अलङ्कारमणिहारः (भागः २)
UNIVERSITY OF MYSORE
ORIENTAL LIBRARY PUBLICATIONS
SANSKRIT SERIES NO.58
अलङ्कारमणिहारः
श्रीमद्भिः श्रीकृष्णब्रह्मतन्त्रपरकालसंयमीन्द्रैः प्रणीतः
द्वितीयो भागः
THE
ALANKARA-MANIHARA
BY
Sri Krishna-Brahmatantra Parakala Swamin
Part II
EDITED BY
R. SHAMA SASTRY, B.A., M.R.A.S.
Curator, Government Oriental Library, Mysore, Periodical Lecturer to
the Post-Graduates' classes of the Calcutta University, and
B.B.R.A.S Campbell Memorial Medalist.
MYSORE:
PRINTED AT THE GOVERNMENT BRANCH PRESS
1921
{{{1}}} |
अशुद्धशोधनम्
पुटे | पङ्क्तौ | अशुद्धम् | शुद्धम् | |
3 | 9 | स्रृभ्यः | स्रुभ्यः | |
6 | 9 | वाच्याप | वाच्योप | |
8 | 1 | घतनमः | घनतमः | |
10 | 16 | तस्मित् | तस्मिन् | |
11 | 6 | रङ्ख | रङ्ग | |
12 | 16 | भगत्पक्ष | भगवत्पक्ष | |
13 | 5 | भगद्दिव्या | भगवद्दिव्या | |
13 | 22 | भगत्पाञ्च | भगवत्पाञ्च | |
17 | 8 | कम्मिता | कम्पिता | |
19 | 5 | भौमा | भौमो | |
19 | 16 | रद्दितः | रहितः | |
20 | 4 | ब्रह्या | ब्रह्मा | |
20 | 24 | यीप्र | यप्रि | |
21 | 24 | त प्रिय | ते प्रिय | |
21 | 25 | बिधुर | विधुर | |
25 | 16 | मञ्जृ | मञ्जु | |
25 | 20 | द्यृक्तेः | द्युक्तेः | |
25 | 23 | घणी | घृणी | |
26 | 1 | द्यृक्तेः | द्युक्तेः | |
27 | 11 | सजात | संजात | |
" | " | 'तद' | 'तद |
{{{1}}} |
पुटे. | पङ्क्तौ. | अशुद्धम्. | शुद्धम्. | |
28 | 11 | माधगत | मधिगत | |
30 | 7 | दुद्गता | दुद्गता | |
34 | 10 | श्रित | श्रितः | |
36 | 2 | विद्म | विद्मः | |
36 | 4 | णयुण | णगुण | |
36 | 14 | पर्युदस्तत्वा | पर्युदस्तत्वात् | |
38 | 22 | ब्रह्माणि | ब्रह्मणि | |
38 | 18 | बिद्या | विद्या | |
41 | 9 | जश्च | जश्चे | |
42 | 16 | श्लेष | श्लेषः | |
44 | 2 | एवं विध | एवंविध | |
44 | 11 | बिभु | विभु | |
46 | 5 | प्रकृतयाः | प्रकृतयोः | |
47 | 16 | डप | उप | |
47 | 24 | परेणभवता | परेण भवता | |
49 | 5 | त्यासर्वै | त्या सर्वै | |
52 | 3 | इशः | ईशः | |
52 | 4 | अस्मिस्पक्षे | अस्मिन्पक्षे | |
52 | 8 | सर्रे | सर्वे | |
52 | 22 | दखिल हेय | दखिलहेय | |
54 | 10 | "अन्तिबाढ | "अन्तिकबाढ | |
54 | 19 | "पत् | "पद्द | |
56 | 3 | भाष्यऽपि | भाष्येऽपि | |
59 | 23 | ब्रह्य | ब्रह्म |
{{{1}}} |
पुटे. | पङ्क्तौ. | अशुद्धम्. | शुद्धम्. | |
67 | 17 | चेत | चेतः | |
68 | 14 | ल्यप | ल्यप् | |
69 | 8 | रत्र | रत्न | |
69 | 13 | कल्पति | कल्पेति | |
70 | 14 | ह्नस्व | ह्रस्व | |
70 | 18 | चल | चेल | |
72 | 4 | शब्दा | शब्दो | |
73 | 20 | भवात | भवति | |
76 | 19 | निश्चय | निश्चये | |
78 | 7 | वेतॄणां | वेत्तॄणां | |
79 | 21 | " | " | |
82 | 19 | मुपलण | मुपलक्षण | |
84 | 10 | कुशा | कुशो | |
86 | 17 | प्रार्थनाप | प्रार्थनोप | |
86 | 23 | दैपु | दैप् | |
87 | 10 | वैलक्षण्य | वैलक्षण्यं | |
125 | 15 | कल्यण | कल्याण | |
125 | 18 | पुर्व | पूर्व | |
136 | 23 | पगुण | प्रगुण | |
142 | 18 | वश्चैति | वश्चेति | |
144 | 21 | ममूह | समूह | |
148 | 13 | तौदादिक | तौदादिकः | |
153 | 1 | षुरा | पुरा | |
183 | 1 | सरः | सरः(२९) |
{{{1}}} |
पुटे. | पङ्क्तौ. | अशुद्धम्. | शुद्धम्. | |
194 | 22 | रमणी सर | रमणीसर | |
216 | 1 | शुम्रः | शुभ्रः | |
226 | 8 | स्मित् | स्मिन् | |
228 | 15 | श्लिष्टोवहसे | श्लिष्टो वहसे | |
229 | 5 | प्रस्तुत | प्रत्यु- | |
229 | 11 | प्रापृषि | प्रावृषि | |
234 | 5 | सरः | सरः(३१) | |
241 | 12 | गम्यत्वे ॥ | गम्यत्वे | |
243 | 14 | सरः | सरः(३२) | |
244 | 11 | रमेश । | रमेश | |
255 | 7 | स्वरै | स्वैर | |
277 | 22 | सामान्यता | सामान्यतो | |
305 | 18 | दुर्लभः | दुर्बलः | |
310 | 15 | प्रकारातू | प्रकारात् | |
319 | 6 | कौभार | कौमार | |
328 | 18 | संभवातू | संभवात् | |
339 | 13 | निन्धनात् | निबन्धनात् | |
362 | 7 | निस्सेजस्क | निस्तेजस्क | |
364 | 13 | पुंस्त्व | पुंस्त्वं | |
367 | 7 | त्वद्नति | त्वद्गति | |
389 | 2 | शलूकं | शालूकं | |
462 | 12 | त्वद्वहु | त्वद्बाहु | |
465 | 22 | ल्लभे | ल्लेभे |
{{{1}}} |