुक्तिः
88-89  97
... .... ....
गर्भिण्या घृतप्लुतान्नादनावश्यकता
90-91  98
... .... ....
सति विकारे शोषकपोषकद्रव्यं भेषजम्
92  98
... .... ....
प्रतिमासं गर्भवृद्धिः
93  98
... .... ....
स्नेहपाकविशिष्टवार्धिकद्रव्यस्य कार्यकारकत्वम्
94-95  99
...
पोषकद्रव्योपयोगकाले शोषकद्रव्यं नोपयुञ्जीत
96  99
...
रसानां धातुपोषकत्वम्
97  100
... .... ....
रसस्यासृगात्मता
98  100
... .... ....
रसस्यात्मस्वरूपत्वम्
99  100
... .... ....

तृतीयः प्रश्नः.

योगानुशासनम्
1  101
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
योगस्य फलोपधायकत्वम्
2  101
... .... ....
योगशब्दार्थः
3  102
... .... ....
रजोगुणस्य बाह्यविषयकसुखदुःखानुभवहेतुत्वम्
4  102
... .... ....
तमोगुणस्य क्रोधमोहादिहेतुत्वम्
5  103
... .... ....
सत्वगुणस्य सुखहेतुत्वम्
6  103
... .... ....
त्रिगुणा मधुराम्लकटुरसादनहेतुकाः
7-9  104
... .... ....
मधुररसस्य सात्त्विकगुणोत्पादनद्वारा मोक्षहेतुत्वम्
10  104
...
आम्लरसादनात्सुखानुभवः
11  105
... .... ....
ऊषणरसाद्दुःखानुषक्तसुखानुभवः
12  105
... .... ....
द्रष्टुस्स्वरूपावस्थानं सुखदुःखानुरूपम्
13  105
... .... ....
आत्मनःस्स्सुखदुःखादीनामुपलम्भप्रकारः
14  106
... .... ....
आम्लरसवद्द्रव्यस्य रजोगुणहेतुत्वम्
15  106
... .... ....
शोषकपोषकद्रव्याणां रोगनिवर्तकत्वम्
16  107
... .... ....
योग्यद्रव्यसंयोगजं भेषजम्
17  107
... .... ....
संयोगविपर्ययस्य चित्तविभ्रमादिजनकत्वम्
18-19  108
... .... ....
अतस्मिंस्तद्बुद्धिः पित्तोद्रिक्ताहारजन्या
20-21  108
... .... ....
अत्यन्तनिरीक्षणे प्रमाणस्यापि संशयग्रस्तत्वम्
22  109
... .... ....
अत्यन्तानिमिषदृष्ट्या चक्षुरिन्द्रियदोषः
23  110
... .... ....
पित्ताद्विभ्रमोत्पत्तिः
24  111
... .... ....
अनुभूतार्थे भ्रमो निवर्तकेन निवर्त्यः
25  111
... .... ....
भ्रमात्मकं ज्ञानं रसवद्द्रव्यैर्निवर्तनीयम्
26  111
... .... ....
दुष्टे सत्याशये भ्रमस्यानिवर्त्यत्वम्
27  112
... .... ....
सति रोगनिमित्ते पथ्यं भेषजम्
28  112
... .... ....
क्लेशनामाहारपरिणामजन्यत्वम्
29-30  113
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
अहरहर्भेषजम्
31  113
... .... ....
शोषकद्रव्यजातरुजां पोषकद्रव्यं भेषजम्
32  113
... .... ....
प्रत्यहमामो निस्सार्यः
33  114
... .... ....
पोषकद्रव्ययुक्तस्नेहादीनां व्याधिनिवर्तकत्वम्
34  114
... .... ....
शिशोरविकृतमातृस्तन्यपानावश्यकता
35-38  115
... .... ....
सुकुमारद्रव्ययोगकरणं बालव्याधिनिवर्तकम्
39  116
... .... ....
श्रोत्रेन्द्रियच्छब्दज्ञानम्
40  117
... .... ....
संशयविभ्रमात्मकज्ञाननिरूपणम्
41  117
... .... ....
घ्राणेन्द्रियाद्गन्धप्रतीतिः
42-43  117
... .... ....
विपर्ययज्ञानस्य प्रमाप्रतिबन्धकम्
44  118
... .... ....
सार्द्रद्रव्यं भेषजम्
45-46  118
... .... ....
प्रमाणनिरूपणम्
47  119
... .... ....
निर्दोषचक्षुषः प्रत्यक्षप्रमाजनकत्वम्
48-49  120
... .... ....
आगमप्रामाण्यम्
50  120
... .... ....
विपर्ययविकल्पौ
51-52  121
... .... ....
निर्विकल्पकं ज्ञानम्
53  122
... .... ....
निद्रा
54-55  122
... .... ....
स्मृतिः
56  123
... .... ....
व्यपदेशः
57  123
... .... ....
अभ्यासः
58  124
... .... ....
वैराग्यम्
59-60  125
... .... ....
प्रत्यक्षानुमानाभ्यां वित्तवृत्तिनिरोधः
61  126
... .... ....
अनिलनिरोधनस्य भ्रमहेतुत्वम्
62  126
... .... ....
योगाभ्यासाच्चिरायुष्ट्वम्
63  127
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
प्राणादिपञ्चकस्य रक्षणावश्यकता
64  128
... .... ....
आत्ममनस्संयोगः
65  129
... .... ....
धातूनां सत्त्वाधीनत्वम्
66  129
... .... ....
आरोग्यवशात्प्रजाप्रजननम्
67-68  130
... .... ....
स्त्रीपुंसावात्मभागौ
69  130
... .... ....
प्रकृतिपुरुषौ पितरौ
70  131
... .... ....
योगाभ्यासशब्दार्थः
71  131
... .... ....
भूयोनिरीक्षणात्स्वरूपप्रतिपत्तिः
72  132
... .... ....
कन्यादातुरैहिकामुष्मिकफलनिरूपणम्
73-75  132
... .... ....
वैराग्यशब्दार्थः
76-77  133
... .... ....
धातूनां रोगकार्यकारकत्वम्
78  133
... .... ....
शरीरस्य भोगायतनत्वम्
79  134
... .... ....
परमपुरुषख्यातेर्गुणवैतृष्ण्यम्
80  134
... .... ....
वितर्कनिर्विकल्पज्ञाननिरूपणम्
81-82  135
... .... ....
सविचारज्ञानम्
83  136
... .... ....
निर्विचारज्ञानम्
84  137
... .... ....
आनन्दनिरूपणम्
85  138
... .... ....
समाधिः
86  138
... .... ....
मधुररसस्य समाधिहेतुत्वम्
87  139
... .... ....
समाधौ पित्तकलाप्रचलनम्
88  140
... .... ....
ईश्वरस्य जगदात्मकत्वम्
89-90  141
... .... ....
मूलाधारस्य सकलधातुपोषकत्वम्
91-93  141
... .... ....
सिरागतामृतस्य तत्तदधिष्ठानवर्णदेवतापोषकत्वम्
94  142
... ...
सिरासंधानमनुसृत्यामृतप्रवाहः
95  143
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
सिरामार्गगतपवनेन कलापूरणममृतसेचनं च
96 143
... .... ....
इडामार्गगतश्वासपवनस्य मांसधातुतर्पणद्वारा शरीरपोषकत्वम्
97 143
... .... ....
पादपद्मालवालस्य द्विसहस्रसिराङ्कुराधारकत्वम्
98 144
... .... ....
शरीरस्य सप्तधात्वात्मकत्वम्
99 144
... .... ....

चतुर्थः प्रश्नः

योगस्य धातुपोषकत्वप्रतिपादनम्
1 145
... .... ....
समाधिनिरूपणम्
2 145
... .... ....
संवेगस्य क्रियाहेतुत्वम्
3 146
... .... ....
श्वासोच्छासाभ्यां शरीरदार्ढ्योपपत्तिः
4-5 146
... .... ....
तत्रोपायभेदप्रदर्शनम्
6-8 147
... .... ....
जङ्घाप्रदेशगतपद्मस्य चलनोपकारकत्वम्
9 149
... .... ....
समाधिलक्षणम्
10 149
... .... ....
शरीरलक्षणम्
11 150
... .... ....
शरीरस्य चलनात्मकत्वम्
12-13 151
... .... ....
ईश्वरसिद्धिनिरूपणम्
14 152
... .... ....
स्रोतोमार्गगताष्टादशदलपद्मस्य चेष्टाश्रयत्वम्
15 154
... .... ....
उदरामयाः
16-17 155
... .... ....
तत्र भेषजम्
18-19 156
... .... ....
सर्वोदरामयानां जठराग्निप्रवृद्धिकरणं क्रियाक्रमः
20 158
... .... ....
उदरामयनिदानम्
21 160
... .... ....
सिराप्रदेशभेदाच्छ्वयथूत्पत्तिः
22 161
... .... ....
अष्टविधोदरामयलक्षणानि
23-29 161
... .... ....
पाण्डुशोभविसर्प्यामयलक्षणम्
30 169
... .... ....
कफपित्तरोगविवेचनम्
31 170
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
त्वक्पालित्यस्य पाण्डुरोगहेतुत्वम्
32 171
... .... ....
त्वक्पालित्यहेतुकथनम्
33 172
... .... ....
पवनप्रकोपहेतुनिरूपणम्
34-35 172
... .... ....
पवनविकारे भेषजम्
36 174
... .... ....
पवनविकारे धातुस्थूलत्वस्य द्विगुणतया प्रतीतिः
37 177
... .... ....
मधुररसस्य पवनप्रकोपनिवर्तकत्वादिनिरूपणम्
38-40 178
... .... ....
आम्लरसस्य मांसधातुप्रदत्वम्
41 180
... .... ....
लवणरसस्य मेदोधातुप्रदत्वम्
42 180
... .... ....
मधुररसवद्द्रव्यादीनां जङ्घापद्मादिपोषकत्वम्
43-44 180
... .... ....
बहिः पवनरेचनपूरणाभ्यां रोगनिवृत्तिश्चिरायुष्ट्वं च
45-46 182
... .... ....
चन्द्रकलागतपवनेन पद्मस्य मुकुलीभावः, सूर्यकलागतपवनेनविकासश्च
47 183
... .... ....
इडापिङ्गलाभ्यां वर्णप्रवाहः
48 185
... .... ....
मूलाधारपद्मस्य षट्कमलानामादिभूतत्वम्
49 186
... .... ....
दशदलपद्मस्य इडापिङ्गलागतामृतसेचकत्वम्
50-51 187
... .... ....
अर्थानां सुखसाधकत्वम्
52 188
... .... ....
प्रकृतिपुरुषयोरैक्यम्
53 189
... .... ....
तत्तद्भूतावयवाधिक्ये तत्तद्गुणोपलब्धिः
54-60 190
... .... ....
तिक्तोषणकषायरसानां बलप्रदत्वम्
61 197
... .... ....
रेचकादिना तत्तद्वर्णाधिष्ठितपद्मविकासः
62 198
... .... ....
प्रजाप्रजननम्
63 198
... .... ....
स्त्रीपुरुषयोस्स्वरभेदे कारणनिरूपणम्
64 199
... .... ....
कटिप्रदेशगतपद्मस्य कायाधारकत्वम्
65 200
... .... ....
नाभेरधश्शतदळपद्मस्यावस्थानम्
66 200
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 

पञ्चमः प्रश्नः

वातपित्तकफदोषाणामामयोत्पादकत्वम्
1 202
... .... ....
तत्तद्भूताधिक्यजातरसादनस्य धातुपोषकत्वम्
2 203
... .... ....
षड्रसानां तत्तद्गुणनिरूपणम्
3-11 204
... .... ....
रसेष्वेकैकस्यापि दोषनिवर्तकत्वम्
12 210
... .... ....
रसादिद्रव्यसारस्य सर्वरोगनिवर्तकत्वम्
13 211
... .... ....
एकस्याप्यनेकरसवद्द्रव्यस्य बहुगुणप्रदत्वम्
14 212
... .... ....
धारणरेचकात्मकद्रव्यैरामयाभिवृद्धिः
15 213
... .... ....
तत्तद्भूतनिष्ठरोगाणां तत्तद्भूतावयवाधिक्यजातकार्यहेतुत्वम्
16 214
... .... ....
दोषविकाराणामवस्थाभेदेन स्वास्थ्यादिनिरूपणम्
17-18 215
... .... ....
देहदेशकालद्रव्यभेदेन चिकित्सा कार्या
19 218
... .... ....
आमयानां द्वित्रिदोषगतत्वम्
20-21 218
... .... ....
रोगनिवृत्त्यर्थं दोषपचनस्यावश्यकता
22 220
... .... ....
दोषपचनकालः
23 220
... .... ....
एकधातुकज्वरलक्षणम्
24 221
... .... ....
आमजातज्वरलक्षणम्
25 223
... .... ....
दोषपचनकालस्य धातुप्रसादाधीनत्वम्
26 228
... .... ....
साध्यासाध्यरोगनिरूपणम्
27-32 229
... .... ....
धातुसप्तकस्य दोषहेतुभूतत्वम्
33 234
... .... ....
रसासृग्गतज्वरलक्षणम्
34 236
... .... ....
अस्थिमृदुकारकज्वरलक्षणम्
35 237
... .... ....
दोषाणामस्थिमज्जामेदोधिष्ठितत्वम्
36 238
... .... ....
दोषाणां चरमधातुप्रचारकत्वम्
37 238
... .... ....
दोषविपर्ययः
38 238
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
मूलाधारपद्मस्य षट्कमलानामादिभूतत्वम्
39 239
... .... ....
मूलाधारपद्मस्यामृतसेचकत्वम्
40 241
... .... ....
तस्यैवाभिवृद्धिः
41 241
... .... ....
धातुपद्मपोषणार्थं शतदळपद्मस्याविर्भावः
42 242
... .... ....
शतदळपद्मस्य जठराग्न्याधारत्वम्
43 242
... .... ....
तस्यैव तत्तद्रसपाचनद्वारा तत्तद्धातुस्थाने स्वतेजसा भानम्
44-49 243
... .... ....
त्रिकोणपद्मस्यावस्थानम्
50 250
... .... ....
त्रिकोणपद्मस्य प्रजाजननहेतुभूतत्वं, शरीरान्तर्गतशाखावभासकत्वं च
51 252
... .... ....
त्रिकोणजन्यामृतस्य पोषकत्वम्
52 254
... .... ....
रजस्तमसोरात्मज्ञानप्रतिबन्धकत्वम्
57 254
... .... ....
नाभ्यादिषु मयूखविकासः
67 254
... .... ....
अब्भक्तकलादिना क्षित्यादिपोषणम्
75 255
... .... ....
शरीरतत्त्ववेदनस्य फलनिरूपणादि
84 255
... .... ....
अनामपालनस्यानामयहेतुत्वम्
91 255
... .... ....
अप्रमादेन चिकित्सा कार्या
98 256
... .... ....
पृथिव्यादिभूतपञ्चकगुणस्य तत्तत्कार्यजनकत्वम्
100 256
... .... ....
अभिघातजामायनां दुस्साध्यत्वम्
108 256
... .... ....

षष्ठः प्रश्नः.

लवणादिरसानामस्थिदार्ढ्यादिकरणम्
1 257
... .... ....
तत्तद्रसजन्यानलस्य तत्तद्रसपाचकत्वम्
15 258
... .... ....
मधुररसादीनां सन्निपातज्वरापहारकत्वम्
41 259
... .... ....
गोघृतादीनां तत्तद्रोगापहारकत्वम्
42 259
... .... ....
तिक्तबीजस्याजीर्णज्वरनिवर्तकत्वम्
58 260
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
जीर्णाजीर्णादिविवेकः
69 260
... .... ....
वह्नेस्स्वस्थानज्वलनकाले युक्ताहारविहारयोर्धातुपोषकत्वम्
78-79 261
... .... ....
प्रातरम्बुपानस्यामाशयविशोधनद्वारा सर्वरोगापहारकत्वम्
87 261
... .... ....
गोक्षीरप्रभृतीनां धात्वादिपोषकत्वम्
89 261
... .... ....

सप्तमः प्रश्नः

एकशरीरवद्द्रव्यमेकैकभेषजम्
1 262
... .... ....
अम्लरसानुगतस्वादुरसस्यानिलहारकत्वम्
10 263
... .... ....
धान्यादिनिरूपणम्
21 264
... .... ....
मधुररसस्यारिष्टरोगहारकत्वम्
36 265
... .... ....
साध्यासाध्यज्ञानपूर्विका चिकित्सा
47 265
... .... ....
आमस्यानलविकारकारकत्वम्
58 266
... .... ....
सुषुप्तौ महिषादिदर्शनस्यारिष्टसूचकत्वम्
69 267
... .... ....
अनलधातुवर्धकस्यारिष्टनिवर्तकत्वम्
80 267
... .... ....
स्वादुरसवद्द्रव्यस्यारिष्टनिवर्तकत्वम्
86 267
... .... ....
असाध्यज्वरनिरूपणम्
91 268
... .... ....

अष्टमः प्रश्नः

पृथिव्याद्युद्भवरसानां तत्तद्रोगनिवर्तकत्वम्
1 268
... .... ....
श्वेतपुष्पादीनां मांसरसधातुस्थामयादिनिवर्तकत्वम्
7 269
... .... ....
श्वेतपुष्पवत्पादपादीनां पित्तादिहारकत्वम्
19 269
... .... ....
आयुष्कामयमानस्य तत्तद्विकारहेतुज्ञानावश्यकता
29 270
... .... ....
देशभेदेनामयभेदस्तत्र भेषजं च
42 271
... .... ....
भिषग्लक्षणम्
49 271
... .... ....
दोषाणां कालानुसारित्वम्
57 272
... .... ....
कालानुकूलभेषजकरणावश्यकता
58 272
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 
भेषजकरणप्रकारः
59 272
... .... ....
पराशयमालक्ष्य तत्तद्धितकरणम्
70 272
... .... ....
प्रातःकृत्यनिरूपणम्
90 273
... .... ....
कालचक्रमहिमा
96 273
... .... ....
एवंवेदनफलम्
102 273
... .... ....

नवमः प्रश्नः.

कालनिरूपणम्
9-28 274
... .... ....
षडृतुनिरूपणपुरस्सरं षड्रसोत्पत्तिकथनम्
31-70 275
... .... ....
जृम्भान्तर्धानादिना कण्डूपाण्डुज्वराद्युत्पत्तिः
87 278
... .... ....

दशमः प्रश्नः.

तत्तदोषाधिनिरूपणपुरस्सरं तत्तद्गुणपाठः
13-82 278
... .... ....

एकादशः प्रश्नः.

क्लेशतनूकरणद्वारा योगसाधननिरूपणम्
1-54 283
... .... ....

द्वादशः प्रश्नः

धारणाद्यङ्गत्रयनिर्णयाय अन्तरङ्गसंयमसाध्यतत्तद्विभूतिनिरूपणम्
1-55 286
... .... ....
कैवल्यनिरूपणम्
56-76 288
... .... ....

त्रयोदशः प्रश्नः.

क्षयरोगलक्षणं, तद्भेषजं च
1 289
... .... ....
अजीर्णजन्यामज्वरे भेषजम्
10 290
... .... ....
तत्तद्भूतजातरसानां तत्तद्धातुपोषकत्वम्
16 290
... .... ....
जारितरसानामारोग्यादिप्रदायकत्वम्
19 291
... .... ....
बाह्याग्निवाय्वादीनामन्तर्वाक्प्राणाद्याश्रयणम्
28 291
... .... ....
आयुर्वेदज्ञानस्य नक्षत्रज्ञानपूर्वकत्वम्
46 293
... .... ....
   विषयाः.
सूत्रम्. पुटम्.
 

चतुर्दशः प्रश्नः.

सप्तत्रिंशत्सिरावृतपादजानुपद्मादीनां तत्तन्नक्षत्रात्मकत्वं, तत्तद्वर्णबोधकत्वं च
1-29 293
... .... ....
संक्षेपतः कालनिरूपणम्
30-35 296
... .... ....
तत्तन्नक्षत्रेषु तत्तद्रोगाविर्भावकथनम्
36-62 296
... .... ....
अश्विन्याद्यार्द्रान्तनक्षत्रविगतियोगग्रहयुक्तकालसंयोगवशाज्जाततत्तद्रोगप्रतिपादनं, तन्निवर्तकद्रव्यकथनं, तत्तन्नक्षत्रदेवताप्रार्थनादिरूपभेषजनिरूपणं च
63-87 297
... .... ....

पञ्चदशः प्रश्नः.

पुनर्वस्वादिनक्षत्रविगतियोगग्रहयुक्तकालसंयोगवशाज्जाततत्तद्रोगप्रतिपादनं, तन्निवर्तकद्रव्यकथनं, तत्तद्देवताप्रार्थनादिकं च
1-62 299
... .... ....
रक्तपित्तविकारकारकाः
63 303
... .... ....
तन्निवर्तकाः
64 303
... .... ....
रक्तपित्तामयप्रकोपहारकद्रव्यनिरूपणम्
65 304
... .... ....
श्वासकासरक्तप्रकोपहारकद्रव्याणि
68 304
... .... ....
हिध्मारोगनिवर्तकद्रव्याणि
71 304
... .... ....
धातुकार्श्यकारकामयघातकद्रव्याणि
73 305
... .... ....
चूर्णीकृतपटोलादिद्रव्याणां रक्तपित्तामयादिविनाशकत्वम्
74-79 305
... .... ....

षोडशः प्रश्नः.

तत्तद्रोगविघातकलेह्यादिरूपतत्तद्द्रव्यगुणप्रतिपादनम्
1-46 306
... .... ....