अलङ्कारमणिहारः (भागः ३)
विषयसूची(मूलग्रन्थे नास्ति)
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University of Mysore
Oriental Library Publications
SANSKRIT SERIES No.62
अलङ्कारमणिहारः
श्रीमद्भिः श्रीकृष्णब्रह्मतन्त्र परकालसंयमीन्द्रैः प्रणीतः
तृतीयो भागः
THE
ALANKARA-MANIHARA
BY
Sri Krishna-Brahmatantra Parakala Swamin
Part III.
EDITED BY
DR R. SHAMA SASTRY, B.A., PH.D.,M.R.A.S.,
Curator, Government Oriental Library, Mysore, Director of Archaeological
Researches in Mysore, Periodical Lecturer to the Post-Graduates'
Classes of the Calcutta University, and B.B.R.A.S
Campbell Memorial Medalist.
MYSORE
PRINTED AT THE GOVERNMENT BRANCH PRESS
1923.
विषयसूची(मूलग्रन्थे नास्ति)
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शु द्धि प त्र म्.
पुटे. | पङ्क्तो. | अशुद्धम्. | शुद्धम्. | |
2 | 7 | भवति | भजति | |
14 | 9 | अन्य | अन्ये | |
39 | 14 | योगन | योगेन | |
47 | 14 | तैवि | तैर्वि | |
50 | 10 | आम | आत्म | |
50 | 17 | भूवा | भूत्वा | |
50 | 18 | शौर | शौरे | |
66 | 12 | ब्यव | व्यव | |
" | " | व्यधा | व्यवधा | |
77 | 7 | स्युर्मी | स्युर्भी | |
79 | 11 | द्भ्रेश्यन् | द्भ्रश्यन् | |
" | 15 | तानिः | तानि | |
80 | 5 | अहिर्वु | अहिर्बु | |
" | " | त्वच | त्वच्च | |
" | 6 | मुपावं | मुपाया | |
82 | 11 | यमुना | यामुना | |
" | " | प्स्ममहि | प्स्महि | |
102 | 1 | भर्ग | र्भग | |
108 | 23 | म्यन्यं | म्यन्तं | |
114 | 18 | न्यधा | अन्यधा | |
115 | 5 | कहळी त्व | काहळीत्व |
विषयसूची(मूलग्रन्थे नास्ति)
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पुटे. | पङ्क्तौ. | अशुद्धम्. | अशुद्ध. |
115 | 13 | कठिनन | कठिनेन |
119 | 4 | मरू | मरूप |
126 | 13 | र्स्मयते | स्मर्यते |
132 | 2 | महिळ | महिळे |
171 | 2 | कृतिंपक्षी | कृतिं पक्षी |
188 | 7 | उको | उक्तो |
194 | 12 | त्वेन ष | त्वेन प्र |
" | 18 | संपद | संपदम् |
199 | 17 | प्रष्ठ | षष्ठ |
200 | 5 | ष्ठोया | ष्ठोऽयं |
" | " | न लघू | नलघू |
207 | 1 | युल्लस | त्युल्लस |
216 | 8 | क्रामिक | क्रमिक |
229 | 14 | कृत्तिद्धि | कृत्तद्धि |
" | 20 | इत्यद | इत्याद |
233 | 16 | सप्रदा | संप्रदा |
291 | 14 | पात्येति | पाल्येति |
329 | 4 | च्छौर्या | च्छौर्यौ |
विषयसूची(मूलग्रन्थे नास्ति)
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